हैदराबाद : इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) क्रिकेट में सट्टेबाजी के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया ह. इस मामले में तेलंगाना की राचकोंडा पुलिस ने 56 लाख रुपये की संपत्ति भी जब्त की है. राचकोंडा पुलिस आयुक्त महेश भागवत ने बताया कि गुप्त सूचना पर विशेष अभियान दल (एसओटी) ने वनस्थलीपुरम इलाके के सत्य नगर कॉलोनी में छापेमारी की. उन्होंने बताया कि पुलिस ने ऑनलाइन क्रिकेट सट्टेबाजी से जुड़े सात आरोपियों को गिरफ्तार किया.
बैंक खातों में मिले 31 लाख से अधिक रुपये : हैदराबाद में सट्टेबाजी से जुड़े सात लोगों की गिरफ्तारी के अलावा तेलंगाना की राचकोंडा पुलिस ने 11.80 लाख रुपये नकद भी जब्त किए. जांच के दौरान पुलिस को दो बैंक खातों में 31 लाख रुपये से अधिक की राशि मिली. जानकारी के मुताबिक आईपीएल में सट्टेबाजी की सूचना पर छापेमारी उस समय की गई जब राजस्थान रॉयल्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के बीच चल रहे मैच के दौरान ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बुकिंग कर रहे थे.
आंध्र प्रदेश के सटोरिये हैदराबाद में गिरफ्तार : क्रिकेट में सट्टेबाजी करने के आरोप में पकड़ गए लोगों के खिलाफ तेलंगाना स्टेट गेमिंग एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान बुकी तन्निरु नागराजू, लाइन ऑपरेटर गुंडू किशोर, उप बुकी तन्निरु अशोक और चेम्मती विनोद, पेंटर कोटला दिनेश भार्गव, मेदिशेट्टी किशोर और बोजाना राजू के रूप में हुई. दो अन्य आरोपी फरार हैं. मुख्य आरोपी सभी पड़ोसी आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं.
सट्टेबाजी से जुड़े तो पासपोर्ट नहीं बनेगा : जानकारी के मुताबिक नागराजू को साल 2016 में भी सट्टेबाजी प्रकरण में पकड़ा जा चुका है. वनस्थलीपुरम पुलिस ने नागराजू को गिरफ्तार किया था. करीब छह साल पहले भी वह अपने दोस्त किरहोरे और दो दूर के रिश्तेदारों अशोक और विनोद के साथ सट्टेबाजी रैकेट चलाता था. पुलिस आयुक्त महेश भागवत ने युवाओं से क्रिकेट में सट्टेबाजी से दूर रहने की अपील की. उन्होंने कहा कि मामले में पुलिस की कार्रवाई से आरोपियों के पासपोर्ट हासिल करने और नौकरी पाने की संभावना खत्म हो जाएगी. उन्होंने आगाह किया कि सट्टेबाजी एक दिन के लिए मजेदार दिख सकती है लेकिन इसमें संलिप्त होने पर जीवन भर इसके नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ेंगे.
सट्टेबाजी कैसे करता है गिरोह : पुलिस ने बताया, आरोपियों ने सट्टेबाजी के लिए टेलीफोन लाइनों की व्यवस्था की. इसके बाद ये नंबर पंटर्स को दिए जाते हैं जो पूरे मैच पर नजर रखता है. सट्टेबाजी पहले ओवर की पहली गेंद से शुरू होकर आखिरी गेंद तक चलती है. पुलिस के मुताबिक आईपीएल में ऑनलाइन बेटिंग के दौरान मैच की स्थिति के आधार पर उतार-चढ़ाव भी होता है. मैच के बीच में पंटर्स सटोरियों को कॉल करते हैं और अपनी बेटिंग यानी पैसे लगाते हैं. उन्होंने बताया कि सट्टेबाजी करते समय, पंटर की डिटेल नोट की जाती है और बातचीत की ऑटोमेटिक रिकॉर्डिंग भी होती है.
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सटोरियों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने बेटिंग की मोडस ऑपरेंडी के बारे में बताया कि मैच पूरा होने के बाद सट्टेबाज अपने कलेक्शन एजेंट को पैसा जमा करने और बांटने का विवरण देते हैं. इसमें तय होता है कि पंटर से कितनी राशि का लेनदेन होना है. इस जानकारी के आधार पर कलेक्शन एजेंट हारे हुए लोगों से पैसे जमा करते हैं और जीतने वाले लोगों के बीच पैसे का बंटवारा किया जाता है. बचे हुए पैसे यानी प्रॉफिट बुकी यानी सट्टेबाज के हिस्से में जाते हैं. कभी-कभी सट्टेबाज पेटीएम, नेट बैंकिंग के माध्यम से बैंक खातों में पैसा भेजते हैं. मुख्य सट्टेबाज कुल मुनाफे का 3 फीसद उप सट्टेबाजों को देता है.
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बता दें कि क्रिकेट में मैच फिक्सिंग का किस्सा काफी पुराना है. क्रिकेट के इतिहास में सबसे बड़ा मैच फिक्सिंग कांड साल 2000 में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेली जा रही द्विपक्षीय श्रृंखला में देखने को मिला. इस मामले में दोनों टीमों के कप्तान हैंसी क्रोनिए और मोहम्मद अजहरुद्दीन मुख्य आरोपी थे. आईपीएल में साल 2012 और 2013 में फिक्सिंग का प्रकरण सामने आया था. 2012 की आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग की घटना के खुलासे के बाद आईपीएल फ्रेंचाइजी राजस्थान रॉयल्स के क्रिकेटर्स श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजित चंदीला का नाम मैच फिक्सिंग में सामने आया था. IPL स्पॉट फिक्सिंग मामले में BCCI ने तेज गेंदबाज टीपी सुधींद्र पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया.