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अस्पतालों को नहीं मिल रहा ऑक्सीजन का तय कोटा

ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों पर जयपुर गोल्डन अस्पताल के एमडी ने कहा कि ऑक्सीजन का तय कोटा भी नहीं मिला जिससे कोरोना बेड्स हटाए जा रहे हैं और मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है.

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Published : Apr 24, 2021, 9:21 PM IST

Updated : Apr 25, 2021, 9:38 AM IST

नई दिल्ली : जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से लगातार मरीजों के मौत की खबरें आ रही है. अभी तक मिली जानकारी के अनुसार यहां 26 से ज्यादा मौतें हो चुकी है. हालांकि सूत्र बताते हैं कि वास्तविक आंकड़ा 30 से 35 हो सकता है. अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक यहां कुल 200 मरीजों की व्यवस्था है और अब सभी बेड भर चुके हैं. लिहाजा जयपुर गोल्डन अस्पताल ने अब नए मरीज भर्ती करना बंद कर दिए हैं.

अस्पतालों को नहीं मिल रहा ऑक्सीजन का तय कोटा

दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों पर अस्पताल प्रसाशन का पक्ष सामने आया है. अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर ने कहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा तय कोटे का केवल 40% ही उन्हें मिल सका है और वह भी 6-7 घंटे देरी से मिला. जयपुर गोल्डन के मेडिकल डायरेक्टर डीके बलूजा ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी का बहुत बड़ा हर्जाना अस्पताल को चुकाना पड़ा है और अब तक 20 मरीजों की जान गई है.

जयपुर गोल्डन अस्पताल के बाहर से जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता

दिल्ली सरकार द्वारा लिखित में यह दिया गया है कि अस्पताल को 3.6 मीट्रिक टन ऑक्सीजन हर 24 घंटे में मिलेगी लेकिन परसों इनॉक्स टैंकर आया और 5:30 बजे ऑक्सीजन भर कर गया. इसके मुताबिक अगली रिफिलिंग कल 5:30 होनी थी लेकिन कई कॉल और संदेश के बाद भी ऑक्सीजन समय पर नहीं पहुंचा. उस समय अस्पताल में कुल 235 मरीज भर्ती थे जिसमें 35 मरीज आईसीयू में थे जिन्हें लगातार ऑक्सीजन की जरूरत थी. इनॉक्स वालों ने अंततः देर रात लगभग 12:30 में केवल 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिया जो कि तय कोटे का केवल 40% होता है.

यह 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन भी 7 घंटे की देरी से जयपुर गोल्डन अस्पताल को दिया गया. जब ऑक्सीजन कम होने के स्तर पर आता है तो सप्लाई का दवाब कम हो जाता है. लेकिन जो मरीज क्रिटिकल केअर में होते हैं वह ऑक्सीजन पर ज्यादा निर्भर हो जाते हैं और ऐसे में सप्लाई प्रेशर के कम होने के कारण 20 मरीजों की जान चली गई. हालांकि अस्पताल के एमडी डॉ. डीके बलूजा ने बताया कि ये सभी मरीज पहले से ही आईसीयू में थे और उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी लेकिन ऑक्सीजन की कमी उनकी मौत में एक अहम कारण हो सकता है.

पढ़ें :- ऑक्सीजन किल्लत : दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों ने 50 फीसदी घटाए कोरोना बेड्स

अस्पताल प्रसाशन के बहुत प्रयासों के बाद शनिवार को एक बार फिर जयपुर गोल्डन को 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई दी गई है लेकिन डॉ. बलूजा का कहना है कि ये ऑक्सीजन भी केवल 5-6 घंटो तक के लिए ही है. इसके अलावा ऑक्सीजन टैंक में कुछ मात्रा में ऑक्सीजन लगातार भरा होना चाहिए जिससे कि सप्लाई का स्तर समान रूप से बना रहे. इन परिस्थितियों में अस्पताल को सुचारू रूप से चलाना मुश्किल हो रहा है और इसलिए अब जयपुर गोल्डेन अस्पताल ने नए मरीज लेने बंद कर दिए हैं.

डॉ. बलूजा ने कहा कि जब तक अस्पताल के लिए ऑक्सीजन सप्लाई का कोई ठोस इंतजाम नहीं किया जा सकता, वह मरीजों को जोखिम पर नहीं रख सकते और इसलिए भर्ती रोक दी गई है.
ऑक्सीजन की कमी से 25 से 30 मौतों की खबरों का खंडन करते हुए डॉ. बलूजा ने कहा कि सही आंकड़ा 20 ही है. कुछ मौतें अन्य कारणों से बाद में हुई हैं लेकिन उनका ऑक्सीजन सप्लाई से संबंध नहीं है.

नई दिल्ली : जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से लगातार मरीजों के मौत की खबरें आ रही है. अभी तक मिली जानकारी के अनुसार यहां 26 से ज्यादा मौतें हो चुकी है. हालांकि सूत्र बताते हैं कि वास्तविक आंकड़ा 30 से 35 हो सकता है. अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक यहां कुल 200 मरीजों की व्यवस्था है और अब सभी बेड भर चुके हैं. लिहाजा जयपुर गोल्डन अस्पताल ने अब नए मरीज भर्ती करना बंद कर दिए हैं.

अस्पतालों को नहीं मिल रहा ऑक्सीजन का तय कोटा

दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों पर अस्पताल प्रसाशन का पक्ष सामने आया है. अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर ने कहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा तय कोटे का केवल 40% ही उन्हें मिल सका है और वह भी 6-7 घंटे देरी से मिला. जयपुर गोल्डन के मेडिकल डायरेक्टर डीके बलूजा ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी का बहुत बड़ा हर्जाना अस्पताल को चुकाना पड़ा है और अब तक 20 मरीजों की जान गई है.

जयपुर गोल्डन अस्पताल के बाहर से जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता

दिल्ली सरकार द्वारा लिखित में यह दिया गया है कि अस्पताल को 3.6 मीट्रिक टन ऑक्सीजन हर 24 घंटे में मिलेगी लेकिन परसों इनॉक्स टैंकर आया और 5:30 बजे ऑक्सीजन भर कर गया. इसके मुताबिक अगली रिफिलिंग कल 5:30 होनी थी लेकिन कई कॉल और संदेश के बाद भी ऑक्सीजन समय पर नहीं पहुंचा. उस समय अस्पताल में कुल 235 मरीज भर्ती थे जिसमें 35 मरीज आईसीयू में थे जिन्हें लगातार ऑक्सीजन की जरूरत थी. इनॉक्स वालों ने अंततः देर रात लगभग 12:30 में केवल 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिया जो कि तय कोटे का केवल 40% होता है.

यह 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन भी 7 घंटे की देरी से जयपुर गोल्डन अस्पताल को दिया गया. जब ऑक्सीजन कम होने के स्तर पर आता है तो सप्लाई का दवाब कम हो जाता है. लेकिन जो मरीज क्रिटिकल केअर में होते हैं वह ऑक्सीजन पर ज्यादा निर्भर हो जाते हैं और ऐसे में सप्लाई प्रेशर के कम होने के कारण 20 मरीजों की जान चली गई. हालांकि अस्पताल के एमडी डॉ. डीके बलूजा ने बताया कि ये सभी मरीज पहले से ही आईसीयू में थे और उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी लेकिन ऑक्सीजन की कमी उनकी मौत में एक अहम कारण हो सकता है.

पढ़ें :- ऑक्सीजन किल्लत : दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों ने 50 फीसदी घटाए कोरोना बेड्स

अस्पताल प्रसाशन के बहुत प्रयासों के बाद शनिवार को एक बार फिर जयपुर गोल्डन को 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई दी गई है लेकिन डॉ. बलूजा का कहना है कि ये ऑक्सीजन भी केवल 5-6 घंटो तक के लिए ही है. इसके अलावा ऑक्सीजन टैंक में कुछ मात्रा में ऑक्सीजन लगातार भरा होना चाहिए जिससे कि सप्लाई का स्तर समान रूप से बना रहे. इन परिस्थितियों में अस्पताल को सुचारू रूप से चलाना मुश्किल हो रहा है और इसलिए अब जयपुर गोल्डेन अस्पताल ने नए मरीज लेने बंद कर दिए हैं.

डॉ. बलूजा ने कहा कि जब तक अस्पताल के लिए ऑक्सीजन सप्लाई का कोई ठोस इंतजाम नहीं किया जा सकता, वह मरीजों को जोखिम पर नहीं रख सकते और इसलिए भर्ती रोक दी गई है.
ऑक्सीजन की कमी से 25 से 30 मौतों की खबरों का खंडन करते हुए डॉ. बलूजा ने कहा कि सही आंकड़ा 20 ही है. कुछ मौतें अन्य कारणों से बाद में हुई हैं लेकिन उनका ऑक्सीजन सप्लाई से संबंध नहीं है.

Last Updated : Apr 25, 2021, 9:38 AM IST
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