देहरादून(उत्तराखंड): केदारनाथ के दर्शन के लिए आ रहे कई भक्तों के लिए मालवाहक चिनूक हेलीकॉप्टर बाधा बन रहा है. केदारनाथ में इन दिनों दूसरे चरण के पुनर्निर्माण कार्य चल रहे हैं. जिसकी वजह से चिनूक हेलीकॉप्टर को भारी सामान लाने और ले जाने के लिए लगाया गया है. चिनूक की सुबह और शाम की उड़ान के वक्त केदारनाथ के आसमान में कोई भी चॉपर उड़ान नहीं भर सकता. ऐसे में 2 घंटे से अधिक समय, जब तक चिनूक हेलीकॉप्टर गौचर से केदारनाथ और केदारनाथ से गौचर वापस नहीं आ जाता तब तक हेली सेवा के जरिये केदारनाछ जाने वाले यात्रियों को इतंजार करना पड़ता है.
चिनूक की उड़ान, 48 हेलीकॉप्टरों की सेवा रद्द: भारतीय वायु सेना के मालवाहक हेलीकॉप्टर चिनूक की सेवाएं केदारनाथ पुनर्निर्माण में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं. भारी वाहनों को गाड़ियों के पुर्जे हो या अन्य लोहे का सामान सभी सामान इसी हेलीकॉप्टर की वजह से पहुंचाए जा रहे हैं. यह हेलीकॉप्टर सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजे तक उड़ानें भरता है. जिस वक्त यह उड़ान भरता है उस वक्त लगभग 48 हेलीकॉप्टरों की उड़ानों को रोका या रद्द किया जाता है. 48 उड़ान का मतलब सीधे-सीधे 240 यात्री, इस दौरान बाबा केदार के दर्शन नहीं कर पाते हैं. ऐसे में या तो उन्हें पैदल रास्ता तय करना पड़ता है, अगर व्यक्ति बुजुर्ग है तो उसे अपना प्लान कैंसिल करना पड़ता है.
पढ़ें- उत्तराखंडः चिनूक हेलीकॉप्टर ने केदारनाथ पहुंचाया ATV, PM मोदी के स्वागत की तैयारियां तेज
4 दिनों में 192 उड़ानें रद्द: 4 दिनों में 192 उड़ानें रद्द हो चुकी हैं. जिसकी वजह से 960 तीर्थयात्री बुकिंग कैंसिल करवा चुके हैं. इन यात्रियों में सबसे अधिक तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और गुजरात के शामिल हैं. जैसे ही बुकिंग कैंसिल होती है वैसे ही यात्रियों के पैसे उनके अकाउंट में आ जाते हैं, लेकिन, सैकड़ों किलोमीटर दूर सफर तय कर केदारनाथ पहुंचने के बाद भी बाबा के दर्शन ना कर पाने का दुख इन भक्तों से पूछा जा सकता है.
जिला आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी जितेंद्र कहते हैं सोमवार तक यह व्यवस्था ऐसे ही लागू रहेगी. अभी हमें केदारनाथ में और भी सामान लेकर जाना है. जब जब चिनूक उड़ान भरेगा तब तक किसी भी तरह के हेलीकॉप्टर को उड़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती. केदारनाथ में जितनी भी हेली कंपनियां काम कर रही हैं, उनको यह दिशा निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा हम जानते हैं जिन भक्तों की बुकिंग कैंसिल होती है, या फिर वे इतना दूर आने के बाद भी दर्शन नहीं कर पाते उन्हें कितना दुख होता है. इसे देखते हुए हमने कोशिश की है कि सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजे तक ही चिनूक से काम लिया जाये. ये ऐसा समय है जब यात्री, श्रद्धालु आराम कर रहे होते हैं.