रायपुर : साल 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार आया है. आज प्रदेश में जटिल बीमारियों के इलाज के लिए अच्छे अस्पताल हैं. सुदूर क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीणों का इलाज कर रहे हैं. उन क्षेत्रों में जहां अस्पताल निर्माण संभव नहीं लेकिन आबादी है, वहां मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना जैसी सुविधाएं दी गईं हैं. स्लम एरिया में रहने वाली महिलाओं के लिए दाई दीदी मोबाइल क्लीनिक की व्यवस्था है. तमाम सुविधाओं के बावजूद कई चुनौतियां और खामियां भी हैं. मसलन छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के शहर यानी अंबिकापुर में स्वास्थ्य संबंधी कई सुविधाएं नहीं है. सरगुजा संभाग के अस्पतालों में न ट्रामा सेंटर है, ना एमआरआई जांच की सुविधा उपलब्ध है. सरगुजा संभाग में अबतक न्यूरो सर्जन भी नहीं है
क्या कहते हैं सूबे के मुखिया: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व स्वास्थ्य दिवस पर कहा कि "भाजपा सरकार में नक्सलियों की गोली से ज्यादा मच्छर से लोग मरते थे. आज बस्तर मलेरिया मुक्त हुआ है. पहले उल्टी दस्त से लोगों की मौत हो जाती थी, लेकिन अब नहीं होती. जिला अस्पतालों में 90 से 110 जांच फ्री है. मेडिकल मोबाइल यूनिट के जरिए भी फ्री जांच हो रही है. जेनेरिक मेडिसिन धनवंतरी योजना का लाभ लोग ले रहे हैं. मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना, डॉ खूबचंद बघेल योजना चलाई जा रही है. अकेले हाट बाजार क्लीनिक योजना का ही 92 लाख लोग लाभ ले चुके हैं.''
छत्तीसगढ़ के अस्पतालों की स्थिति : छत्तीसगढ़ में जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कुल संख्या करीब 1,066 है. इसमें से सिर्फ 55 शासकीय अस्पताल राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक पर खरे उतरे हैं, जबकि 1,011 अस्पतालों में अब भी सुधार की जरुरत है. 1 जून से छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य न्याय योजना लागू की जा रही है. इसके तहत सभी नागरिकों को सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थाओं में सारी सेवायें ओपीडी, आईपीडी, दवा, टेस्ट निःशुल्क उपलब्ध होंगे. कैशलेस सरकारी अस्पताल की परिकल्पना पूरी होगी. प्रदेश में हमर लैब, हमर क्लिनिक और हमर अस्पतालों की व्यवस्था की जा रही है. शहरी क्षेत्रों में 354 हमर क्लिनिक निर्माणाधीन हैं, जिनमें से 154 हमर क्लिनिक अगले 3 महीने में शुरू हो जायेंगे. प्रदेश में कुल 53 हमर अस्पताल खोलने का लक्ष्य है. इनमें से चार खोले जा चुके हैं.
कैंसर ट्रीटमेंट के लिए नया अस्पताल : छत्तीसगढ़ में कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं. बिलासपुर के कोनी में 200 करोड़ की लागत से नया कैंसर हॉस्पिटल बन रहा है. यहां कैंसर पर रिसर्च होगी. इस अस्पताल में कीमोथेरेपी, रेडियो थैरेपी, ऑन्कोलॉजी, ऑन्को सर्जरी की चार ब्रांच खोली जाएगी.
छत्तीसगढ़ में ऑर्गन डोनेशन हुआ संभव : छत्तीसगढ़ में अब कोई भी अपना ऑर्गन डोनेट करके कई जिंदगियां बचा सकता है. पहले ऐसा करना मुमकिन नहीं था. लेकिन अब प्रदेश में कैडेवर की सुविधा है. इसके लिए स्टेट टिश्यू एंड ऑर्गन ट्रांसप्लांट संगठन यानि सोटो काम करता है. हॉस्पिटल के माध्यम से ही सोटो में मरीजों का पंजीयन होता है. मरीजों को आर्गन की जरूरत पड़ने पर संबंधित हॉस्पिटल अपने नियम और एसओपी देखने के बाद पंजीयन के लिए मरीज की जानकारी सोटो को भेजता है. प्रदेश के आठ अस्पतालों को कैडेवर ट्रांसप्लांट की मंजूरी मिली है, जिनमें एम्स, सत्य साईं हॉस्पिटल सहित निजी अस्पताल शामिल हैं.
कोरोना को लेकर सतर्क: छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. लेकिन अब भी कोविड, कुपोषण और सिकल सेल जैसी बीमारियां प्रदेश के लिए चुनौतियां हैं. साल 2019 में कोविड जांच की कोई सुविधा नहीं थी. आज पूरे प्रदेश में 16 वायरोलॉजी लैब और 209 ट्रूनॉट लैब स्थापित किए गए हैं. पूरे प्रदेश में 115 ऑक्सीजन प्लांट और 3 लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हैं. मौजूदा समय में प्रदेश के 18 जिले कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हैं. वर्तमान में 323 एक्टिव केस छ्त्तीसगढ़ में हैं. गुरुवार तक कोरोना पॉजिटिविटी दर 6.12 फीसदी दर्ज की गई है.
कुपोषण दर में आई कमी : छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के बाद कुपोषण दर में कमी आई है . मौजूदा समय में बच्चों में कुपोषण की दर 30.13 प्रतिशत से घटकर अब मात्र 19.86 प्रतिशत रह गई है. राज्य में कुपोषण दर में लगभग 10.27 प्रतिशत की कमी बड़ी उपलब्धि को दर्शाता है. छत्तीसगढ़ में 2 अक्टूबर 2019 से शुरू हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के बाद 1 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषण मुक्त हुए हैं. बता दें कि एनएफएचएस-5 के अनुसार छत्तीसगढ़ में बच्चों में कुपोषण का स्तर गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक, झारखण्ड, बिहार जैसे राज्यों से कम है.
क्या कहते हैं स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के मुताबिक स्वास्थ्य व्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है. छत्तीसगढ़ में पहले स्पेशलिस्ट की कमी थी. अब करीब 475 स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं. मानव संसाधन सहित मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया गया है. पहले की तुलना में स्वास्थ्य सेंटर में लगातार सुधार हो रहा है. कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में प्राथमिक तौर पर इस्तेमाल होने वाली दवाइयां और ब्लड टेस्ट नि:शुल्क हैं. सिंहदेव के मुताबिक ''मितानिन हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था की बुनियादी रीढ़ हैं. अस्पतालों में अब एमबीबीएस डॉक्टरों की कमी नहीं है. हाट बाजार क्लीनिक की भी व्यवस्था है. एमबीबीएस डॉक्टर अपनी टीम के साथ सप्ताह में एक बार साप्ताहिक बाजार में पहुंच रहे हैं. मरीजों की जांच कर दवाइयां भी दी जाती है.''