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उत्तराखंड में हारी है कांग्रेस, खत्म नहीं हुई, 37.9 फीसदी लोगों ने दिया वोट - उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए उम्मीदें

हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से उम्मीद की किरणें हैं. भले ही उत्तराखंड में कांग्रेस को 19 सीटें मिली हैं, मगर उसका कुल वोट प्रतिशत 37.9 है.

In resounding defeat, a silver lining for Congress in Uttarakhand
प्रचंड हार में उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण!
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Published : Mar 12, 2022, 8:39 AM IST

Updated : Mar 12, 2022, 6:44 PM IST

नई दिल्ली: हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से उम्मीद की किरणें हैं. उत्तराखंड में सत्तर सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस पार्टी वापसी की उम्मीद कर रही थी, लेकिन अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी की 49 सीटों के मुकाबले सिर्फ 19 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. बीजेपी की ये सीटें उत्तराखंड की नई विधानसभा में दो-तिहाई से अधिक बहुमत है.

गुरुवार शाम को घोषित विधानसभा चुनाव परिणामों में सत्तारूढ़ भाजपा ने 47 सीटों पर जीत हासिल की, कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी ने दो सीटों पर जीत हासिल की और शेष दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. नतीजे बताते हैं कि नई विधानसभा में कांग्रेस की सीटों की गिनती 30 फीसदी से भी कम है, 70 सदस्यीय सदन में 19 सीटें हैं, जो कुल सीटों का महज 27 फीसदी है.

सीटों के आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि नेहरू-गांधी परिवार के नेतृत्व वाली सबसे पुरानी पार्टी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके भरोसेमंद सहयोगियों - केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के नेतृत्व में भाजपा की चुनावी मशीनरी से मुकाबला करने में सक्षम नहीं थी.

वोट शेयर कुछ और ही कहानी बयां करती है

बीजेपी और कांग्रेस दोनों को मिले वोटों के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो ये पूरी तरह से अलग कहानी बयां करती है. भाजपा को कुल 44.3 प्रतिशत वोट मिले, जो की 23,83,838 वोट हैं, जबकि कांग्रेस को 37.9% वोट मिले जो कि 20,83,509 वोट हैं. इसके बावजूद कांग्रेस वोटों की संख्या के मामले में दूसरे स्थान पर भी नहीं आई.

भाजपा और कांग्रेस के द्वारा डाले गए वोटों की संख्या के बीच का अंतर मात्र 300,329 वोटों का रहा, जो 6.4 प्रतिशत वोटों का ही अंतर है. फिर भी दोनों पार्टियों द्वारा जीती गई सीटों की संख्या में भारी अंतर है. भाजपा कांग्रेस की तुलना में 2.5 गुना अधिक सीटें जीतने में सफल रही और दोनों पार्टियों के वोट शेयर में 6.4 फीसदी का अंतर था. लेकिन भाजपा की झोली में जहां 47 सीटें आईं, वहीं कांग्रेस के खाते में 19 सीटें ही आ पाईं.

क्या AAP ने बिगाड़ा कांग्रेस का गेम प्लान?

ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के प्रवेश ने कांग्रेस पार्टी का गेम बिगाड़ दिया. हालांकि, AAP उत्तराखंड में अपना खाता नहीं खोल पाई है क्योंकि उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल (सेवानिवृत्त) अपनी ही सीट जीतने में विफल रहे.

हालांकि, AAP को 1,78,134 वोट मिले जो कि राज्य में हुए कुल वोटों का 3.31% है. मायावती की पार्टी बसपा ने राज्य में कुल 2,59,371 मतों (4.82%) के साथ राज्य में दो सीटें जीतीं, जबकि 46,840 मतदाताओं ने नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का विकल्प चुना. यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अकेले जाने का कांग्रेस का फैसला पार्टी के खिलाफ गया क्योंकि या तो बसपा या आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन हुआ होता तो उत्तराखंड में चुनावी गणित बदल गया होता.

नई दिल्ली: हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से उम्मीद की किरणें हैं. उत्तराखंड में सत्तर सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस पार्टी वापसी की उम्मीद कर रही थी, लेकिन अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी की 49 सीटों के मुकाबले सिर्फ 19 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. बीजेपी की ये सीटें उत्तराखंड की नई विधानसभा में दो-तिहाई से अधिक बहुमत है.

गुरुवार शाम को घोषित विधानसभा चुनाव परिणामों में सत्तारूढ़ भाजपा ने 47 सीटों पर जीत हासिल की, कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी ने दो सीटों पर जीत हासिल की और शेष दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. नतीजे बताते हैं कि नई विधानसभा में कांग्रेस की सीटों की गिनती 30 फीसदी से भी कम है, 70 सदस्यीय सदन में 19 सीटें हैं, जो कुल सीटों का महज 27 फीसदी है.

सीटों के आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि नेहरू-गांधी परिवार के नेतृत्व वाली सबसे पुरानी पार्टी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके भरोसेमंद सहयोगियों - केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के नेतृत्व में भाजपा की चुनावी मशीनरी से मुकाबला करने में सक्षम नहीं थी.

वोट शेयर कुछ और ही कहानी बयां करती है

बीजेपी और कांग्रेस दोनों को मिले वोटों के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो ये पूरी तरह से अलग कहानी बयां करती है. भाजपा को कुल 44.3 प्रतिशत वोट मिले, जो की 23,83,838 वोट हैं, जबकि कांग्रेस को 37.9% वोट मिले जो कि 20,83,509 वोट हैं. इसके बावजूद कांग्रेस वोटों की संख्या के मामले में दूसरे स्थान पर भी नहीं आई.

भाजपा और कांग्रेस के द्वारा डाले गए वोटों की संख्या के बीच का अंतर मात्र 300,329 वोटों का रहा, जो 6.4 प्रतिशत वोटों का ही अंतर है. फिर भी दोनों पार्टियों द्वारा जीती गई सीटों की संख्या में भारी अंतर है. भाजपा कांग्रेस की तुलना में 2.5 गुना अधिक सीटें जीतने में सफल रही और दोनों पार्टियों के वोट शेयर में 6.4 फीसदी का अंतर था. लेकिन भाजपा की झोली में जहां 47 सीटें आईं, वहीं कांग्रेस के खाते में 19 सीटें ही आ पाईं.

क्या AAP ने बिगाड़ा कांग्रेस का गेम प्लान?

ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के प्रवेश ने कांग्रेस पार्टी का गेम बिगाड़ दिया. हालांकि, AAP उत्तराखंड में अपना खाता नहीं खोल पाई है क्योंकि उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल (सेवानिवृत्त) अपनी ही सीट जीतने में विफल रहे.

हालांकि, AAP को 1,78,134 वोट मिले जो कि राज्य में हुए कुल वोटों का 3.31% है. मायावती की पार्टी बसपा ने राज्य में कुल 2,59,371 मतों (4.82%) के साथ राज्य में दो सीटें जीतीं, जबकि 46,840 मतदाताओं ने नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का विकल्प चुना. यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अकेले जाने का कांग्रेस का फैसला पार्टी के खिलाफ गया क्योंकि या तो बसपा या आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन हुआ होता तो उत्तराखंड में चुनावी गणित बदल गया होता.

Last Updated : Mar 12, 2022, 6:44 PM IST

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