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ईंधन का बेहतर विकल्प है हाइड्रोजन, मगर सावधानी नहीं बरती तो बढ़ सकती है ग्लोबल वॉर्मिंग - कार्बन डाइऑक्साइड

अभी तक दुनिया भर हुए रिसर्च के बाद ग्लोबल वार्मिंग के लिए कार्बन को जिम्मेदार माना गया, जो कल-कारखानों, बिजली संयंत्रों से निकलते हैं. इसके बाद वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजन को विकल्प के तौर पर अपनाने की सिफारिश की. मगर अब पता चला है कि प्योर हाइड्रोजन अगर हवा में लंबे समय तक घुलता रहे तो यह ग्लोबल वॉर्मिंग की हालत को और बदतर कर देगा. फिर ऐसे में हाइड्रोजन का उपयोग कैसे होना चाहिए, पढ़ें रिपोर्ट

HYDROGEN: FOREVER FUEL OR POTENTIAL DISASTER
HYDROGEN: FOREVER FUEL OR POTENTIAL DISASTER
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Published : Jun 1, 2022, 4:58 PM IST

नई दिल्ली : ग्लोबल वार्मिंग के कारण तूफान, बाढ़ और सूखा आम होता जा रहा है. जब समुद्र का स्तर बढ़ रहा है. ऐसे समय में दुनिया को जलवायु के अनुकूल ईंधन की तलाश है. कुछ समय पहले हाइड्रोजन को चमत्कारिक ईंधन माना गया. गंधहीन और रंगहीन गैस हाइड्रोजन आसानी से उपलब्ध है, यह जहरीली भी नहीं है लेकिन काफी ज्वलनशील है. एक्सपर्टस ने माना कि यह यह कारखानों, इमारतों, विमानों और जहाजों को बिजली दे सकता है और कार्बन डाइऑक्साइड को हवा में छोड़ने से रोक सकती है. लेकिन भविष्य के ईंधन पर हुए हालिया रिसर्च ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. रिसर्चर्स ने चेतावनी दी है कि हाइड्रोजन गैस वास्तव में ग्लोबल वार्मिंग को बदतर बना सकती है.

हाइड्रोजन गैस (H2) से होने वाले खतरे को अब तक कभी भी एक बड़ी चुनौती के रूप में नहीं देखा गया था क्योंकि इसका उपयोग केवल रिफाइनरियों और रासायनिक उर्वरक संयंत्रों तक ही सीमित था. हालांकि दुनिया के अमीर देश हाइड्रोजन आधारित अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण में भारी निवेश कर रहे हैं. जो इंडस्ट्री बिजली के लिए कार्बन से मुक्त चाहती हैं, वे हाइड्रोजन के जरिये पावर जेनरेट करने की प्लानिंग कर रही हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने संयुक्त राज्य अमेरिका में चार हाइड्रोजन हब स्थापित करने के लिए 8 बिलियन डॉलर का आवंटन भी किया है. प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने वाली कई कंपनियों ने पिछले दो वर्षों में 25 हाइड्रोजन पायलट परियोजनाएं भी शुरू की हैं. कार्बन डाइऑक्साइड, जिसे ग्रीनहाउस गैस के रूप में भी जाना जाता है. यह गैस ग्रीनहाउस इफेक्ट के कारण पृथ्वी को गर्म करती है. हाइड्रोजन से ग्रीन हाउस इफेक्ट तो नहीं होता है मगर एक बार जब इसे वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है, तो यह रासायनिक प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला बनाती है जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है.

HYDROGEN: FOREVER FUEL OR POTENTIAL DISASTER
हाइड्रोजन हब बनाने के लिए अमेरिका ने 8 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट किया है. फैक्ट यह है कि अगर 20 वर्षों तक हाइड्रोजन वायुमंडल में घुलती-मिलती रही तो इससे कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में लगभग 80 गुना अधिक नुकसान हो सकता है.

मिट्टी में सूक्ष्मजीव वातावरण में छोड़े गए हाइड्रोजन को अवशोषित करते हैं. दूसरी ओर, हाइड्रोजन हाइड्रॉक्सिल रेडिकल की मात्रा को काफी कम कर देती है. हाइड्रॉक्सिल रेडिकल एक ऐसा पदार्थ है, जो हवा से मीथेन को हटाता है. कार्बन डाइऑक्साइड की तरह मीथेन भी पर्यावरण के लिए हानिकारक है. अगर 20 वर्षों तक हाइड्रोजन वायुमंडल में घुलती-मिलती रही तो इससे कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में लगभग 80 गुना अधिक नुकसान हो सकता है.हाइड्रोजन के रिसाव के कारण पृथ्वी के क्षोभमंडल में कोहरे के बनने का खतरा है. क्षोभमंडल के ठीक ऊपर शुरू होने वाला समताप मंडल अधिक ऊष्मा अवशोषित करता है. ये दुष्प्रभाव हाइड्रोजन के रिसाव से कुछ वर्षों के भीतर हो सकते हैं.

हाइड्रोजन का उपयोग शुद्ध ईंधन के रूप में किया जा सकता है और इससे बिजली भी पैदा की जा सकती है. सोलर और विंड पावर के विपरीत, इससे उत्पन्न ऊर्जा को भारी मात्रा में जमा किया जा सकता है. ऑक्सीजन की आवश्यकता के बिना हाइड्रोजन को पानी से अलग किया जा सकता है. इस प्रक्रिया के दौरान कोई हानिकारक पदार्थ उत्सर्जित नहीं होते हैं. दिक्कत यह है कि हाइड्रोजन गैस स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टैंक जैसे उपकरणों से आसानी से निकल जाती है. गैस पाइपलाइनों के माध्यम से हाइड्रोजन का डिस्ट्रिब्यूशन और इसे घरों में उपयोग करना सुरक्षित नहीं है.

यदि सावधानी से उपयोग किया जाए तो कोई हाइड्रोजन पर्यावरण को भी लाभ पहुंचा सकता है. हालांकि शोधकर्ताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि एक छोटी सी गलती आपदा का कारण बन सकती है. ब्रिटेन में वैज्ञानिकों ने हाल ही में चमत्कारिक ईंधन पर गहन शोध के बाद कई सुझावों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है. इसमें कोई तर्क नहीं है कि जीवाश्म ईंधन से कार्बन उत्सर्जन से बचने के लिए हाइड्रोजन एक बढ़िया विकल्प है मगर इसके रिसाव पर कंट्रोल करना चुनौती है. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की रिसर्च स्कॉलर डॉ निकोला वारविक और एनवायरनमेंटल डिफेंस फंड में जलवायु वैज्ञानिक इलिसा ओको ने कहा कि हाइड्रोजन आधारित सिस्टम स्थापित करते समय अत्यधिक सावधानी और सावधानी बरतनी चाहिए.

पढ़ें : ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण धरती पर मंडरा रहा विनाश का खतरा

नई दिल्ली : ग्लोबल वार्मिंग के कारण तूफान, बाढ़ और सूखा आम होता जा रहा है. जब समुद्र का स्तर बढ़ रहा है. ऐसे समय में दुनिया को जलवायु के अनुकूल ईंधन की तलाश है. कुछ समय पहले हाइड्रोजन को चमत्कारिक ईंधन माना गया. गंधहीन और रंगहीन गैस हाइड्रोजन आसानी से उपलब्ध है, यह जहरीली भी नहीं है लेकिन काफी ज्वलनशील है. एक्सपर्टस ने माना कि यह यह कारखानों, इमारतों, विमानों और जहाजों को बिजली दे सकता है और कार्बन डाइऑक्साइड को हवा में छोड़ने से रोक सकती है. लेकिन भविष्य के ईंधन पर हुए हालिया रिसर्च ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. रिसर्चर्स ने चेतावनी दी है कि हाइड्रोजन गैस वास्तव में ग्लोबल वार्मिंग को बदतर बना सकती है.

हाइड्रोजन गैस (H2) से होने वाले खतरे को अब तक कभी भी एक बड़ी चुनौती के रूप में नहीं देखा गया था क्योंकि इसका उपयोग केवल रिफाइनरियों और रासायनिक उर्वरक संयंत्रों तक ही सीमित था. हालांकि दुनिया के अमीर देश हाइड्रोजन आधारित अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण में भारी निवेश कर रहे हैं. जो इंडस्ट्री बिजली के लिए कार्बन से मुक्त चाहती हैं, वे हाइड्रोजन के जरिये पावर जेनरेट करने की प्लानिंग कर रही हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने संयुक्त राज्य अमेरिका में चार हाइड्रोजन हब स्थापित करने के लिए 8 बिलियन डॉलर का आवंटन भी किया है. प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने वाली कई कंपनियों ने पिछले दो वर्षों में 25 हाइड्रोजन पायलट परियोजनाएं भी शुरू की हैं. कार्बन डाइऑक्साइड, जिसे ग्रीनहाउस गैस के रूप में भी जाना जाता है. यह गैस ग्रीनहाउस इफेक्ट के कारण पृथ्वी को गर्म करती है. हाइड्रोजन से ग्रीन हाउस इफेक्ट तो नहीं होता है मगर एक बार जब इसे वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है, तो यह रासायनिक प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला बनाती है जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है.

HYDROGEN: FOREVER FUEL OR POTENTIAL DISASTER
हाइड्रोजन हब बनाने के लिए अमेरिका ने 8 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट किया है. फैक्ट यह है कि अगर 20 वर्षों तक हाइड्रोजन वायुमंडल में घुलती-मिलती रही तो इससे कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में लगभग 80 गुना अधिक नुकसान हो सकता है.

मिट्टी में सूक्ष्मजीव वातावरण में छोड़े गए हाइड्रोजन को अवशोषित करते हैं. दूसरी ओर, हाइड्रोजन हाइड्रॉक्सिल रेडिकल की मात्रा को काफी कम कर देती है. हाइड्रॉक्सिल रेडिकल एक ऐसा पदार्थ है, जो हवा से मीथेन को हटाता है. कार्बन डाइऑक्साइड की तरह मीथेन भी पर्यावरण के लिए हानिकारक है. अगर 20 वर्षों तक हाइड्रोजन वायुमंडल में घुलती-मिलती रही तो इससे कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में लगभग 80 गुना अधिक नुकसान हो सकता है.हाइड्रोजन के रिसाव के कारण पृथ्वी के क्षोभमंडल में कोहरे के बनने का खतरा है. क्षोभमंडल के ठीक ऊपर शुरू होने वाला समताप मंडल अधिक ऊष्मा अवशोषित करता है. ये दुष्प्रभाव हाइड्रोजन के रिसाव से कुछ वर्षों के भीतर हो सकते हैं.

हाइड्रोजन का उपयोग शुद्ध ईंधन के रूप में किया जा सकता है और इससे बिजली भी पैदा की जा सकती है. सोलर और विंड पावर के विपरीत, इससे उत्पन्न ऊर्जा को भारी मात्रा में जमा किया जा सकता है. ऑक्सीजन की आवश्यकता के बिना हाइड्रोजन को पानी से अलग किया जा सकता है. इस प्रक्रिया के दौरान कोई हानिकारक पदार्थ उत्सर्जित नहीं होते हैं. दिक्कत यह है कि हाइड्रोजन गैस स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टैंक जैसे उपकरणों से आसानी से निकल जाती है. गैस पाइपलाइनों के माध्यम से हाइड्रोजन का डिस्ट्रिब्यूशन और इसे घरों में उपयोग करना सुरक्षित नहीं है.

यदि सावधानी से उपयोग किया जाए तो कोई हाइड्रोजन पर्यावरण को भी लाभ पहुंचा सकता है. हालांकि शोधकर्ताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि एक छोटी सी गलती आपदा का कारण बन सकती है. ब्रिटेन में वैज्ञानिकों ने हाल ही में चमत्कारिक ईंधन पर गहन शोध के बाद कई सुझावों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है. इसमें कोई तर्क नहीं है कि जीवाश्म ईंधन से कार्बन उत्सर्जन से बचने के लिए हाइड्रोजन एक बढ़िया विकल्प है मगर इसके रिसाव पर कंट्रोल करना चुनौती है. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की रिसर्च स्कॉलर डॉ निकोला वारविक और एनवायरनमेंटल डिफेंस फंड में जलवायु वैज्ञानिक इलिसा ओको ने कहा कि हाइड्रोजन आधारित सिस्टम स्थापित करते समय अत्यधिक सावधानी और सावधानी बरतनी चाहिए.

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