ग्वालियर। शहर के मुरार क्षेत्र में लगभग 245 वर्ष पूर्व ब्रिटिश आर्किटेक्चर ने एक चर्च तैयार किया था, जिसे क्राइस्ट चर्च के नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि उस समय मुरार क्षेत्र में ब्रिटिश आर्मी का केंटोमेंट एरिया था. जिसके अफसर इसी चर्च में प्रार्थना करने के लिए जाया करते थे. यह चर्च ब्रिटिश आर्किटेक्चर का बेहद नायाब नमूना है, जोकि बलुआ पत्थर से निर्मित किया गया है. इस चर्च का स्वामित्व पहले चर्च ऑफ इंग्लैंड के हाथों में था. जिसे बाद में चर्च एक्ट 1927 के तहत चर्च ऑफ इंडिया (सीआईपीबीसी) और इंडियन चर्च एक्ट के तहत डाइस ऑफ नागपुर को हस्तांतरित कर दिया गया. आजकल नए रंग रोगन के साथ 245 साल पुराना यह चर्च बेहद आकर्षक और लुभावना लग रहा है. Gwalior 245 year old Church
ब्रिटिश जमाने में हुआ निर्माण : बड़ी बात यह है कि यह चर्च ही नहीं बल्कि विश्व में सभी क्राइस्ट चर्च एक जैसे ही होते हैं, जिनकी लेफ्ट में डाइस और राइट में वेबटिज्म (बबिस्तां) करने का स्थान होता है. ये जमीन से सीधे बनाए जाते हैं, जिनमें कोई बालकनी नहीं होती. यहां की प्रॉपर्टी ऑफिसर साक्षी मसीह ने बताया कि इस चर्च का नाम क्राइस्ट चर्च है. यह चर्च 245 साल पुराना है. ब्रिटिश जमाने में इसे बनाया गया था, सोल्जरस के लिए यहां वरशिप करते थे. फिर वॉर के टाइम वो लोग इसमें मारे गए. जिनमें से कुछ इसी में वारिद हैं और कुछ ग्रेवियाद में हैं और तभी से ये संस्था चलाई जा रही है. Gwalior 245 year old Church
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ये है कार्यक्रम की रूपरेखा : साक्षी मसीह बताती हैं कि यहां के फादर विसभ एचएन मसीह की दो साल पहले डेथ हो गई. उसके बाद मेरी मॉम प्रॉपर्टी ऑफिसर थीं. उनकी भी दो महीने पहले डेथ हो गई. अब उनकी जगह पर ये जिम्मेदारी मुझे दी गई है. यहां क्रिसमस को लेकर तैयारियां जारी हैं. चर्च के कार्यक्रम के अनुसार शाम के समय सबसे पहले केरोल सर्विस होगी. उसके बाद 24 को नाइट सर्विस है, जो शाम को 9 बजे से 12 बजे तक की जाएगी. उसके बाद केक कटिंग की जाएगी. 25 दिसंबर को सुबह 9 बजे से 1 बजे तक चर्च सर्विस की जाएगी. इस दौरान हर्षो उल्लास के साथ विभिन्न कार्यक्रम भी किए जायेंगे. जिसमें हर उम्र और वर्ग के लोग सहभागी होंगे. Gwalior 245 year old Church