नई दिल्ली : ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स पर रोक लगाने के हाईकोर्ट के आदेश को लागू नहीं करने पर दिल्ली के मुख्य सचिव और आईसीएमआर के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई करेगा. 12 नवंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था.
याचिका जयपुर के एक पैथोलॉजिस्ट रोहित जैन ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा था कि 6 अगस्त 2020 को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और आईसीएमआर को निर्देश दिया है कि ऐसी आनलाइन लैब्स के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई करे, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया.
उन्होंने कहा था कि ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब्स दिल्ली में लोग अवैध तरीके से काम कर रहे हैं. ये आम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. अगस्त 2020 में भी रोहित जैन ने ही याचिका दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि आनलाइन पैथोलॉजी लैब्स की ओर से लोगों के खून का सैंपल लेना लोगों की जान को खतरा में डाल सकता है, क्योंकि इन लैब्स की कोई प्रामाणिकता नहीं है.
याचिका में कहा गया था कि ये ऑनलाइन पैथोलॉजिकल लैब्स बिना किसी अनुमति के चल रहे हैं. याचिका में कहा गया था कि ऑनलाइन पैथोलॉजी लैब क्लीनिकल एस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं किए गए हैं.
इसलिए मरीजों का सैंपल लेने के लिए वे मेडिको लीगल रुप से उतरदायी नहीं हैं. याचिका में आनलाइन एग्रीगेटर के जरिये चलने वाले पैथोलॉजी लैब्स को बंद करने की मांग की गई थी. आनलाइन पैथोलॉजी सर्विस के जरिये लोग अपनी सुविधा के मुताबिक सैंपल देने के लिए बुकिंग करवाते हैं.
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याचिका में कहा गया था कि इन लैब्स के संचालकों के क्वालिफिकेशन का वेरिफिकेशन भी नहीं किया गया है. ये आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए कोरोना का अनाधिकृत रुप से टेस्ट कर रहे हैं. ऐसा करना संविधान की धारा 21 के तहत जीने के अधिकार का उल्लंघन है.