ETV Bharat / bharat

अवैध निर्माण के मामला: नारायण राणे को हाईकोर्ट से राहत, नगर निगम को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के जुहू स्थित बंगले के अनाधिकृत निर्माण मामले में दायर नई याचिका पर हाईकोर्ट ने बॉम्बे नगर निगम को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. , , , , ,

नारायण राणे
नारायण राणे
author img

By

Published : Jul 26, 2022, 10:38 AM IST

मुंबई : केंद्रीय मंत्री नारायण राणे द्वारा जुहू में बंगले के अवैध निर्माण के मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने अस्थायी राहत देते हुए मुंबई नगर निगम को इस संबंध में 2 सप्ताह के भीतर एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है बंगले को लेकर नई दायर याचिका पर सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने मुंबई नगर निगम को 2 हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है. साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि नारायण राणे के खिलाफ 2 हफ्ते तक कोई कानूनी कार्रवाई न की जाए. साथ ही राणे को अपने बंगले में कोई नया निर्माण नहीं करने का निर्देश देते हुए नगर पालिका के जवाब के बाद एक सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है. इस याचिका पर अगली सुनवाई 24 अगस्त को न्यायमूर्ति आर. डी धानुका की अदालत में होगी.

नारायण राणे को मुंबई नगर निगम की ओर से नोटिस जारी किया गया था. नोटिस राणे की पत्नी नीलम और बड़े बेटे नीलेश के निदेशक आर्टलाइन प्रॉपर्टीज के नाम से भेजा गया था. चूंकि इस कंपनी में राणे के कई शेयर हैं, इसलिए राणे कंपनी के स्वामित्व वाले इस बंगले में रहते हैं. एक नोटिस के माध्यम से चेतावनी दी गई थी कि राणे ने इस 11 मंजिला इमारत में कई अवैध निर्माण किये है और इसे ध्वस्त करना होगा. हालांकि राणे ने इस नोटिस को तुरंत चुनौती दी थी. फ्लोर स्पेस इंडेक्स एफएसआई के बिना बंगला योजनाओं को मंजूरी दी गई थी.

पढ़ें: बीएमसी की कार्रवाई के खिलाफ केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को हाईकोर्ट से मिली राहत

नगर पालिका ने आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उक्त अनुमति विकास नियंत्रण नियमों के अनुसार नहीं दी गई थी. साथ ही, नगर पालिका ने कहा है कि कथित अनधिकृत कार्य के प्रस्तावित विनियमन के लिए महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) से कोई पूर्व-अनुमोदन नहीं लिया गया है. बाम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय मंत्री नारायण राणे से कहा कि आवासीय ढांचे के अवैध हिस्सों को नियमित करने की अनुमति देने वाले कानून किसी व्यक्ति को अवैध निर्माण का लाइसेंस नहीं देते. न्यायमूर्ति आरडी धानुका और न्यायमूर्ति कमल खता की पीठ ने बृहन्मुंबई नगर निगम को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें बताया गया है कि राणे द्वारा यहां जुहू इलाके में उनके बंगले के कुछ हिस्सों को नियमित करने के लिए दायर दूसरे आवेदन पर नागरिक निकाय किन कानूनी आधारों पर विचार कर सकता है.

राजनीतिक बदले की भावना से आवेदन को किया गया खारिज : हाई कोर्ट ने 22 जून को राणे द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उनके आठ मंजिला निवास के हिस्से को नियमित करने से इनकार करने के बीएमसी के फैसले को चुनौती दी गई थी. राणे ने दावा किया था कि शिवसेना के नियंत्रण वाले निकाय ने राजनीतिक बदले की भावना से उनके नियमितीकरण के आवेदन को खारिज कर दिया. बीएमसी ने तर्क दिया था कि मंत्री ने मंजूरी योजनाओं का उल्लंघन किया और बंगले के लिए फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) का दुरुपयोग किया. राणे ने इस महीने की शुरुआत में अधिवक्ता शार्दुल सिंह के माध्यम से दूसरी अर्जी दाखिल की थी. उन्होंने इस आवेदन में दावा किया कि वह पहले की मांग की तुलना में विकास नियंत्रण और संवर्धन नियमन 2034 के नए प्रावधानों के तहत एक छोटे हिस्से के नियमितीकरण की मांग कर रहे थे.

पढ़ें: बीएमसी की टीम ने मुंबई में नारायण राणे के बंगले का किया निरीक्षण

शार्दुल सिंह ने यह भी तर्क दिया कि राणे, 'उनके कद के बावजूद,' वर्तमान मामले में केवल एक व्यक्ति थे जो अपने आवास के कुछ हिस्सों को नियमित करने के लिए कह रहे थे. जनता को खतरे में नहीं डालता मंत्री का आवास : राणे की ओर से सिंह ने तर्क दिया, 'मौजूदा मामला एक व्यक्ति के आवास का है. यह सार्वजनिक स्थान को प्रभावित नहीं करता है या जनता को खतरे में नहीं डालता है. मैं एक वाणिज्यिक उद्यम नहीं बना रहा हूं. मैं एक वाणिज्यिक निर्माता नहीं हूं, बल्कि एक निजी व्यक्ति हूं. सिंह ने आगे कहा कि राणे नियमितीकरण के दौरान किसी भी नियम का उल्लंघन न हो यह सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षण के अधीन रहने को तैयार थे. हालांकि, इसने पीठ को यह कहने के लिए प्रेरित किया कि एक निजी आवासीय संरचना के नियमितीकरण का प्रावधान किसी को अवैध रूप से निर्माण करने का लाइसेंस नहीं देता है.

बीएमसी ने राणे के नियमितीकरण के पहले आवेदन को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मंत्री ने स्वीकृत एफएसआई पर 300 फीसदी का निर्माण किया है. सोमवार को, बीएमसी के वकील अनिल साखरे ने हाई कोर्ट बेंच को बताया कि नागरिक निकाय कोई भी अनुमति देने से पहले राणे के आवेदन को एक निर्धारित प्रक्रिया के अधीन करेगा. हाई कोर्ट ने तब बीएमसी को राणे के आवेदन की स्थिरता के आधार पर अपना हलफनामा दायर करने और उक्त भूखंड पर अन्य हाउसिंग सोसाइटियों की सहमति हासिल करने के लिए कहा, जो इस तरह के नियमितीकरण से प्रभावित होंगे.

मुंबई : केंद्रीय मंत्री नारायण राणे द्वारा जुहू में बंगले के अवैध निर्माण के मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने अस्थायी राहत देते हुए मुंबई नगर निगम को इस संबंध में 2 सप्ताह के भीतर एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है बंगले को लेकर नई दायर याचिका पर सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने मुंबई नगर निगम को 2 हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है. साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि नारायण राणे के खिलाफ 2 हफ्ते तक कोई कानूनी कार्रवाई न की जाए. साथ ही राणे को अपने बंगले में कोई नया निर्माण नहीं करने का निर्देश देते हुए नगर पालिका के जवाब के बाद एक सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है. इस याचिका पर अगली सुनवाई 24 अगस्त को न्यायमूर्ति आर. डी धानुका की अदालत में होगी.

नारायण राणे को मुंबई नगर निगम की ओर से नोटिस जारी किया गया था. नोटिस राणे की पत्नी नीलम और बड़े बेटे नीलेश के निदेशक आर्टलाइन प्रॉपर्टीज के नाम से भेजा गया था. चूंकि इस कंपनी में राणे के कई शेयर हैं, इसलिए राणे कंपनी के स्वामित्व वाले इस बंगले में रहते हैं. एक नोटिस के माध्यम से चेतावनी दी गई थी कि राणे ने इस 11 मंजिला इमारत में कई अवैध निर्माण किये है और इसे ध्वस्त करना होगा. हालांकि राणे ने इस नोटिस को तुरंत चुनौती दी थी. फ्लोर स्पेस इंडेक्स एफएसआई के बिना बंगला योजनाओं को मंजूरी दी गई थी.

पढ़ें: बीएमसी की कार्रवाई के खिलाफ केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को हाईकोर्ट से मिली राहत

नगर पालिका ने आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उक्त अनुमति विकास नियंत्रण नियमों के अनुसार नहीं दी गई थी. साथ ही, नगर पालिका ने कहा है कि कथित अनधिकृत कार्य के प्रस्तावित विनियमन के लिए महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) से कोई पूर्व-अनुमोदन नहीं लिया गया है. बाम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय मंत्री नारायण राणे से कहा कि आवासीय ढांचे के अवैध हिस्सों को नियमित करने की अनुमति देने वाले कानून किसी व्यक्ति को अवैध निर्माण का लाइसेंस नहीं देते. न्यायमूर्ति आरडी धानुका और न्यायमूर्ति कमल खता की पीठ ने बृहन्मुंबई नगर निगम को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें बताया गया है कि राणे द्वारा यहां जुहू इलाके में उनके बंगले के कुछ हिस्सों को नियमित करने के लिए दायर दूसरे आवेदन पर नागरिक निकाय किन कानूनी आधारों पर विचार कर सकता है.

राजनीतिक बदले की भावना से आवेदन को किया गया खारिज : हाई कोर्ट ने 22 जून को राणे द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उनके आठ मंजिला निवास के हिस्से को नियमित करने से इनकार करने के बीएमसी के फैसले को चुनौती दी गई थी. राणे ने दावा किया था कि शिवसेना के नियंत्रण वाले निकाय ने राजनीतिक बदले की भावना से उनके नियमितीकरण के आवेदन को खारिज कर दिया. बीएमसी ने तर्क दिया था कि मंत्री ने मंजूरी योजनाओं का उल्लंघन किया और बंगले के लिए फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) का दुरुपयोग किया. राणे ने इस महीने की शुरुआत में अधिवक्ता शार्दुल सिंह के माध्यम से दूसरी अर्जी दाखिल की थी. उन्होंने इस आवेदन में दावा किया कि वह पहले की मांग की तुलना में विकास नियंत्रण और संवर्धन नियमन 2034 के नए प्रावधानों के तहत एक छोटे हिस्से के नियमितीकरण की मांग कर रहे थे.

पढ़ें: बीएमसी की टीम ने मुंबई में नारायण राणे के बंगले का किया निरीक्षण

शार्दुल सिंह ने यह भी तर्क दिया कि राणे, 'उनके कद के बावजूद,' वर्तमान मामले में केवल एक व्यक्ति थे जो अपने आवास के कुछ हिस्सों को नियमित करने के लिए कह रहे थे. जनता को खतरे में नहीं डालता मंत्री का आवास : राणे की ओर से सिंह ने तर्क दिया, 'मौजूदा मामला एक व्यक्ति के आवास का है. यह सार्वजनिक स्थान को प्रभावित नहीं करता है या जनता को खतरे में नहीं डालता है. मैं एक वाणिज्यिक उद्यम नहीं बना रहा हूं. मैं एक वाणिज्यिक निर्माता नहीं हूं, बल्कि एक निजी व्यक्ति हूं. सिंह ने आगे कहा कि राणे नियमितीकरण के दौरान किसी भी नियम का उल्लंघन न हो यह सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षण के अधीन रहने को तैयार थे. हालांकि, इसने पीठ को यह कहने के लिए प्रेरित किया कि एक निजी आवासीय संरचना के नियमितीकरण का प्रावधान किसी को अवैध रूप से निर्माण करने का लाइसेंस नहीं देता है.

बीएमसी ने राणे के नियमितीकरण के पहले आवेदन को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मंत्री ने स्वीकृत एफएसआई पर 300 फीसदी का निर्माण किया है. सोमवार को, बीएमसी के वकील अनिल साखरे ने हाई कोर्ट बेंच को बताया कि नागरिक निकाय कोई भी अनुमति देने से पहले राणे के आवेदन को एक निर्धारित प्रक्रिया के अधीन करेगा. हाई कोर्ट ने तब बीएमसी को राणे के आवेदन की स्थिरता के आधार पर अपना हलफनामा दायर करने और उक्त भूखंड पर अन्य हाउसिंग सोसाइटियों की सहमति हासिल करने के लिए कहा, जो इस तरह के नियमितीकरण से प्रभावित होंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.