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दूसरा राजमार्ग बनाकर चीन ने तिब्बत के दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंच बनाई - दक्षिण पश्चिम चीन

दक्षिण तिब्बत में चीन ने एक राजमार्ग का उद्घाटन किया, जो पृथ्वी के कुछ सबसे दुर्गम क्षेत्रों से होकर गुजरता है. इसके एक क्षेत्र को तिब्बती बौद्ध अनुयायी अंतिम शरणस्थली मानते हैं. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

चीन ने तिब्बत के दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंच बनाई
चीन ने तिब्बत के दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंच बनाई
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Published : May 17, 2021, 9:00 PM IST

नई दिल्ली : चीनी सरकार ने तिब्बत में बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा चुनौतीपूर्ण भूगोल के कारण सदियों से लोगों की नजरों से सुरक्षित रूप से छिपी हुई, गहरी श्रद्धा रखने वाली निषिद्ध भूमि पर पहुंच बना ली है. यहां चीन ने दुनिया की सबसे गहरी घाटी में 67 किलोमीटर लंबा राजमार्ग बनाया है, जो शनिवार (15 मई, 2021) को बनकर तैयार हुआ.

यह न्यिंगची में पैड टाउनशिप को दक्षिण-पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में मेडोग काउंटी से जोड़ता है, जिससे न्यिंगची और मेडोग काउंटी के बीच यात्रा का समय आठ घंटे से कम हो जाता है.

अत्यंत कठिन भूभाग में बनाई गई यह सड़क भारत की सुरक्षा के लिए निहितार्थ है क्योंकि यह यारलुंग त्संगो नदी के साथ-साथ चलती है और भारतीय सीमा से अधिक दूर नहीं है.

अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के पार न्यिंगची में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा है.

नई सड़क त्संगपो मानव और सामग्री के बड़े पैमाने पर सैन्य मूवमेंट को आसान बनाने के अलावा बांधों के निर्माण के लिए आवश्यक भारी उपकरणों के परिवहन में मदद करेगी, जिसकी योजना बीजिंग द्वारा बनाई जा रही है और खतरों के कारण भारत द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है. विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश और असम में.

शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी से पहले यारलुंग त्संगो असम में चर्निंग नदी (7293 मीटर) और नामचा बरवा (7780 मीटर) जैसी पृथ्वी की कुछ सबसे ऊंची चोटियों से गिरती हुई बहुत गहरी घाटियों से होकर गुजरती है.

मेडोग या मोटूओ को पेमाको (जिसका अर्थ है छिपा हुआ कमल)है, इसके बारे में कहा गया है कि जब भी बौद्ध धर्म या उनकी संस्कृति पर खतरा आए, तो वह यहां आकर छिर सकते हैं.

प्राचीन काल से अस्पष्ट, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना ​​है कि त्संगपो का 'हिडन फॉल्स', शम्भाला के गुप्त और पौराणिक स्वर्ग का प्रवेश द्वार है, जो हिंदू 'सिद्धाश्रम' या ईसाई 'ईडन' के बराबर एक बौद्ध स्वर्ग है.

पढ़ें - इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष : यूएस सचिव की कतर, सऊदी अरब, मिस्र और फ्रांस के साथ चर्चा

बता दें कि यह मेडोग का दूसरा राजमार्ग है, जिसमें बोमी काउंटी में पेमाको से झामोग टाउनशिप को जोड़ने वाली सड़क है. इन दो सड़कों के निर्माण से पहले मेडोग काउंटी तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता पैदल ही था.

न्यिंगची -मेडोग राजमार्ग परियोजना को पूरा होने में सात साल लगे हैं. इसे यारलुंग त्सांगपो ग्रैंड कैन्यन के साथ लगभग 310 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत से बनाया गया है, जिसकी अधिकतम गहराई 6,009 मीटर है. सड़क पर सबसे ऊंचे और सबसे निचले स्थानों के बीच की ऊंचाई का अंतर लगभग 2,892 मीटर है.

नई दिल्ली : चीनी सरकार ने तिब्बत में बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा चुनौतीपूर्ण भूगोल के कारण सदियों से लोगों की नजरों से सुरक्षित रूप से छिपी हुई, गहरी श्रद्धा रखने वाली निषिद्ध भूमि पर पहुंच बना ली है. यहां चीन ने दुनिया की सबसे गहरी घाटी में 67 किलोमीटर लंबा राजमार्ग बनाया है, जो शनिवार (15 मई, 2021) को बनकर तैयार हुआ.

यह न्यिंगची में पैड टाउनशिप को दक्षिण-पश्चिम चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में मेडोग काउंटी से जोड़ता है, जिससे न्यिंगची और मेडोग काउंटी के बीच यात्रा का समय आठ घंटे से कम हो जाता है.

अत्यंत कठिन भूभाग में बनाई गई यह सड़क भारत की सुरक्षा के लिए निहितार्थ है क्योंकि यह यारलुंग त्संगो नदी के साथ-साथ चलती है और भारतीय सीमा से अधिक दूर नहीं है.

अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के पार न्यिंगची में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा है.

नई सड़क त्संगपो मानव और सामग्री के बड़े पैमाने पर सैन्य मूवमेंट को आसान बनाने के अलावा बांधों के निर्माण के लिए आवश्यक भारी उपकरणों के परिवहन में मदद करेगी, जिसकी योजना बीजिंग द्वारा बनाई जा रही है और खतरों के कारण भारत द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है. विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश और असम में.

शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी से पहले यारलुंग त्संगो असम में चर्निंग नदी (7293 मीटर) और नामचा बरवा (7780 मीटर) जैसी पृथ्वी की कुछ सबसे ऊंची चोटियों से गिरती हुई बहुत गहरी घाटियों से होकर गुजरती है.

मेडोग या मोटूओ को पेमाको (जिसका अर्थ है छिपा हुआ कमल)है, इसके बारे में कहा गया है कि जब भी बौद्ध धर्म या उनकी संस्कृति पर खतरा आए, तो वह यहां आकर छिर सकते हैं.

प्राचीन काल से अस्पष्ट, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना ​​है कि त्संगपो का 'हिडन फॉल्स', शम्भाला के गुप्त और पौराणिक स्वर्ग का प्रवेश द्वार है, जो हिंदू 'सिद्धाश्रम' या ईसाई 'ईडन' के बराबर एक बौद्ध स्वर्ग है.

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बता दें कि यह मेडोग का दूसरा राजमार्ग है, जिसमें बोमी काउंटी में पेमाको से झामोग टाउनशिप को जोड़ने वाली सड़क है. इन दो सड़कों के निर्माण से पहले मेडोग काउंटी तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता पैदल ही था.

न्यिंगची -मेडोग राजमार्ग परियोजना को पूरा होने में सात साल लगे हैं. इसे यारलुंग त्सांगपो ग्रैंड कैन्यन के साथ लगभग 310 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत से बनाया गया है, जिसकी अधिकतम गहराई 6,009 मीटर है. सड़क पर सबसे ऊंचे और सबसे निचले स्थानों के बीच की ऊंचाई का अंतर लगभग 2,892 मीटर है.

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