नई दिल्ली : देश में कोरोना की दूसरी लहर कहर बरपा रही है. देश में हर दिन तीन लाख से अधिक कोरोना मामले आ रहे हैं. कोरोना मामलों में तेजी से वृद्धि चलते पूरे देश में ऑक्सीजन की खपत काफी हद तक बढ़ गई है, जिसके कारण ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा अनेक राज्यों में महत्वपूर्ण हो गया है.
रेलवे ने जरूरतमंद राज्यों तक ऑक्सीजन टैंक पहुंचाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस का परिवहन शुरू किया जो टैंकरों में विखापट्टनम, बोकारो, राउरकेला जैसे ऑक्सीजन संयंत्रों से ऑक्सीजन को लेकर राज्यों तक पहुंचता है.
दिल्ली में ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को लेकर दिल्ली सरकार ने भारतीय रेलवे से 'ऑक्सीजन एक्सप्रेस' ट्रेन सेवा उपलब्ध कराने का आग्रह किया है.
उत्तर रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार ने कहा कि इस सबंध में हमने मंजूरी दे दी है, जिसके बाद दिल्ली सरकार को अन्य औपचारिकताओं को पूरा करना होगा और हमें लोडिंग और अन्य संबंधित औपचारिकताओं के लिए टैंकर देने होंगे.
रेल मंत्रालय में कार्यकारी निदेशक आरडी बाजपेयी ने बताया कि दिल्ली सरकार ने अपने पत्र में 9 स्थानों से ऑक्सीजन लोड करने के लिए कहा है. हमने व्यवहार्यता की जांच की और बताया कि हम इन 9 स्थानों में से 7 से ऑक्सीजन ले जा सकते हैं और 2 स्थान तकनीकी कारणों से संभव नहीं हैं. उनसे टैंकर की व्यवस्था करने अनुरोध किया गया.
ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों के प्रत्येक टैंकर में लगभग 16 टन चिकित्सीय ऑक्सीजन होती है और ये ट्रेन 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं.
उत्तर प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ट्रेन की आवाजाही के लिए, लखनऊ से वाराणसी के बीच एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. 270 किमी की दूरी 62.35 किमी प्रति घंटे की औसत गति के साथ 4 घंटे 20 मिनट में ट्रेन द्वारा कवर की गई.
रेलवे ने पिछले 24 घंटे में विभिन्न राज्यों में 10 कंटेनरों के जरिए करीब 150 टन तरल चिकित्सकीय ऑक्सीजन (एलएमओ) की आपूर्ति की है. रेलवे ने शनिवार को यह जानकारी दी.
ऑक्सीजन एक्सप्रेस रेलगाड़ियां शनिवार को महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश में आपूर्ति के लिए तरल चिकित्सकीय ऑक्सीजन (एलएमओ) लेकर क्रमश: नासिक और लखनऊ पहुंचीं.
ऑक्सीजन के परिवहन के दौरान रेलवे को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है क्योंकि इस रसायन की खतरनाक प्रकृति के कारण अचानक त्वरण से बचने के लिए बीच में दबाव की जांच करनी पड़ती है.