नई दिल्ली: केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला (Home Secretary Ajay Kumar Bhalla) ने सोमवार को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, सेना और गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ मणिपुर की स्थिति पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैठक मुख्य रूप से प्रभावित लोगों के पुनर्वास पर केंद्रित थी. उन्होंने बताया कि हिंसा करने वाले अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और उग्रवादियों को म्यांमार से मणिपुर में प्रवेश करने से रोकने के लिए कार्रवाई की गई ताकि हिंसा को और नहीं भड़काया जा सके.
अधिकारी ने कहा, बैठक में संबंधित अधिकारियों ने बताया कि सामान्य स्थिति बनाए रखने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी पर्याप्त उपाय किए गए हैं. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पिछले दो दिनों के दौरान मणिपुर में किसी तरह की हिंसा की सूचना नहीं है और स्थिति सामान्य हो रही है. शीर्ष अदालत ने, हालांकि, केंद्र से प्रभावित लोगों की सुचारू वापसी सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों और पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. अदालत ने सरकार से हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों की संख्या और उनकी सुचारू वापसी सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों के बारे में भी जानकारी मांगी है.
इस बीच, मणिपुर में विपक्षी कांग्रेस ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है. पार्टी का कहना है कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से बिगड़ चुकी है और राज्य सरकार स्थिति को नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल रही है. इस संबंध में मणिपुर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मेघचंद सिंह ने कहा कि हम राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग को लेकर राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि मणिपुर सरकार कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने में पूरी तरह से विफल रही है और राज्य में पूरी तरह से अराजकता है.
सिंह ने केंद्र सरकार पर कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में स्थानीय अधिकारियों को सहायता प्रदान करने में देर से प्रतिक्रिया देने का भी आरोप लगाया. बता दें कि राज्य में केंद्रीय सशस्त्र बलों को तैनात किए जाने के बाद भी हिंसा जारी रही. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार मणिपुर में 3 मई से शुरू हुई हिंसा में कम से कम 60 लोगों की जान चली गई, 231 घायल हो गए और 1700 घर जल गए.