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इनके हाथ से बने मसाले देशभर में हैं प्रसिद्ध, पर जानें किस बात से हैं परेशान

देश में उत्पादों को लेकर भारी इंजीनियरिंग निगम (Heavy Engineering Corporation) ने अपने कई कार्यों से गौरव प्राप्त कर देश का नाम ऊंचा किया है. बता दें कि अंतरिक्ष अनुसंधान से लेकर खनन, इस्पात, रेलवे, बिजली और सभी क्षेत्रों में एचईसी ने अपने बेहतर कार्य का परिचय दिया है.

एचईसी महिला सीमित
एचईसी महिला सीमित
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Published : Sep 26, 2021, 9:47 PM IST

रांची : देश में अपने अद्भुत उत्पादों को लेकर भारी इंजीनियरिंग निगम (Heavy Engineering Corporation) ने अपने कई कार्यों से गौरव प्राप्त कर देश का नाम ऊंचा किया है. इसका श्रेय एचईसी में काम करने वाले कर्मचारियों को जाता है.

बता दें अंतरिक्ष अनुसंधान से लेकर खनन, इस्पात, रेलवे, बिजली और सभी क्षेत्रों में एचईसी ने अपने बेहतर कार्य का परिचय दिया है. देश के कल्याण में एचईसी के कर्मचारियों और अधिकारियों ने जितना योगदान दिया है उसी प्रकार समाज को बेहतर बनाने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों की पत्नियों का भी प्रयास सराहनीय रहा है. एचईसी महिला समिति के नाम से चल रही संस्था समाज के कल्याण के लिए कार्य कर रही है. जिससे की गरीब महिलाओं को रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जाता है.

समिति की आय का 80% समाज कल्याण में होता है खर्च
भारी इंजीनियरिंग निगम (Heavy Engineering Corporation) में काम करने वाले अधिकारियों और पत्नियों के द्वारा एचईसी महिला समिति का गठन किया गया है. यह समिति चार दशक पहले ही बनाई गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य है कि महिलाओं के द्वारा बनाए गए मसाले से आने वाली आय समाज के विकास में लगाया जा सके.

इनके हाथ से बने मसाले देशभर में हैं प्रसिद्ध.

संस्था के सेक्रेटरी नीता सिंह बताती है कि समिति से आने वाले आय को अनाथालय, वृद्धा आश्रम और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब लोग और जरूरतमंदों के लिए उपयोग में लाया जाता है. उन्होंने बताया कि समिति का जब गठन किया गया तो उस वक्त एचईसी में चलने वाले कैंटीन में सभी मसाले का उपयोग होता था. एचईसी को भी आर्थिक लाभ होता था और हमारी समिति को भी आर्थिक सहायता मिल जाती थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कैंटीन बंद होने के कारण हमारे मसालों का बिक्री बंद हो गई, जिससे महिलाओं की इस समिति को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है.

समिति की सदस्य रेखा चौधरी बताती हैं कि पिछले कई दशक से एचईसी महिला समिति के बनाए मसालों का उपयोग पूरा देश करता था. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक तंगी होने के कारण मसालों का निर्माण प्रचुर मात्रा में नहीं हो पा रहा है. उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि राज्य सरकार और कोई संगठन इस पर पहल करे, साथ ही आर्थिक सहायता प्रदान करें. जिससे समिति की माली हालत में सुधार हो और समिति में काम करने वाले कामगारों का जीवन यापन हो सके.

कोरोना काल में समिति ने की लोगों की मदद

समिति ने कोरोना काल में भी मानवता का परिचय देते हुए लोगों की मदद करने के लिए अपनी जमा पूंजी तक लगा दी. आज वह समिति खुद तंगी की हालत में है. समिति से जुड़ी महिलाएं बताती हैं कि घर के पुरूष जब कार्यालय में काम करने जाते हैं तो घरेलू औरतें अपना महत्वपूर्ण समय घर में बिताती है ऐसी महिलाओं के लिए एचईसी महिला समिति वरदान है. जहां आकर वो अपने हुनर से खुद भी आत्मनिर्भर बने और समाज कल्याण के लिए काम भी करे.

यहां शुद्ध तरीके से बनाए जाते हैं मसाले
एचईसी महिला समिति की सदस्य रंजना सिन्हा बताती हैं कि आज की भागम भाग की दुनिया में लोग गुणवत्ता को नजर अंदाज कर रहे हैं. लेकिन हमारी समिति में बनाए जा रहे मसाले की शुद्धता की 100% गारंटी है क्योंकि सभी मसालों का निर्माण समिति में कार्यरत सदस्यों के हाथों से होता है. धनिया, गोलकी, खोआ, निमकी, बड़ी, तिलोरी, बेसन, सब्जी मसाला, हल्दी, आलू चिप्स तरह के घरेलू खाद्य पदार्थ का निर्माण इस समिति में किया जाता है.

सरकारी स्तर पर मिलनी चाहिए मदद

राजधानी सहित एचईसी क्षेत्र में महिलाओं के लिए बेहतर काम कर रही संजीवनी शक्ति सेवा समिति नामक एनजीओ की संचालक रजनी सत्यकाम बताती हैं कि एचईसी के अधिकारियों की की ओर से चलाई जा रही समिति निश्चित रूप से सराहनीय कार्य कर रही है. ऐसी संस्थाओं के लिए सरकारी स्तर पर मदद मिलनी चाहिए. ऐसी संस्थाओं को मदद दिलाने के लिए और इनके शुद्ध मसाले की मार्केटिंग को लेकर सरकारी स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाएगा ताकि घर बैठे ही महिलाओं के बनाए गए सामान बाजार के माध्यम से लोगों तक पहुंच सके. जिससे इनकी समिति को मजबूती मिल सके.

एचईसी महिला समिति की देखरेख कर रही आरती झा बताती हैं कि पिछले कई दशक से वह इस समिति में काम कर रही हैं. लेकिन आज तक आर्थिक स्तर पर उन्हें कोई सुविधा मुहैया नहीं हो पाई है. उन्होंने भी सरकार से मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार हमारी समस्याओं पर ध्यान दें ताकि हम भी अपना भविष्य बेहतर तरीके से जी सकें. वर्ष 1968 से गरीब महिलाओं को मदद कर रही एचईसी महिला समिति की हालत धीरे-धीरे खराब होती जा रही. वर्तमान स्थिति को देख कर ये कहना गलत नहीं होगा एचईसी महिला समिति का विकास निश्चित रूप से रुक गया है. एचईसी में काम करने वाले कर्मचारियों ने भी कहा कि अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकार एचईसी के पुनरुत्थान के लिए विचार करेगी तो एचईसी में काम करने वाले कामगारों के साथ एचईसी महिला समिति का भी उत्थान हो जाएगा.

इसे भी पढ़ें-उत्तराखंड में बना उत्तर भारत का सबसे बड़ा पाम गार्डन

रांची : देश में अपने अद्भुत उत्पादों को लेकर भारी इंजीनियरिंग निगम (Heavy Engineering Corporation) ने अपने कई कार्यों से गौरव प्राप्त कर देश का नाम ऊंचा किया है. इसका श्रेय एचईसी में काम करने वाले कर्मचारियों को जाता है.

बता दें अंतरिक्ष अनुसंधान से लेकर खनन, इस्पात, रेलवे, बिजली और सभी क्षेत्रों में एचईसी ने अपने बेहतर कार्य का परिचय दिया है. देश के कल्याण में एचईसी के कर्मचारियों और अधिकारियों ने जितना योगदान दिया है उसी प्रकार समाज को बेहतर बनाने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों की पत्नियों का भी प्रयास सराहनीय रहा है. एचईसी महिला समिति के नाम से चल रही संस्था समाज के कल्याण के लिए कार्य कर रही है. जिससे की गरीब महिलाओं को रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जाता है.

समिति की आय का 80% समाज कल्याण में होता है खर्च
भारी इंजीनियरिंग निगम (Heavy Engineering Corporation) में काम करने वाले अधिकारियों और पत्नियों के द्वारा एचईसी महिला समिति का गठन किया गया है. यह समिति चार दशक पहले ही बनाई गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य है कि महिलाओं के द्वारा बनाए गए मसाले से आने वाली आय समाज के विकास में लगाया जा सके.

इनके हाथ से बने मसाले देशभर में हैं प्रसिद्ध.

संस्था के सेक्रेटरी नीता सिंह बताती है कि समिति से आने वाले आय को अनाथालय, वृद्धा आश्रम और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब लोग और जरूरतमंदों के लिए उपयोग में लाया जाता है. उन्होंने बताया कि समिति का जब गठन किया गया तो उस वक्त एचईसी में चलने वाले कैंटीन में सभी मसाले का उपयोग होता था. एचईसी को भी आर्थिक लाभ होता था और हमारी समिति को भी आर्थिक सहायता मिल जाती थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कैंटीन बंद होने के कारण हमारे मसालों का बिक्री बंद हो गई, जिससे महिलाओं की इस समिति को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है.

समिति की सदस्य रेखा चौधरी बताती हैं कि पिछले कई दशक से एचईसी महिला समिति के बनाए मसालों का उपयोग पूरा देश करता था. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक तंगी होने के कारण मसालों का निर्माण प्रचुर मात्रा में नहीं हो पा रहा है. उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि राज्य सरकार और कोई संगठन इस पर पहल करे, साथ ही आर्थिक सहायता प्रदान करें. जिससे समिति की माली हालत में सुधार हो और समिति में काम करने वाले कामगारों का जीवन यापन हो सके.

कोरोना काल में समिति ने की लोगों की मदद

समिति ने कोरोना काल में भी मानवता का परिचय देते हुए लोगों की मदद करने के लिए अपनी जमा पूंजी तक लगा दी. आज वह समिति खुद तंगी की हालत में है. समिति से जुड़ी महिलाएं बताती हैं कि घर के पुरूष जब कार्यालय में काम करने जाते हैं तो घरेलू औरतें अपना महत्वपूर्ण समय घर में बिताती है ऐसी महिलाओं के लिए एचईसी महिला समिति वरदान है. जहां आकर वो अपने हुनर से खुद भी आत्मनिर्भर बने और समाज कल्याण के लिए काम भी करे.

यहां शुद्ध तरीके से बनाए जाते हैं मसाले
एचईसी महिला समिति की सदस्य रंजना सिन्हा बताती हैं कि आज की भागम भाग की दुनिया में लोग गुणवत्ता को नजर अंदाज कर रहे हैं. लेकिन हमारी समिति में बनाए जा रहे मसाले की शुद्धता की 100% गारंटी है क्योंकि सभी मसालों का निर्माण समिति में कार्यरत सदस्यों के हाथों से होता है. धनिया, गोलकी, खोआ, निमकी, बड़ी, तिलोरी, बेसन, सब्जी मसाला, हल्दी, आलू चिप्स तरह के घरेलू खाद्य पदार्थ का निर्माण इस समिति में किया जाता है.

सरकारी स्तर पर मिलनी चाहिए मदद

राजधानी सहित एचईसी क्षेत्र में महिलाओं के लिए बेहतर काम कर रही संजीवनी शक्ति सेवा समिति नामक एनजीओ की संचालक रजनी सत्यकाम बताती हैं कि एचईसी के अधिकारियों की की ओर से चलाई जा रही समिति निश्चित रूप से सराहनीय कार्य कर रही है. ऐसी संस्थाओं के लिए सरकारी स्तर पर मदद मिलनी चाहिए. ऐसी संस्थाओं को मदद दिलाने के लिए और इनके शुद्ध मसाले की मार्केटिंग को लेकर सरकारी स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाएगा ताकि घर बैठे ही महिलाओं के बनाए गए सामान बाजार के माध्यम से लोगों तक पहुंच सके. जिससे इनकी समिति को मजबूती मिल सके.

एचईसी महिला समिति की देखरेख कर रही आरती झा बताती हैं कि पिछले कई दशक से वह इस समिति में काम कर रही हैं. लेकिन आज तक आर्थिक स्तर पर उन्हें कोई सुविधा मुहैया नहीं हो पाई है. उन्होंने भी सरकार से मांग करते हुए कहा कि राज्य सरकार हमारी समस्याओं पर ध्यान दें ताकि हम भी अपना भविष्य बेहतर तरीके से जी सकें. वर्ष 1968 से गरीब महिलाओं को मदद कर रही एचईसी महिला समिति की हालत धीरे-धीरे खराब होती जा रही. वर्तमान स्थिति को देख कर ये कहना गलत नहीं होगा एचईसी महिला समिति का विकास निश्चित रूप से रुक गया है. एचईसी में काम करने वाले कर्मचारियों ने भी कहा कि अगर केंद्र सरकार और राज्य सरकार एचईसी के पुनरुत्थान के लिए विचार करेगी तो एचईसी में काम करने वाले कामगारों के साथ एचईसी महिला समिति का भी उत्थान हो जाएगा.

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