जयपुर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में शनिवार को यहां एक होटल में कड़ी सुरक्षा के बीच उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक शुरू हो गई. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई. बैठक में आंतरिक सुरक्षा, सड़क, परिवहन, उद्योग, पानी, बिजली और आम हितों के अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, लद्दाख के उपराज्यपाल राधा कृष्ण माथुर, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित व इन राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में मौजूद हैं. केंद्रीय गृहमंत्री शाह दिल्ली से विशेष विमान से जयपुर पहुंचे और सीधे सभा स्थल पर गए. यहां पहुंचने पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़, जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा और पार्टी के अन्य नेताओं ने हवाईअड्डे पर उनका स्वागत किया.
बैठक के बाद शाह भाजपा नेताओं से मिलने पार्टी के प्रदेश मुख्यालय जाएंगे. प्रदेश अध्यक्ष पूनिया ने कहा कि शाह चाय पान के लिए कार्यालय जाएंगे, इस दौरान वह नेताओं से मुलाकात करेंगे. बैठक को लेकर सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उत्तरी क्षेत्रीय परिषद में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ शामिल हैं.गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि बैठक में इन सदस्य राज्यों के मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, वरिष्ठ अधिकारी और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे.
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एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मोदी सरकार देश में सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को मजबूत करने और बढ़ावा देने के लिए अपनी रणनीति के तहत नियमित रूप से क्षेत्रीय परिषदों की बैठकें करती है.क्षेत्रीय परिषद एक या अधिक राज्यों को प्रभावित करने वाले मुद्दों या केंद्र और राज्यों के बीच के मुद्दों पर रचनात्मक तरीके से चर्चा करने के लिए एक मंच मुहैया कराती है. अधिकारी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में क्षेत्रीय परिषदों और इसकी स्थायी समितियों की बैठकों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है. क्षेत्रीय परिषदों द्वारा, सामाजिक और आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण मुद्दों पर राज्यों के बीच विचार-विमर्श के माध्यम से एक समन्वित दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलती है. क्षेत्रीय परिषद केंद्र, राज्यों और एक क्षेत्र में आने वाले कईं राज्यों से जुड़े मुद्दों को उठाती है. क्षेत्रीय परिषद केंद्र और राज्यों के बीच और एक क्षेत्र के कई राज्यों के बीच विवादों को हल करने के लिए एक मंच देती है.
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परिषद में मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की जाती है, जिसमें सीमा से संबंधित विवाद, सुरक्षा, बुनियादी ढांचे से संबंधित मामले जैसे सड़क, परिवहन, उद्योग, पानी और बिजली, वन और पर्यावरण, आवास, शिक्षा, पर्यटन, दूसरे राज्यों के बीच परिवहन, खाद्य सुरक्षा से संबंधित अन्य मामले शामिल हैं. देश में पांच क्षेत्रीय परिषद हैं, जिनकी स्थापना 1957 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15-22 के तहत की गयी थी.केंद्रीय गृहमंत्री इन पांच क्षेत्रीय परिषदों में से प्रत्येक के अध्यक्ष होते हैं. उपाध्यक्ष के पद पर मेजबान राज्य के मुख्यमंत्रियों को हर साल चक्रीय आधार पर चुना जाता है. इसके अलावा प्रत्येक राज्य के दो और मंत्रियों को राज्यपाल द्वारा सदस्यों के रूप में नामित किया जाता है.
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