देहरादून: हैदराबाद के वैशाख चंद्रन भी आज IMA से पास आउट हो गये हैं. वैशाख चंद्रन के सेना में अधिकारी बनने के बाद उनके परिवार में खुशी का माहौल है. वैशाख चंद्रन का पूरा परिवार फौजियों से भरा है. उनके पिता, दादा, नाना और यहां तक की उनकी बहन श्रुति के पति भी एक सैनिक हैं. अब वैशाख परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देश सेवा की राह पर निकल पड़े हैं.
देहरादून इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) से पास आउट होकर हैदराबाद RT सेंटर के रहने वाले वैशाख चंद्रन भी अपनी खानदानी राष्ट्र सेवा फौजियों वाली परंपरा को आगे बढ़ाने निकल पड़े हैं. आईएमए जैंटलमैन कैडेट का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर सेना में बतौर लेफ्टिनेंट बने हैदराबाद निवासी वैशाख चंद्रन का पूरा कुटुंब फौजियों से भरा है. उनके पिता, दादा, नाना और यहां तक कि उनकी बहन श्रुति के पति भी एक सैनिक हैं. राष्ट्र सेवा की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वैशाख चंद्रन भी अब सेना में अधिकारी बनकर अपने फौजियों वाले परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाने की बात कह रहे हैं.
लेफ्टिनेंट वैशाख चंद्रन की मां अनीता सुनील चंद्रन का कहना है कि लगभग डेढ़ साल बाद वे बेटे को मिले हैं. आज इंडियन मिलिट्री एकेडमी जैसे ऐतिहासिक सैन्य धाम से बेटा अफसर बनकर देश सेवा में जा रहा है इससे बड़ी खुशी कोई दूसरी हो ही नहीं सकती है.
देश सेवा में जाने से बड़ी और कोई खुशी नहीं: IMA से पास आउट हुए वैशाख चंद्रन की मां अनीता सुनील चंद्रन कहती हैं कि उनका पूरा परिवार-खानदान पीढ़ी दर पीढ़ी देश सेवा की परंपरा को आगे बढ़ा रहा है. अब उनका बेटा भी राष्ट्र सेवा की ओर बढ़ चला है. जिससे पूरा परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहा है. साल 2020 सितंबर माह में बेटे ने आईएमए ज्वाइन किया था. जिसके बाद आज उसे ऑफिसर बनते देख खुशी का ठिकाना नहीं है.
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वैशाख की मां अनीता कहती हैं कि उनके पिता, पति, ससुर और बेटी के पति भी फौजी हैं. ऐसे में वैशाख का भी बचपन से फौज ज्वाइन करने का सपना था, जो आज पूरा हो गया है. आज वह परिवार की परंपरा को देश सेवा में आगे ले जाना चाहता है. इससे बड़ी खुशी और कुछ नहीं है. जिस सपने को उसने देखा था आज उसे अपनी मेहनत और लगन से पूरा करके दिखाया है.
परंपरा को आगे बढ़ाकर भाई ने जीता सबका दिल: वहीं, लेफ्टिनेंट वैशाख चंद्रन की बहन श्रुति चंद्रन कहती हैं कि भाई का सपना परिवार के बड़े बुजुर्गों के मुताबिक ही आर्मी ज्वाइन करने का था. उसने पूरी लगन, ईमानदारी के साथ मेहनत की. जिसका नतीजा है कि आज वह आईएमए से एक अधिकारी बनकर पास आउट हो रहा है. उनकी इस उपलब्धि से परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहा है. श्रुति कहती हैं कि उनके भाई ने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाकर सबका दिल जीत लिया है.