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बिहार : पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने पहुंचे मासूमों से मांगी रिश्वत - रिपोर्ट के एवज में घूस की मांग

बिहार के बक्सर जिले में एक सड़क हादसे ने जहां बच्चों के सिर से पिता का साया छीन लिया, वहीं दूसरी ओर पिता के जाने के बाद मासूमों की मुश्किलों को बढ़ाते सदर अस्पताल के कर्मचारियों ने मानवता को ही शर्मसार कर दिया. पिता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट लेने पहुंची सात वर्षीय प्रतिमा और उसके छह वर्षीय भाई अभिषेक से अस्पताल के कर्मचारियों ने रिपोर्ट के एवज में घूस की मांग कर दी.

पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट
पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट
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Published : Feb 13, 2021, 5:49 PM IST

बक्सर : भारत सरकार के स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के सदर अस्पताल से मानवता को शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि सड़क हादसे में जान गंवाने वाले व्यक्ति के शव का पोस्टमार्टम हुआ था. मृतक की सात वर्षीय बेटी और छह साल का बेटा जब पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने अस्पताल पहुंचे, तो स्वास्थ्य कर्मियों ने मासूम भाई-बहन से 2500 रुपये की मांग की. दोनों मासूम स्वास्थ्य कर्मियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन कर्मियों का दिल नहीं पसीजा.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के एवज में मासूमों से मांगीं घूस

कार्रवाई का आश्वासन
ईटीवी भारत के सवालों पर प्रभारी सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार ने कहा, बच्चों से स्वास्थ्यकर्मी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के एवज में 2500 रुपये मांगने की खबर सामने आई है. जांच की जा रही है. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

क्या है मामला
दरअसल, पिछले साल 26 दिसंबर को हरिपुर के रहने वाले राजुकमार यादव इटाढ़ी थाना क्षेत्र से दैनिक मजदूरी कर देर शाम अपने घर वापस लौट रहे थे, तभी रास्ते में ही स्कार्पियो सवार ने उन्हें कुचल दिया. राजुकमार यादव ने घटना स्थल पर ही दम तोड़ दिया. घटना के डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी जब पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई तो मृतक की सात वर्षीय पुत्री प्रतिमा और छह वर्षीय पुत्र अभिषेक पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने सदर अस्पताल पहुंचे.

bihar
पिता के पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने पहुंचे थे मासूम

जहां ड्यूटी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से जब उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांगी तो उसके एवज में स्वास्थ्य कर्मियों ने ढाई हजार रुपये की घूस मांगी. काफी देर तक बच्चों के गिड़गिड़ाने के बाद भी जब स्वास्थ्य कर्मियों ने उनकी एक न सुनी. उसी दौरान अस्पताल में मौजूद किसी व्यक्ति ने इस पूरे दृश्य को फेसबुक लाइव कर दिया, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया.

पढ़ें- रोहतक के कुश्ती अखाड़े में खूनी खेल, गोलीबारी में पांच की मौत

क्या कहते हैं बच्चे?
मृतक की सात वर्षीय पुत्री प्रतिमा और छह वर्षीय पुत्र अभिषेक ने बताया कि अभी तक उनके पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है, जिसके कारण हम कहीं भी किसी योजना का लाभ लेने के लिए क्लेम भी नहीं कर पा रहे हैं. घर में अन्न का एक दाना तक नहीं है. पिताजी के गुजर जाने के बाद अब हम लोगों पर ही जिम्मेदारी आ गई है. डेढ़ माह हो गया, लेकिन अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है. जब हम लोगों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग की तो वहां के स्वास्थ्य कर्मी के द्वारा ढाई हजार रुपये की मांग की गई.

bihar
मृतक का घर

'सदन में उठाएंगे मामला'
वहीं, इस मामले को लेकर सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने कहा, यह मानवता को शर्मशार कर देने वाली घटना है. आमतौर पर स्वास्थ्य कर्मी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को ही सुपुर्द करते हैं. यह जानकारी स्वास्थ्य कर्मियों को उन बच्चों को दे देनी चाहिए, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के एवज में पैसों की जो मांग की गई है. यह अति गम्भीर मामला है. 17 फरवरी को निगरानी की बैठक में और 19 फरवरी से शुरू हो रहे विधानमंडल सत्र के दौरान इस मामले को सदन में उठाऊंगा.

गौरतलब है कि जिस बक्सर जिला ने भारत सरकार में दो-दो बार केन्द्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री दिया हो. वहां के सरकारी अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों ने पूरे स्वास्थ्य महकमे को कलंकित कर दिया है. देखने वाली बात यह होगी कि विभाग के वरीय अधिकारी इस बार भी कोई करवाई करते हैं या जांच के नाम पर मामले की लीपापोती कर देते हैं.

बक्सर : भारत सरकार के स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के सदर अस्पताल से मानवता को शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि सड़क हादसे में जान गंवाने वाले व्यक्ति के शव का पोस्टमार्टम हुआ था. मृतक की सात वर्षीय बेटी और छह साल का बेटा जब पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने अस्पताल पहुंचे, तो स्वास्थ्य कर्मियों ने मासूम भाई-बहन से 2500 रुपये की मांग की. दोनों मासूम स्वास्थ्य कर्मियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन कर्मियों का दिल नहीं पसीजा.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के एवज में मासूमों से मांगीं घूस

कार्रवाई का आश्वासन
ईटीवी भारत के सवालों पर प्रभारी सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार ने कहा, बच्चों से स्वास्थ्यकर्मी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के एवज में 2500 रुपये मांगने की खबर सामने आई है. जांच की जा रही है. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

क्या है मामला
दरअसल, पिछले साल 26 दिसंबर को हरिपुर के रहने वाले राजुकमार यादव इटाढ़ी थाना क्षेत्र से दैनिक मजदूरी कर देर शाम अपने घर वापस लौट रहे थे, तभी रास्ते में ही स्कार्पियो सवार ने उन्हें कुचल दिया. राजुकमार यादव ने घटना स्थल पर ही दम तोड़ दिया. घटना के डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी जब पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई तो मृतक की सात वर्षीय पुत्री प्रतिमा और छह वर्षीय पुत्र अभिषेक पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने सदर अस्पताल पहुंचे.

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पिता के पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने पहुंचे थे मासूम

जहां ड्यूटी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से जब उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांगी तो उसके एवज में स्वास्थ्य कर्मियों ने ढाई हजार रुपये की घूस मांगी. काफी देर तक बच्चों के गिड़गिड़ाने के बाद भी जब स्वास्थ्य कर्मियों ने उनकी एक न सुनी. उसी दौरान अस्पताल में मौजूद किसी व्यक्ति ने इस पूरे दृश्य को फेसबुक लाइव कर दिया, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया.

पढ़ें- रोहतक के कुश्ती अखाड़े में खूनी खेल, गोलीबारी में पांच की मौत

क्या कहते हैं बच्चे?
मृतक की सात वर्षीय पुत्री प्रतिमा और छह वर्षीय पुत्र अभिषेक ने बताया कि अभी तक उनके पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है, जिसके कारण हम कहीं भी किसी योजना का लाभ लेने के लिए क्लेम भी नहीं कर पा रहे हैं. घर में अन्न का एक दाना तक नहीं है. पिताजी के गुजर जाने के बाद अब हम लोगों पर ही जिम्मेदारी आ गई है. डेढ़ माह हो गया, लेकिन अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है. जब हम लोगों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग की तो वहां के स्वास्थ्य कर्मी के द्वारा ढाई हजार रुपये की मांग की गई.

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मृतक का घर

'सदन में उठाएंगे मामला'
वहीं, इस मामले को लेकर सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने कहा, यह मानवता को शर्मशार कर देने वाली घटना है. आमतौर पर स्वास्थ्य कर्मी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को ही सुपुर्द करते हैं. यह जानकारी स्वास्थ्य कर्मियों को उन बच्चों को दे देनी चाहिए, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के एवज में पैसों की जो मांग की गई है. यह अति गम्भीर मामला है. 17 फरवरी को निगरानी की बैठक में और 19 फरवरी से शुरू हो रहे विधानमंडल सत्र के दौरान इस मामले को सदन में उठाऊंगा.

गौरतलब है कि जिस बक्सर जिला ने भारत सरकार में दो-दो बार केन्द्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री दिया हो. वहां के सरकारी अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों ने पूरे स्वास्थ्य महकमे को कलंकित कर दिया है. देखने वाली बात यह होगी कि विभाग के वरीय अधिकारी इस बार भी कोई करवाई करते हैं या जांच के नाम पर मामले की लीपापोती कर देते हैं.

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