ETV Bharat / bharat

हैदरपोरा मुठभेड़ : कोर्ट ने बरकरार रखा मुआवजा, शव निकालने का आदेश देने से इनकार - Hyderpora encounter

हैदरपोरा मुठभेड़ मामले (Hyderpora encounter case) में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने पांच लाख के मुआवजे का आदेश बरकरार रखा है, लेकिन शव निकालने की इजाजत नहीं दी है. हालांकि परिवार को कुपवाड़ा के कब्रिस्तान में मृतक की फतेहा ख्वानी करने की अनुमति दी है.

Hyderpora encounter case
कोर्ट ने बरकरार रखा मुआवजा
author img

By

Published : Jul 1, 2022, 10:47 PM IST

श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर): जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को प्रशासन को निर्देश दिया कि वह आमिर माग्रे के परिवार को कुपवाड़ा के कब्रिस्तान में मृतक की फतेहा ख्वानी करने की अनुमति दे. हालांकि, अदालत ने उसका शव निकालने की अर्जी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. आमिर माग्रे पिछले साल हैदरपोरा में एक मुठभेड़ में मारा गया था, जिसे लेकर सवाल उठे थे.

मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल और न्यायाधीश जाविद इकबाल वानी की खंडपीठ ने अधिकारियों को आमिर माग्रे के पिता लतीफ माग्रे और उनके परिवार के सदस्यों (अधिकतम 10 व्यक्तियों) को वड्डर पाईन कब्रिस्तान में मृतक की फतेहा ख्वानी (धार्मिक अनुष्ठान / दफन के बाद प्रार्थना) करने की अनुमति देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी इसके लिए समय और तारीख तय करें. इन लोगों को कोरोना दिशा निर्देशों का पालन करना पड़ सकता है. उच्च न्यायालय ने एकल पीठ के आमिर माग्रे के परिवार को 5 लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश को बरकरार रखा. पीठ ने अपने 11 पन्नों के आदेश में कहा, 'यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रतिवादी नंबर 1 को अपीलकर्ताओं द्वारा उक्त मुआवजे का भुगतान भविष्य के लिए प्राथमिकता नहीं होगी...'

ये है मामला : अमीर माग्रे के पिता लतीफ माग्रे ने एक रिट याचिका दायर कर अपने बेटे के शव को निकालने की मांग की थी और यह भी मांग की थी कि इसे उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार करने के लिए परिवार को सौंप दिया जाए. एकल पीठ ने याचिका को स्वीकार कर लिया था और पांच लाख रुपये का मुआवजा देने के भी आदेश दिए थे. कोर्ट ने प्रशासन की कार्रवाई को समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए आमिर माग्रे का शव कब्र से निकालने तथा अंतिम संस्कार के लिए उसके परिवार को सौंपने का आदेश दिया था. लेकिन राज्य ने सर्वोच्च न्यायालय में उस आदेश के खिलाफ अपील की थी. शीर्ष कोर्ट ने उन्हें उच्च न्यायालय की बड़ी पीठ के समक्ष अपील करने के लिए कहा था. अब हाई कोर्ट ने मुआवजे का आदेश बरकरार रखा, लेकिन शव निकालने की अर्जी को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट ने मृतक की फतेहा ख्वानी करने की अनुमति दी है.

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी : कोर्ट ने कहा कि लतीफ माग्रे के वकील की प्रार्थना कि उसे और उसके परिवार के सदस्यों को मृतक की कब्र खोलकर मृतक का चेहरा देखने की अनुमति दी जाए, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है और अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसकी वजह ये है कि मृतक शव दफनाने के तुरंत बाद विघटित होना शुरू हो जाता है, और दूसरा रिट याचिकाकर्ता द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दिए गए बयान को देखते हुए ऐसा किया गया है. एडवोकेट दीपिका राजावत ने 'ईटीवी भारत' को बताया, 'मेरे मुवक्किल फैसले से असंतुष्ट हैं. हम कल ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.'

पढ़ें- हैदरपोरा मुठभेड़ : कोर्ट के आदेश के बाद भी परिवार को बेटे का शव मिलने का इंतजार

श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर): जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को प्रशासन को निर्देश दिया कि वह आमिर माग्रे के परिवार को कुपवाड़ा के कब्रिस्तान में मृतक की फतेहा ख्वानी करने की अनुमति दे. हालांकि, अदालत ने उसका शव निकालने की अर्जी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. आमिर माग्रे पिछले साल हैदरपोरा में एक मुठभेड़ में मारा गया था, जिसे लेकर सवाल उठे थे.

मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल और न्यायाधीश जाविद इकबाल वानी की खंडपीठ ने अधिकारियों को आमिर माग्रे के पिता लतीफ माग्रे और उनके परिवार के सदस्यों (अधिकतम 10 व्यक्तियों) को वड्डर पाईन कब्रिस्तान में मृतक की फतेहा ख्वानी (धार्मिक अनुष्ठान / दफन के बाद प्रार्थना) करने की अनुमति देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी इसके लिए समय और तारीख तय करें. इन लोगों को कोरोना दिशा निर्देशों का पालन करना पड़ सकता है. उच्च न्यायालय ने एकल पीठ के आमिर माग्रे के परिवार को 5 लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश को बरकरार रखा. पीठ ने अपने 11 पन्नों के आदेश में कहा, 'यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रतिवादी नंबर 1 को अपीलकर्ताओं द्वारा उक्त मुआवजे का भुगतान भविष्य के लिए प्राथमिकता नहीं होगी...'

ये है मामला : अमीर माग्रे के पिता लतीफ माग्रे ने एक रिट याचिका दायर कर अपने बेटे के शव को निकालने की मांग की थी और यह भी मांग की थी कि इसे उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार करने के लिए परिवार को सौंप दिया जाए. एकल पीठ ने याचिका को स्वीकार कर लिया था और पांच लाख रुपये का मुआवजा देने के भी आदेश दिए थे. कोर्ट ने प्रशासन की कार्रवाई को समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए आमिर माग्रे का शव कब्र से निकालने तथा अंतिम संस्कार के लिए उसके परिवार को सौंपने का आदेश दिया था. लेकिन राज्य ने सर्वोच्च न्यायालय में उस आदेश के खिलाफ अपील की थी. शीर्ष कोर्ट ने उन्हें उच्च न्यायालय की बड़ी पीठ के समक्ष अपील करने के लिए कहा था. अब हाई कोर्ट ने मुआवजे का आदेश बरकरार रखा, लेकिन शव निकालने की अर्जी को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट ने मृतक की फतेहा ख्वानी करने की अनुमति दी है.

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी : कोर्ट ने कहा कि लतीफ माग्रे के वकील की प्रार्थना कि उसे और उसके परिवार के सदस्यों को मृतक की कब्र खोलकर मृतक का चेहरा देखने की अनुमति दी जाए, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है और अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसकी वजह ये है कि मृतक शव दफनाने के तुरंत बाद विघटित होना शुरू हो जाता है, और दूसरा रिट याचिकाकर्ता द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दिए गए बयान को देखते हुए ऐसा किया गया है. एडवोकेट दीपिका राजावत ने 'ईटीवी भारत' को बताया, 'मेरे मुवक्किल फैसले से असंतुष्ट हैं. हम कल ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.'

पढ़ें- हैदरपोरा मुठभेड़ : कोर्ट के आदेश के बाद भी परिवार को बेटे का शव मिलने का इंतजार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.