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कोविड-19: स्वास्थ्य मंत्रालय ने मेंटल हेल्थ केयर पर जारी किए दिशानिर्देश

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को लेकर चिकित्सकों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. जिसमें कोरोना महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पर जोर दिया गया है.

mental health care
मेंटल हेल्थ केयर
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Published : Nov 2, 2020, 5:21 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने चिकित्सा अधिकारियों और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें जोर दिया गया है कि कोरोना महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल बहुत आवश्यक है.

मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देश में कोरोना महामारी के दौरान जीवनशैली पर प्रतिबंध लगने पर उपजी कुछ चिंताओं से जुड़ी रिपोर्ट्स का जिक्र किया है. इनमें प्रमुख हैं-

  • बच्चों और किशोरों सहित विशेष आबादी से संबंधित मुद्दे
  • नौकरी छूटने की चिंता
  • भविष्य को लेकर अनिश्चितता
  • घरेलू हिंसा में वृद्धि
  • बाल यौन शोषण के मामलों में वृद्धि

दिशानिर्देश में कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं से प्रभावित कम से कम तीन समूह हैं.

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. शोध के मुताबिक, अवसाद और बाद के तनाव संबंधी तनाव विकार के लक्षण बहुत अधिक हो सकते हैं.

गाइडलाइंस में कहा गया है कि महामारी के दौरान पहले से मौजूद रोगियों को अपने लक्षणों की पुनरावृत्ति या बिगड़ने का अनुभव हो सकता है, अथवा उनमें अतिरिक्त मनोरोग लक्षण विकसित हो सकते हैं.

साथ ही यह भी कहा गया है कि महामारी के दौरान आम जनता भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का सामना कर रही है.

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइंस में कहा गया है कि महामारी के दौरान व्याकुलता, चिंता, बिना किसी खास कारण मनोवैज्ञानिक कष्ट, अवसाद, तनाव के लक्षण, अनिद्रा, मतिभ्रम, व्यामोह और आत्महत्या के लक्षणों सहित मनोरोग लक्षणों की विस्तृत विविधता दर्ज की गई है.

यह भी पढ़ें- बिहार के पूर्व सीएम सतीश प्रसाद सिंह का कोरोना से निधन

दिशानिर्देश तैयार करते समय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी पाया कि उन्माद और तीव्र मनोविकार के लक्षणों वाले कोरोना रोगियों को आईसोलेट और क्वारंटाइन करने में कठिनाई हुई. रोगियों ने सहयोग नहीं किया.

इसके अलावा बहुत से ऐसे लोग कोरोना संक्रमित मिले, जो बेघर थे और वह अपने बारे में उचित जानकारी देने में विफल थे.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह गाइडलाइंस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंड के सहयोग से तैयार किया था.

मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि एक नोडल अधिकारी को नामित कर इन दिशानिर्देशों की समय-समय पर समीक्षा करने का काम सौंपा जाना चाहिए. फिर मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में कार्य करने वाले मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ ताजा आंकड़े साझा करना चाहिए.

गाइडलाइंस में एमएचई और पास के कोविड अस्पताल के बीच हॉटलाइन सुविधा स्थापित करने का भी सुझाव दिया गया है, ताकि सुविधाओं का आसान हस्तांतरण हो सके. यह भी कहा गया है कि सभी कोविड-19 सेंटरों में अपने कर्मियों के लिए एक निर्दिष्ट मानसिक स्वास्थ्य सहायता नेटवर्क होना चाहिए.

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने चिकित्सा अधिकारियों और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें जोर दिया गया है कि कोरोना महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य देखभाल बहुत आवश्यक है.

मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देश में कोरोना महामारी के दौरान जीवनशैली पर प्रतिबंध लगने पर उपजी कुछ चिंताओं से जुड़ी रिपोर्ट्स का जिक्र किया है. इनमें प्रमुख हैं-

  • बच्चों और किशोरों सहित विशेष आबादी से संबंधित मुद्दे
  • नौकरी छूटने की चिंता
  • भविष्य को लेकर अनिश्चितता
  • घरेलू हिंसा में वृद्धि
  • बाल यौन शोषण के मामलों में वृद्धि

दिशानिर्देश में कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं से प्रभावित कम से कम तीन समूह हैं.

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. शोध के मुताबिक, अवसाद और बाद के तनाव संबंधी तनाव विकार के लक्षण बहुत अधिक हो सकते हैं.

गाइडलाइंस में कहा गया है कि महामारी के दौरान पहले से मौजूद रोगियों को अपने लक्षणों की पुनरावृत्ति या बिगड़ने का अनुभव हो सकता है, अथवा उनमें अतिरिक्त मनोरोग लक्षण विकसित हो सकते हैं.

साथ ही यह भी कहा गया है कि महामारी के दौरान आम जनता भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का सामना कर रही है.

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइंस में कहा गया है कि महामारी के दौरान व्याकुलता, चिंता, बिना किसी खास कारण मनोवैज्ञानिक कष्ट, अवसाद, तनाव के लक्षण, अनिद्रा, मतिभ्रम, व्यामोह और आत्महत्या के लक्षणों सहित मनोरोग लक्षणों की विस्तृत विविधता दर्ज की गई है.

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दिशानिर्देश तैयार करते समय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी पाया कि उन्माद और तीव्र मनोविकार के लक्षणों वाले कोरोना रोगियों को आईसोलेट और क्वारंटाइन करने में कठिनाई हुई. रोगियों ने सहयोग नहीं किया.

इसके अलावा बहुत से ऐसे लोग कोरोना संक्रमित मिले, जो बेघर थे और वह अपने बारे में उचित जानकारी देने में विफल थे.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह गाइडलाइंस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंड के सहयोग से तैयार किया था.

मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि एक नोडल अधिकारी को नामित कर इन दिशानिर्देशों की समय-समय पर समीक्षा करने का काम सौंपा जाना चाहिए. फिर मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में कार्य करने वाले मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ ताजा आंकड़े साझा करना चाहिए.

गाइडलाइंस में एमएचई और पास के कोविड अस्पताल के बीच हॉटलाइन सुविधा स्थापित करने का भी सुझाव दिया गया है, ताकि सुविधाओं का आसान हस्तांतरण हो सके. यह भी कहा गया है कि सभी कोविड-19 सेंटरों में अपने कर्मियों के लिए एक निर्दिष्ट मानसिक स्वास्थ्य सहायता नेटवर्क होना चाहिए.

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