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स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर ने कोविड से मृत्यु के दस्तावेज के लिए दिशानिर्देश जारी किये: केंद्र

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड से संबंधित मृत्यु के मामलों में ‘आधिकारिक दस्तावेज’ के लिए दिशानिर्देश जारी किये हैं.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Sep 12, 2021, 2:31 AM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 संबंधित मौतों के आधिकारिक दस्तावेज जारी करने के लिए 3 सितंबर को संयुक्त रूप से एक दिशानिर्देश जारी किए थे.

शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में, केंद्र ने कहा कि मृतकों के परिजनों को मौत के कारण का चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने भी 3 सितंबर को एक परिपत्र जारी किया है.

केंद्र ने कहा कि रीपक कंसल बनाम भारत संघ और अन्य मामलों और गौरव कुमार बंसल बनाम भारत संघ और अन्य मामलों में 30 जून के फैसले के अनुपालन में दिशानिर्देश और परिपत्र जारी किए गए हैं.

दिशानिर्देशों के अनुसार, कोविड-19 मामले वे हैं जिनका निदान पॉजिटिव आरटी-पीसीआर /आणविक परीक्षण/आरएटी के माध्यम से किया जाता है या एक इलाज करने वाले चिकित्सक द्वारा अस्पताल में जांच के माध्यम से चिकित्सकीय रूप से निर्धारित किया जाता है.

इसमें कहा गया है कि जहर, आत्महत्या, हत्या और दुर्घटना से होने वाली मौतों आदि से होने वाली मौतों को कोविड-19 से मौत नहीं माना जाएगा, भले ही यह एक साथ की स्थिति हो.

कोविड-19 मामले जो हल नहीं हुए हैं और या तो अस्पताल की सेटिंग में या घर पर मर गए हैं, और जहां फॉर्म 4 और 4 ए में मृत्यु के कारण का एक चिकित्सा प्रमाणपत्र (एमसीसीडी) पंजीकरण प्राधिकारी को जारी किया गया है, जैसा कि धारा 10 के तहत आवश्यक है. जन्म और मृत्यु का पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम, 1969, को कोविड -19 की मौत के रूप में माना जाएगा. भारत के महापंजीयक (आरजीआई) सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य रजिस्ट्रारों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगे.

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कउटफ के अध्ययन के अनुसार, कोविड के लिए सकारात्मक परीक्षण के 25 दिनों के भीतर 95 प्रतिशत मौतें होती हैं.

इस दायरे को व्यापक और अधिक समावेशी बनाने के लिए, परीक्षण की तारीख से 30 दिनों के भीतर होने वाली मौतों या नैदानिक रूप से एक कोविड-19 मामले के रूप में निर्धारित होने की तारीख से होने वाली मौतों को कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों के रूप में माना जाएगा, भले ही मृत्यु अस्पताल/रोगी सुविधा के बाहर होती है.

दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि एक कोविड-19 मामला, अस्पताल/रोगी सुविधा में भर्ती होने के दौरान, और जो 30 दिनों से अधिक समय तक उसी प्रवेश के रूप में जारी रहा, और बाद में उसकी मृत्यु हो गई, उसे कोविड-19 से मौत के रूप में माना जाएगा.

दिशानिर्देशों के अनुसार, ऐसे मामलों में जहां एमसीसीडी उपलब्ध नहीं है या मृतक के परिजन एमसीसीडी में दी गई मौत के कारण से संतुष्ट नहीं हैं और जो उपरोक्त परि²श्यों में शामिल नहीं हैं, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश एक समिति को सूचित करेंगे.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : केंद्र सरकर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 संबंधित मौतों के आधिकारिक दस्तावेज जारी करने के लिए 3 सितंबर को संयुक्त रूप से एक दिशानिर्देश जारी किए थे.

शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में, केंद्र ने कहा कि मृतकों के परिजनों को मौत के कारण का चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने भी 3 सितंबर को एक परिपत्र जारी किया है.

केंद्र ने कहा कि रीपक कंसल बनाम भारत संघ और अन्य मामलों और गौरव कुमार बंसल बनाम भारत संघ और अन्य मामलों में 30 जून के फैसले के अनुपालन में दिशानिर्देश और परिपत्र जारी किए गए हैं.

दिशानिर्देशों के अनुसार, कोविड-19 मामले वे हैं जिनका निदान पॉजिटिव आरटी-पीसीआर /आणविक परीक्षण/आरएटी के माध्यम से किया जाता है या एक इलाज करने वाले चिकित्सक द्वारा अस्पताल में जांच के माध्यम से चिकित्सकीय रूप से निर्धारित किया जाता है.

इसमें कहा गया है कि जहर, आत्महत्या, हत्या और दुर्घटना से होने वाली मौतों आदि से होने वाली मौतों को कोविड-19 से मौत नहीं माना जाएगा, भले ही यह एक साथ की स्थिति हो.

कोविड-19 मामले जो हल नहीं हुए हैं और या तो अस्पताल की सेटिंग में या घर पर मर गए हैं, और जहां फॉर्म 4 और 4 ए में मृत्यु के कारण का एक चिकित्सा प्रमाणपत्र (एमसीसीडी) पंजीकरण प्राधिकारी को जारी किया गया है, जैसा कि धारा 10 के तहत आवश्यक है. जन्म और मृत्यु का पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम, 1969, को कोविड -19 की मौत के रूप में माना जाएगा. भारत के महापंजीयक (आरजीआई) सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य रजिस्ट्रारों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगे.

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कउटफ के अध्ययन के अनुसार, कोविड के लिए सकारात्मक परीक्षण के 25 दिनों के भीतर 95 प्रतिशत मौतें होती हैं.

इस दायरे को व्यापक और अधिक समावेशी बनाने के लिए, परीक्षण की तारीख से 30 दिनों के भीतर होने वाली मौतों या नैदानिक रूप से एक कोविड-19 मामले के रूप में निर्धारित होने की तारीख से होने वाली मौतों को कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों के रूप में माना जाएगा, भले ही मृत्यु अस्पताल/रोगी सुविधा के बाहर होती है.

दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि एक कोविड-19 मामला, अस्पताल/रोगी सुविधा में भर्ती होने के दौरान, और जो 30 दिनों से अधिक समय तक उसी प्रवेश के रूप में जारी रहा, और बाद में उसकी मृत्यु हो गई, उसे कोविड-19 से मौत के रूप में माना जाएगा.

दिशानिर्देशों के अनुसार, ऐसे मामलों में जहां एमसीसीडी उपलब्ध नहीं है या मृतक के परिजन एमसीसीडी में दी गई मौत के कारण से संतुष्ट नहीं हैं और जो उपरोक्त परि²श्यों में शामिल नहीं हैं, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश एक समिति को सूचित करेंगे.

(आईएएनएस)

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