कोच्चि (केरल) : उच्च न्यायालय में प्रस्तुत एक हलफनामे में केरल यूनिवर्सिटी फॉर हेल्थ साइंसेज ने कहा कि नाइटलाइफ के लिए 'हॉस्टल टूरिस्ट होम नहीं हैं' और छात्रों को रात में बाहर जाने की जरूरत नहीं है. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा रात 9.30 बजे के बाद छात्रावास से बाहर जाने पर रोक लगाने वाली अधिसूचना के खिलाफ सरकारी मेडिकल कॉलेज कोझिकोड की कुछ छात्राओं द्वारा दायर याचिका के जवाब में विश्वविद्यालय द्वारा हलफनामा प्रस्तुत किया गया था.
हलफनामे में यूनिवर्सिटी ने आगे कहा कि लोग 25 साल की उम्र में परिपक्वता तक पहुंचते हैं. इससे पहले जो कुछ भी कहा जाता है वह स्वीकार्य नहीं है. अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों के अनुसार, एक व्यक्ति 25 साल की उम्र में पूर्ण परिपक्वता तक पहुंचता है. वे पढ़ने के लिए छात्रावास में रहते हैं नाइटलाइफ का आनंद लेने के लिए नहीं. उन्हें रात में बाहर नहीं जाना पड़ता. रात 9 बजे कॉलेज के पुस्तकालय बंद हो जाते हैं. इसलिए यह कहने में कोई गलती नहीं है कि उनको छात्रावास में 9.30 बजे प्रवेश करना होगा.
आज की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने छात्रावासों में समय की पाबंदी को लेकर स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग द्वारा जारी नये आदेश को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया. रात्रि 9.30 बजे के बाद स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के आदेशानुसार बालक एवं बालिकाओं दोनों को संचलन पंजिका में सूचना दर्ज कर छात्रावास में प्रवेश की अनुमति दी जायेगी. यह नियम दूसरे वर्ष से छात्रों के लिए लागू होगा. न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन की एकल पीठ ने राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि क्या परिसरों में वाचनालय रात में भी काम कर सकते हैं.
कोर्ट ने प्राचार्यों से कहा कि छात्रों के अनुरोध पर रात में वाचनालय खोलने पर फैसला लें. सरकार को इस पर भी स्टैंड लेना चाहिए कि क्या छात्र रात 9.30 बजे के बाद हॉस्टल छोड़ सकते हैं. कोर्ट ने मामले की अगली तारीख 22 दिसंबर यानी गुरुवार तय की और राज्य सरकार को इस पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. याचिकाकर्ताओं ने केरल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के तहत संबद्ध शैक्षिक संस्थानों में छात्रावासों की मान्यता के लिए अध्यादेश के कई खंडों को भी चुनौती दी है, जिसके तहत छात्रों के रिडिंग रूम के उपयोग के समय को भी सीमित किया गया है.
(एएनआई)