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हिन्दू शख्स मुस्लिम मां की क्रब पर जाकर करता है इबादत

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Published : May 11, 2021, 12:10 PM IST

हमारा देश विविधताओं का देश है और इन विविधताओं में अगर हिन्दू-मुस्लिम एकता की कोई मिसाल देखने को मिल जाए तो क्या कहना. एक ऐसी ही मिसाल केरल के मलप्पुरम में एक कब्रिस्तान में देखने को मिली, जहां श्रीधरन नाम का एक शख्स उनका पालन-पोषण करने वाली मुस्लिम मां की क्रब पर हर शुक्रवार इबादत के लिए आता है.

A hindu man goes to his foster muslim mother's grave at mosque every friday
केरलः हिन्दू शख्स हर जुम्मे को मस्जिद में अपनी पालक मां की क्रब पर जाता है

मलप्पुरम : केरल के मलप्पुरम जिले के रहने वाले श्रीधरन हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं. श्रीधरन पवित्र रमजान महीने के दौरान सभी शुक्रवार को अदक्काकुंदु (Adakkakkundu) की मस्जिद के कब्रिस्तान में आकर अपनी मुस्लिम मां की कब्र पर इबादत करते हैं. बता दें कि मुस्लिम महिला टी जुबैदा ने श्रीधरन का पालन-पोषण किया था.

श्रीधरन यूएई में काम करते हैं. जब मस्जिद में जुमे की नमाज शुरू होती है, तो श्रीधरन भी मस्जिद परिसर में परवरिश करने वाली मां जुबैदा की कब्र पर अपनी प्रार्थना शुरू करते हैं. जुबैदा के दोनों सगे बेटे जुमे की नमाज के बाद जब मां की कब्र पर प्रार्थना करते हैं तो श्रीधरन भी प्रार्थना में उनका साथ देते हैं.

श्रीधरन का कहना है कि मैं एक हिंदू हूं, मेरी परवरिश करने वाली मां एक मुस्लिम है. किसी ने भी मुझे धर्म परिवर्तन करने के लिए कभी नहीं कहा. कोई भी मुझे मलप्पुरम के अदक्काकुंदु की मस्जिद के कब्रिस्तान में मां की कब्र पर जाने से नहीं रोकता है.

दरअसल, श्रीधरन की असली मां मुस्लिम महिला जुबैदा के घर पर घरेलू कार्य करती थी. जब श्रीधरन केवल डेढ़ वर्ष के थे, तब उनकी मृत्यु हो गई. तब से, जुबैदा ने श्रीधरन और उनकी दो बड़ी बहनों, रमणी और लीला (11 और 6 वर्ष की आयु की) को पाला.

जुबैदा ने अपने बच्चों की तरह तीनों का पालन-पोषण किया और अच्छी शिक्षा दी. बाद में उन्होंने श्रीधरन को यूएई में नौकरी के लिए भेज दिया. पढ़ाई पूरी करने के बाद रमानी और लीला की शादी हो गई.

श्रीधरन को इस बात का मलाल है कि जब उनकी परवरिश करने वाली मां का निधन हुआ तो वह उनके पास नहीं थे. कोरोना महामारी के कारण 47 वर्षीय श्रीधरन यूएई वापस नहीं आ सके.

पढ़ेंः तिरुपति : ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने से 11 कोरोना मरीजों की मौत

मलप्पुरम : केरल के मलप्पुरम जिले के रहने वाले श्रीधरन हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं. श्रीधरन पवित्र रमजान महीने के दौरान सभी शुक्रवार को अदक्काकुंदु (Adakkakkundu) की मस्जिद के कब्रिस्तान में आकर अपनी मुस्लिम मां की कब्र पर इबादत करते हैं. बता दें कि मुस्लिम महिला टी जुबैदा ने श्रीधरन का पालन-पोषण किया था.

श्रीधरन यूएई में काम करते हैं. जब मस्जिद में जुमे की नमाज शुरू होती है, तो श्रीधरन भी मस्जिद परिसर में परवरिश करने वाली मां जुबैदा की कब्र पर अपनी प्रार्थना शुरू करते हैं. जुबैदा के दोनों सगे बेटे जुमे की नमाज के बाद जब मां की कब्र पर प्रार्थना करते हैं तो श्रीधरन भी प्रार्थना में उनका साथ देते हैं.

श्रीधरन का कहना है कि मैं एक हिंदू हूं, मेरी परवरिश करने वाली मां एक मुस्लिम है. किसी ने भी मुझे धर्म परिवर्तन करने के लिए कभी नहीं कहा. कोई भी मुझे मलप्पुरम के अदक्काकुंदु की मस्जिद के कब्रिस्तान में मां की कब्र पर जाने से नहीं रोकता है.

दरअसल, श्रीधरन की असली मां मुस्लिम महिला जुबैदा के घर पर घरेलू कार्य करती थी. जब श्रीधरन केवल डेढ़ वर्ष के थे, तब उनकी मृत्यु हो गई. तब से, जुबैदा ने श्रीधरन और उनकी दो बड़ी बहनों, रमणी और लीला (11 और 6 वर्ष की आयु की) को पाला.

जुबैदा ने अपने बच्चों की तरह तीनों का पालन-पोषण किया और अच्छी शिक्षा दी. बाद में उन्होंने श्रीधरन को यूएई में नौकरी के लिए भेज दिया. पढ़ाई पूरी करने के बाद रमानी और लीला की शादी हो गई.

श्रीधरन को इस बात का मलाल है कि जब उनकी परवरिश करने वाली मां का निधन हुआ तो वह उनके पास नहीं थे. कोरोना महामारी के कारण 47 वर्षीय श्रीधरन यूएई वापस नहीं आ सके.

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