हैदराबाद: क्या पुलिस फोर्स में दाढ़ी रख सकते हैं ? क्या फौज में दाढ़ी रखने की मनाही है ? दरअसल ये सवाल इसलिये क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी पुलिस मेंं दाढ़ी रखने पर रोक के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी है. इस दौरान कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण बातें भी कही हैं. आखिर ये पूरा मामला क्या है ? दाढ़ी का मामला कोर्ट क्यों पहुंचा ? पुलिस फोर्स में दाढ़ी को लेकर क्या नियम हैं ? इन सभी सवालों का जवाब आपको सिलसिलेवार ढंग से देते हैं.
मामला क्या है ?
मामला उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के खांडसा थाने का है. जहां उत्तर प्रदेश पुलिस ने दाढ़ी नहीं रखने के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने पर अयोध्या के एक पुलिस कॉन्स्टेबल मोहम्मद फरमान को निलंबित कर दिया था. जिसे चुनौती देते हुए फरमान ने हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थी.
पहली याचिका में यूपी के पुलिस महानिदेशक (DGP) की ओर से 26 अक्टूबर को जारी सर्कुलर के साथ याची ने अपने खिलाफ डीआईजी और एसएसपी द्वारा पारित निलंबन के आदेश को चुनौती दी थी. वहीं दूसरी याचिका में विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही में याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी आरोप पत्र को चुनौती दी गई थी.
याचिकाकर्ता की दलील क्या थी ?
याचिकाकर्ता के मुताबिक संविधान में मिली धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत उसने मुस्लिम सिद्धांतो के आधार पर दाढ़ी रखी हुई है. जिसका सरकारी वकील ने विरोध किया. सरकारी वकील की तरफ से दोनों याचिकाओं पर सवाल उठाए गए. जिसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया.
कोर्ट ने क्या कहा ?
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि पुलिस बल में दाढ़ी रखना संवैधानिक अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस बल की छवि सेक्युलर होनी चाहिए, ऐसी छवि राष्ट्रीय एकता को मजबूत करती है. इसके अलावा कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले सिपाही के खिलाफ जारी निलंबन आदेश और आरोप पत्र में भी दखल देने से इनकार कर दिया. हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि पुलिस फोर्स में दाढ़ी रखना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत दिया गया कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है
फैसले में कहा गया कि 26 अक्टूबर 2020 का सर्कुलर एक कार्यकारी आदेश है, जो पुलिस बल में अनुशासन को बनाए रखने के लिए जारी किया गया है. पुलिस बल एक अनुशासित बल होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि एसएचओ की चेतावनी के बावजूद दाढ़ी न कटवाकर याचिकाकर्ता ने नियमों का उल्लंघन किया है.
दोनों याचिकाएं खारिज, जांच पूरी करने के भी निर्देश
कोर्ट ने कहा कि पुलिस बल में दाढ़ी रखना संवैधानिक अधिकार नहीं है और अपने सीनियर (एसएचओ) की चेतावनी के बाद भी याचिकाकर्ता ने दाढ़ी नहीं कटवाई. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दोनों याचिकाओं को खारिज करते हुए अधिकारियों को योचिकाकर्ता के खिलाफ कानून के मुताबिक विभागीय जांच पूरी करने के निर्देश दिए.
संविधान क्या कहता है ?
भारतीय संविधान के आर्टिकल 25 के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को अपने धर्म के मुताबिक़ आचरण करने और अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता है. इस स्वतंत्रता के तहत उसे दाढ़ी रखने या दूसरी कोई धार्मिक पहचान अपनाने की आज़ादी है. लेकिन इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पुलिस कॉन्स्टेबल मोहम्मद फरमान के मामले में कहा कि अनुशासित बल के सदस्य के दाढ़ी रखने को भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित नहीं किया जा सकता है.
क्या पहले भी आए हैं ऐसे मामले ?
1) पिछले साल उत्तर प्रदेश के ही बागपत जिले के रमाला थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर इंतेशार अली को लंबी दाढ़ी रखने की वजह से सस्पेंड कर दिया गया था. एसपी की तरफ से सब-इंस्पेक्टर को कई बार दाढ़ी कटवाने की चेतावनी दी थी लेकिन इसके बावजूद वो बड़ी दाढ़ी के साथ ड्यूटी करते रहे. जिसके बाद एसपी ने तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया. हालांकि कुछ दिन बाद इंतेशार ने दाढ़ी कटवा ली, जिसके बाद उन्हें बवाल कर दिया गया.
2) साल 2017 में एक ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी तरह का फैसला सुनाया था. दरअसल महाराष्ट्र स्टेट रिजर्व फोर्स के दाढ़ी ना रखने की पॉलिसी का उल्लंघन करने पर कॉन्स्टेबल जहिरुद्दीन शम्शुद्दीन को सस्पेंड कर दिया गया था. जिसके बाद मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा जहां राज्य सरकार ने कहा कि सिर्फ रमजान जैसे दिनों में कुछ दिनों के लिए दाढ़ी रखी जा सकती है. जिसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको काम से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए. आप अगर धार्मिक समय के अलावा अन्य दिनों में दाढ़ी ना रखने पर राजी हो जाते हैं तो काम पर वापस बुला लिया जाएगा. जिसे जहिरुद्दीन ने यह कहते हुए मानने से इनकार कर दिया कि इस्लाम में अस्थाई दाढ़ी रखने का कोई प्रावधान नहीं है. जहिरुद्दीन के वकील ने बताया कि वह दाढ़ी हटाने के लिए राजी नहीं है. इस पर बेंच ने कहा कि फिर हम आपकी मदद नहीं कर सकते.
3) इससे पहले साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने वायुसेना के मुस्लिम पुलिस अफसर अंसारी आफताब अहमद की याचिका खारिज कर दी थी. उन्हें दाढ़ी रखने को लेकर 2008 में वायुसेना से डिस्चार्ज किया गया था. जिसे अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. वायुसेना के अफसर अंसारी ने कहा था कि उन्होंने धर्म के आधार पर दाढ़ी रखी थी और वायुसेना ने उन्हें हटाकर भेदभाव किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भारतीय वायुसेना में अफसर धार्मिक आधार पर दाढ़ी नहीं बढ़ा सकते. नियम अलग हैं और धर्म अलग. याचिका में अंसारी की तरफ से वायुसेना में शामिल सिखों को दाढ़ी और पगड़ी रखने की इजाजत का हवाला दिया गया था.
इस मामले में क्या हैं सेना और पुलिस के नियम ?
1) दाढ़ी और बाल- सेना में धार्मिक मान्यताओं की अभिव्यक्ति को लेकर काफी सख्त नियम हैं. सेना सीधे देश से जुड़ी होती है इसलिए ऐसे नियम बनाए गए हैं कि कोई भी सैनिक या सैन्य अधिकारी अपनी वेशभूषा, बाल या दाढ़ी से धार्मिक अभिव्यक्ति ना करे. ताकि देश की सेना की छवि सामूहिक रूप से उभरे और इसे धर्म से ना जोड़ा जा सके.
2) सिर्फ सिखों को इजाजत- सेना में सिर्फ सिखों को बाल और दाढ़ी रखने की अनुमति है. ये नियम भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों में लागू है. सिखों के पांच ककारों में से एक है केश, सिख धर्म में केश यानि बालों की प्राकृतिक बढ़त को नुकसान ना पहुंचाने की मान्यता है.
3) पुलिस में दाढ़ी- दाढ़ी और मूंछ को लेकर पुलिस विभाग में भी नियम हैं. पुलिस कर्मचारी बिना अनुमति मूंछें तो रख सकते हैं लेकिन दाढ़ी नहीं. सिर्फ सिख समदाय को दाढ़ी रख सकते हैं. किसी दूसरे धर्म को मानने वाले पुलिसकर्मी या अधिकारी को इसके लिए आला अधिकारियों से इजाजत लेनी होती है.
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