चंडीगढ़ : चंडीगढ़ को लेकर एक बार फिर से सियासी घमासान शुरू हो गया है. इस बार चंडीगढ़ पर अपने दावे को लेकर हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के बयान ने इसे नई हवा दे दी है. यानी हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली सरकार के नेतृत्व में इस मामले को और हवा दी है.
हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने चंडीगढ़ पर दावे को लेकर कहा है कि चंडीगढ़ पर हिमाचल का 7.19 प्रतिशत हक है, जिसे हिमाचल लेकर रहेगा. उनके मुताबिक पंजाब पुनर्गठन एक्ट में हिमाचल की जनसंख्या, संसाधन और विकास को आधार मानकर चंडीगढ़ की प्रॉपर्टी पर हिमाचल का हिस्सा बनता है.
चंडीगढ़ पर पंजाब और हरियाणा के नेता अपनी दावेदारी को लेकर काफी लंबे समय से आवाज उठाते रहे हैं. वहीं, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी अपने कार्यकाल के समय इस मामले पर कह चुके हैं कि चंडीगढ़ पर हिमाचल का भी हक बनता है, और वह उसे मिलना चाहिए. यानी वे भी लगातार मीडिया में इसको लेकर अपने बयान देते रहे थे कि चंडीगढ़ पर हिमाचल का हक है.
वहीं इस मामले में दिसंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने भी हिमाचल के हक में फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत चंडीगढ़ पर हिमाचल का 7.19 फीसदी हक बनता है. इसको लेकर काफी लंबे समय से हिमाचल प्रदेश के नेता अपनी आवाज भी उठाते रहे हैं.
हालांकि जब इस मामले में पंजाब की बात आती है तो पंजाब की सरकारें और नेता चंडीगढ़ पर अपना पूरा अधिकार जमाती हैं. हालांकि इसके विपरीत हरियाणा कहता है कि चंडीगढ़ पर पंजाब का 60 फ़ीसदी और हरियाणा का 40 फीसदी अधिकार है. चंडीगढ़ पर उनका हक था और रहेगा.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा की राजधानी बनाया गया था तो उस वक्त हिमाचल प्रदेश की इस मामले में अनदेखी हुई थी. जब 1 नवम्बर, 1966 को पंजाब का पुनर्गठन हुआ था, तो उस वक्त तय किया गया था कि आबादी के हिसाब से परिसंपत्तियों और देनदारियों का बंटवारा होगा. उस वक्त हरियाणा को तो उसका हिस्सा मिल गया लेकिन हिमाचल प्रदेश का 7.19% हिस्सा जो बनता था वह उसको नहीं मिल पाया.