रांची : लॉकडाउन और करोना काल के दौरान भी मानव तस्करी के मामले (Human Trafficking Case) सामने आ रहे हैं. रांची रेलवे स्टेशन से आरपीएफ की नन्हे फरिश्ते और मेरी सहेली की टीम ने दो मामलों में 8 लड़कियों को रेस्क्यू किया है. एक व्यक्ति और संदिग्ध महिला के साथ यह लड़कियां दिल्ली जा रही थीं.
झारखंड से मानव तस्करी का नाता पुराना है. यहां की आदिवासी लड़कियों को बहला-फुसलाकर दिल्ली के अलावा विभिन्न शहरों में काम दिलाने के नाम पर ठगा जाता है. ये लड़कियां राज्य से बाहर निकलने के बाद कहीं गुम हो जाती हैं.
सूबे में लगातार ऐसे मामले सामने आते हैं. लॉकडाउन और कोरोना काल के दौरान भी कई मामले सामने आए हैं. इस कड़ी में रांची रेलवे स्टेशन पर दो संदिग्ध व्यक्तियों के साथ जा रही 8 लड़कियों को मेरी सहेली और नन्हे फरिश्ते की टीम ने रोका और पूछताछ की.
काम दिलाने के बहाने दिल्ली ले जा रहे थे
दरअसल, नन्हे फरिश्ते और मेरी सहेली की टीम की मदद से संयुक्त रूप से रांची रेल मंडल के विभिन्न स्टेशनों पर जांच अभियान चलाया जा रहा है. चेकिंग के दौरान स्टेशन के मुख्य द्वार के पास एक व्यक्ति के साथ तीन नाबालिग लड़कियों को संदिग्ध अवस्था में पाया गया. शक के आधार पर जब उनसे पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि वह इस व्यक्ति को सही तरीके से नहीं जानती हैं. वह उन्हें काम दिलाने के नाम पर दिल्ली ले जा रहे थे.
सिमडेगा की रहने वाली हैं तीन लड़कियां
तीनों नाबालिग लड़कियां सिमडेगा जिले की रहने वाली हैं. दूसरी ओर रांची रेलवे स्टेशन पर ही जांच के दौरान एक अन्य महिला के साथ पांच लड़कियां स्टेशन पर बैठी थीं. उनसे भी जब पूछताछ की गई तो पता चला कि ये छत्तीसगढ़ के जसपुर की रहने वाली हैं और उन्हें भी काम दिलाने के नाम पर दिल्ली ले जाया जा रहा था.
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दोनों मामले को लेकर गुमला और सिमडेगा थाना को सूचना दी गई. इन लड़कियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उन्हें रेलवे चाइल्ड लाइन रांची को सौंप दिया गया. जिनके साथ यह लड़कियां दिल्ली जा रही थी उन्हें फिलहाल पूछताछ के लिए रेल पुलिस कस्टडी में रखी गया है.