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मृत्यु के बाद सम्मानजनक अंतिम संस्कार भी नहीं मिल रहा कोरोना पीड़ितों को - कोरोना वायरस

दिवंगत आत्मा के लिए अंतिम संस्कार के लिए उचित जगह खोजना महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक कठिन कार्य है. वजह है यहां कोरोना वायरस प्रभावित मृतकों की संख्या में वृद्धि होना.

मृत्यु के बाद सम्मानजनक अंतिम संस्कार भी नहीं मिल रहा कोरोना पीड़ितों को
मृत्यु के बाद सम्मानजनक अंतिम संस्कार भी नहीं मिल रहा कोरोना पीड़ितों को
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Published : Apr 9, 2021, 4:58 PM IST

औरंगाबाद : कोरोना वायरस के चलते अपने किसी प्रियजन को खोना दुखद है, लेकिन उससे भी ज्यादा दर्दनाक है परिवारों के लिए मृतकों को एक सम्मानजनक अंतिम विदाई न दे पाना.

मृत्यु के बाद सम्मानजनक अंतिम संस्कार भी नहीं मिल रहा कोरोना पीड़ितों को

दिवंगत आत्मा के लिए अंतिम संस्कार के लिए उचित जगह खोजना महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक कठिन कार्य है. वजह है यहां कोरोना वायरस प्रभावित मृतकों की संख्या में वृद्धि होना. मौतों में वृद्धि के साथ ही शहर में श्मशान स्थल और कब्रगाहों में जगह की कमी हो चली है.

मराठवाड़ा क्षेत्र में तीव्र गति से बढ़ती जा रही मृत्यु के साथ, परिवारों को एक ही समय में श्मशान और कब्रिस्तान में नौ अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया जाता है.

बीड जिले में एक और निराशाजनक घटना के रूप में, आठ कोविड ​​पीड़ित मृतकों का अंतिम संस्कार एक ही समय में काफी कम दूरी मे किया गया. औरंगाबाद के सिडको एन-12 कब्रिस्तान में नौ शवों का अंतिम संस्कार किया गया.

वहीं दाह संस्कार के लिए केवल तीन शेड उपलब्ध होने के कारण, छह कोविड पीड़ितों का खुले स्थान पर अंतिम संस्कार किया गया. मार्च के दौरान, 435 कोरोना मौतें हुईं और 1 अप्रैल से 7 अप्रैल के बीच 203 कोरोना मौतें हुईं.

ये भी पढ़ें : कोविड-रोधी टीके की कमी से मुंबई में टीकाकरण अभियान प्रभावित

श्मशान में अपने अनुभव को बताते हुए, मैसंजोगी लक्ष्मण गायकवाड़ ने कहा, 'पहले तीन से चार शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था, लेकिन अब सुबह सात बजे से आधी रात तक 15 से 20 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है' यहां परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की भारी भीड़ होती है.'

उन्होंने शिकायत की कि नगर निगम ने श्मशान में अपने कर्तव्यों का पालन करने वालों के लिए पर्याप्त सुविधाएं, पीपीई किट, सैनिटाइजर और मास्क नहीं दिए हैं.

मृत्यु का आंकड़ा चिंता का विषय बन गया है और नागरिकों के लिए अधिक सतर्क रहने का समय है.

औरंगाबाद : कोरोना वायरस के चलते अपने किसी प्रियजन को खोना दुखद है, लेकिन उससे भी ज्यादा दर्दनाक है परिवारों के लिए मृतकों को एक सम्मानजनक अंतिम विदाई न दे पाना.

मृत्यु के बाद सम्मानजनक अंतिम संस्कार भी नहीं मिल रहा कोरोना पीड़ितों को

दिवंगत आत्मा के लिए अंतिम संस्कार के लिए उचित जगह खोजना महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक कठिन कार्य है. वजह है यहां कोरोना वायरस प्रभावित मृतकों की संख्या में वृद्धि होना. मौतों में वृद्धि के साथ ही शहर में श्मशान स्थल और कब्रगाहों में जगह की कमी हो चली है.

मराठवाड़ा क्षेत्र में तीव्र गति से बढ़ती जा रही मृत्यु के साथ, परिवारों को एक ही समय में श्मशान और कब्रिस्तान में नौ अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया जाता है.

बीड जिले में एक और निराशाजनक घटना के रूप में, आठ कोविड ​​पीड़ित मृतकों का अंतिम संस्कार एक ही समय में काफी कम दूरी मे किया गया. औरंगाबाद के सिडको एन-12 कब्रिस्तान में नौ शवों का अंतिम संस्कार किया गया.

वहीं दाह संस्कार के लिए केवल तीन शेड उपलब्ध होने के कारण, छह कोविड पीड़ितों का खुले स्थान पर अंतिम संस्कार किया गया. मार्च के दौरान, 435 कोरोना मौतें हुईं और 1 अप्रैल से 7 अप्रैल के बीच 203 कोरोना मौतें हुईं.

ये भी पढ़ें : कोविड-रोधी टीके की कमी से मुंबई में टीकाकरण अभियान प्रभावित

श्मशान में अपने अनुभव को बताते हुए, मैसंजोगी लक्ष्मण गायकवाड़ ने कहा, 'पहले तीन से चार शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था, लेकिन अब सुबह सात बजे से आधी रात तक 15 से 20 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है' यहां परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों की भारी भीड़ होती है.'

उन्होंने शिकायत की कि नगर निगम ने श्मशान में अपने कर्तव्यों का पालन करने वालों के लिए पर्याप्त सुविधाएं, पीपीई किट, सैनिटाइजर और मास्क नहीं दिए हैं.

मृत्यु का आंकड़ा चिंता का विषय बन गया है और नागरिकों के लिए अधिक सतर्क रहने का समय है.

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