नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को दार्जिलिंग, तराई और डूआर्स क्षेत्र के गोरखा प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार स्थायी शांति के लिए काम कर रही है.
दार्जिलिंग और डूआर्स के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने नॉर्थ ब्लॉक में शाह से मुलाकात की और अपनी मांगों को दोहराया, जिसके बाद उन्हें यह आश्वासन दिया गया. दरअसल गृह मंत्रालय ने गोरखाओं से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के उद्देश्य से त्रिपक्षीय वार्ता शुरू की है.
दार्जिलिंग से भाजपा सांसद राजू बिष्ट के नेतृत्व में आए गोरखा प्रतिनिधिमंडल में कई विधायक और नेता शामिल थे. पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व वहां के आयुक्त कृष्ण गुप्ता ने किया.
गृह मंत्री शाह ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि केंद्र सरकार गोरखाओं से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. बिष्ट ने कहा, 'यह पहली बार है कि बिना किसी आंदोलन और बंद के हमने गृह मंत्री के साथ एक घंटे से अधिक समय तक बात की. गृह मंत्री ने हमें आश्वासन दिया कि केंद्र इस मामले को देखेगा.'
बिष्ट ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री के समक्ष अपनी मांग रखी है. नवंबर में दूसरी वार्ता होगी जिसमें कोलकाता सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे.
बिष्ट ने कहा, 'दार्जिलिंग में लोकतंत्र नहीं है. 2001 के बाद से कोई पंचायत चुनाव नहीं हुआ और न ही 2017 के बाद से गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए) का चुनाव हुआ. दार्जिलिंग में नगर निगम भी एक नौकरशाह द्वारा चलाया जाता है.'
गौरतलब है कि जीटीए का गठन 2012 में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के नेताओं के बीच त्रिपक्षीय होने के बाद किया गया था. दार्जिलिंग के प्रतिनिधिमंडल ने 11 गोरखा उप-समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की भी मांग की. बाद में, गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि गोरखा नेताओं ने गोरखाओं और क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला.
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कुल मिलाकर जिस तरह से गृह मंत्रालय ने दिल्ली में त्रिपक्षीय वार्ता का आह्वान किया, उससे कुछ लोगों की भौंहें चढ़ गईं क्योंकि गैर-भाजपा दल के एक भी नेता को वार्ता में आमंत्रित नहीं किया गया.
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