वाराणसी : कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ दाखिल मुकदमे में शुक्रवार को वादी अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी का बयान दर्ज किया गया. बयान एमपी/एमएलए कोर्ट विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उज्जवल उपाध्याय की अदालत में हुआ. अदालत ने गवाहों के बयान के लिए 26 जुलाई की तिथि नियत की है.
बता दें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ कोर्ट ने परिवाद दाखिल किया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सर संघ चालक माधव सदाशिव राव गोलवलकर के खिलाफ टिप्पणी पर वकील की तरफ से परिवाद दाखिल किया गया था, जिसमें कहा गया है कि दिग्विजय सिंह ने गलत तरीके से पूर्व सर संघ चालक को बदनाम करने के लिए गलत दस्तावेज और गलत चीजें सोशल मीडिया पर प्रेषित की हैं. शशांक शेखर का कहना है कि दिग्विजय सिंह ऐसा करके सामाजिक विद्वेष पैदा करते हुए संघ की सामाजिक छवि को धूमिल करने का काम कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह का कृत्य समाज में विद्वेष फैलाने और सामाजिक सद्भावना बिगड़ने के साथ ही देश की संप्रभुता और अखंडता एवं एकता को प्रभावित करना है. यह अपमानजनक व अमर्यादित टिप्पणी है जिससे भाजपा और भारत समेत यूपी सरकार अपमानित हो रही है.
वादी अधिवक्ता की तरफ से गोलवलकर का पूरा जीवन सामाजिक भेदभाव समाप्त करने से लेकर अन्य सामाजिक सरोकार में किए गए उनके काम के बारे में भी जानकारी कोर्ट में दी गई है. परिवाद में यह भी कहा गया है कि गोलवलकर की एक किताब का हवाला देकर दिग्विजय सिंह ने यह भी गलत तरीके से कहा है कि यदि सत्ता हाथ लगे तो सबसे पहले सरकार की धन संपत्ति राज्यों की जमीन और जंगल अपने 2-3 विश्वसनीय धनी लोगों को सौंप दें और 95 फीसदी जनता को भिखारी बना दें, इसके बाद सात जन्मों तक सत्ता हाथ से नहीं जाएगी.
परिवादी की तरफ से कोर्ट से आईटी एक्ट और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दिग्विजय सिंह को तलब कर विधिक कार्यवाही का अनुरोध किया गया है. इस मामले को लेकर 10 जुलाई को कैंट थाने की पुलिस को भी आवेदन दिया गया था, लेकिन कार्रवाई न होने के बाद वादी वकील ने कोर्ट में गुहार लगाई है.