शिमला: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के वादे पर निर्णायक कदम लिया है. हिमाचल में दो दशक बाद ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से लागू हो गई है. इस संदर्भ में जरूरी अधिसूचनाएं जारी कर दी गई हैं. गुरुवार को नगर निगम शिमला के चुनाव नतीजे निकले और साथ ही कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी आई. हिमाचल में 1.36 लाख कर्मचारी एनपीएस से ओपीएस में आने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. इस संदर्भ में सुखविंदर सिंह सरकार की पहली कैबिनेट मीटिंग में ऐलान हो गया था. उसके बाद ओएम यानी ऑफिस मेमोरेंडम जारी हुआ. फिर एनपीएस कंट्रीब्यूशन कटना बंद हुआ और अब ओपीएस की एसओपी भी जारी कर दी गई.
कांग्रेस द्वारा वादा पूरा करने पर कर्मचारी खुश: कर्मचारी वर्ग ने सरकार के इस फैसले का भरपूर स्वागत किया है. कांग्रेस ने कर्मचारियों से किए वादे को पूरा कर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश कर दी है. इधर, हिमाचल में ओपीएस की एसओपी व अन्य आदेश जारी हुए, उधर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कर्नाटक विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक के तौर पर शामिल होने के लिए रवाना हो गए. कांग्रेस ने कर्नाटक में भी ओपीएस लागू करने का वादा किया है. राजस्थान व छत्तीसगढ़ के बाद हिमाचल ने ओपीएस लागू कर भाजपा के सामने एक बड़ी लकीर खींच दी है.
हिमाचल कांग्रेस ने 2022 के विधानसभा चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के वादा किया था. पहाड़ी राज्य हिमाचल में चुनाव डिसाइड करने वाले सबसे अहम वोट बैंक कर्मचारी वर्ग ने इस वादे पर भरोसा कर कांग्रेस का भरपूर समर्थन किया. चुनाव नतीजे निकले और कांग्रेस सत्ता में आई. सत्ता में आने के चार महीने में ही कांग्रेस ने अपना वादा पूरा कर दिया है. गुरुवार को निगम चुनाव के नतीजे निकलने के बाद ही अचानक राज्य सरकार की तरफ से कुछ आदेश जारी हुए. दो अधिसूचनाओं और एक ऑफिस मेमोरेंडम के माध्यम से हिमाचल में एनपीएस पूरी तरह से समाप्त कर दी गई.
राज्य सरकार के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की तरफ से जारी ओएम में OPS की एसओपी के 13 पॉइंट थे. ओएम के जरिए एसओपी जारी होते ही कर्मचारी वर्ग की प्रतिक्रियाएं आने लगीं. अचानक से पूरे राज्य में ओपीएस की चर्चा शुरू हो गई. सभी कर्मचारी इन अधिसूचनाओं की व्याख्या करने लगे. ETV भारत ने भी अपने पाठकों के लिए सबसे पहले अधिसूचनाओं को प्रकाशित किया.
सरकारी आदेश के अनुसार ओल्ड पेंशन को लागू करने के लिए हिमाचल में सेंट्रल सिविल सर्विसज पेंशन रूल्स-1972 में संशोधन किया गया है. अब जो प्रावधान किए गए हैं, उनके अनुसार एनपीएस से ओपीएस में आने वाले कर्मचारियों को पूर्व में एनपीएस में रहते हुए अपने वेतन से दिया गया अंशदान सारा का सारा मिलेगा. अलबत्ता ये कहा गया है कि कर्मचारियों को इसमें राज्य सरकार का अंशदान और उस पर कमाया गया लाभांश वापस करना होगा. इस अंशदान व लाभांश को राज्य सरकार अलग मद में अपने पास जमा करेगी. इसके अलावा जो कर्मचारी एनपीएस में रिटायर हो गए हैं या जिनकी डेथ हो गई है, वो भी (कर्मचारी की मौत के केस में परिवार) ओल्ड पेंशन के हकदार होंगे. एनपीएस में रिटायर कर्मियों के लिए अलबत्ता ये शर्त है कि उन्हें ये लाभ आवेदन करने से बाद मिलेगा. यानी ऐसे कर्मियों को पिछली पेंशन या एरियर नहीं मिलेगा. साथ ही इन्हें भी एनपीएस का सरकारी अंशदान को सरकार को वापस करना होगा.
पेंशन नियमों में भी संशोधन: राज्य सरकार ने कर्मियों के ओपीएस व पेंशन से जुड़े सारे मामलों में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. गुरुवार के आदेश बताते हैं कि हिमाचल में ओपीएस 15 मई 2003 से लागू होगा. तब से लेकर 31 मार्च 2023 तक रिटायर हो चुके एनपीएस कर्मचारियों के लिए हिमाचल प्रदेश सिविल सर्विसिज कंट्रीब्यूटरी पेंशन रूल्स-2006 में संशोधन किया गया है. इस संशोधन से एनपीएस में रिटायर हो चुके कर्मचारी तथा ऐसे कर्मचारी जिनकी डेथ हो गई है, उनके परिवारों को भी कुछ आवश्यक शर्तों के साथ ओपीएस का लाभ मिल जाएगा. सुखविंदर सिंह सरकार ने ओपीएस लागू करने का फैसला ऑप्शनल किया है. यानी कर्मचारियों को एनपीएस अथवा ओपीएस चूज करने के लिए समय दिया जाएगा. इसके लिए 60 दिन के भीतर कर्मचारियों को अपना विकल्प देना होगा कि वे ओपीएस लेना चाहते हैं या फिर एनपीएस में ही शामिल रहना चाहते हैं. जब कर्मचारी एक बाद विकल्प दे देंगे तो उसे बदला नहीं जा सकेगा.
उल्लेखनीय है कि पहली कैबिनेट में ओपीएस लागू करने का फैसला लेने के बाद सुखविंदर सिंह सरकार ने 17 अप्रैल 2023 को ओएम यानी ऑफिस मेमोरेंडन के माध्यम से एनपीएस कंट्रीब्यूशन को बंद कर दिया था. अब 4 मई से ओल्ड पेंशन को पुराने स्वरूप में लागू कर दिया गया है. जिस कर्मचारी की दस साल की नियमित सेवा होगी, वो ओल्ड पेंशन की पात्रता रखेगा. ये पहली शर्त होगी. ओल्ड पेंशन लागू करने के लिए कार्यालय आदेश के जरिए एसओपी अलग से जारी की गई है. ओपीएस में शामिल होने वाले कर्मचारी जनरल प्रोविडेंट फंड जीपीएफ रूल्स 1960 के तहत आएंगे. संबंधित विभागों के मुखिया की ये जिम्मेदारी होगी कि वे अपने विभाग के कर्मचारियों के जीपीएफ खाते खुलवाएं.
यहां जानिए कुछ अहम बिंदु: यदि कोई कर्मचारी अभी भी एनपीएस में ही रहना चाहता है तो उसे नोटरी से सर्टिफाई कागजात तैयार कर अपने विभागीय मुखिया को 60 दिन में इसका ऑप्शन देना होगा. ऐसे कर्मचारी, जो एनपीएस ही ऑप्ट करेंगे, उनके केस में एम्पलाई और एंपलॉयर शेयर पीएफआरडीए को रिटायरमेंट तक जाता रहेगा. इसके अलावा एनपीएस कर्मचारी जो ओल्ड पेंशन स्कीम में आना चाहते हैं, उन्हें भी 60 दिन के भीतर नोटरी से सर्टिफाई कर अपना ऑप्शन देना होगा. प्रावधानों के अनुसार अब ऐसे एनपीएस कर्मचारी जो एनपीएस में ही रहना चाहते हैं और जिनका कंट्रीब्यूशन 17 अप्रैल 2023 को रोक दिया गया है, उसे राज्य सरकार दोबारा से शुरू कर देगी.
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