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हवलदार पलानी की पत्नी ने कहा, 'भारत के लिए गलवान में शहीद हुए अपने पति पर गर्व है' - sacrifice for india at galwan

गलवान घाटी पर हुई भारत-चीन की झड़प को एक वर्ष हो गया है. इसमें शहीद हुए हवलदार के. पलानी की पत्नी वनती देवी ने अपने दिवंगत पति को याद करते हुए कहा कि उनकी शाहदत पर उसे गर्व है.

हवलदार पलानी
हवलदार पलानी
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Published : Jun 15, 2021, 6:10 PM IST

Updated : Jun 15, 2021, 6:47 PM IST

चेन्नई : गलवान में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुई झड़प के एक साल बाद, हवलदार के. पलानी की विधवा वनती देवी अपने दिवंगत पति को आज भी याद करती हैं जो घर लौट कर आने के अपने वादे को नहीं निभा पाए. वनती को गर्व है कि उनके पति बहादुरी से चीनी सैनिकों से लड़े और सर्वोच्च बलिदान दिया.

वनती देवी ने कहा कि गलवान घाटी में न केवल हवलदार पलानी बल्कि शहीद हुए अन्य सैनिक और उस ऊंचाई वाले क्षेत्र में देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे अनेक फौजी सेना के बलिदान की कहानी कहते हैं.

वनती देवी ने कहा, उनके चले जाने के एक साल बाद भी मेरे जीवन में मायूसी है. यह मेरे और मेरे दो बच्चों के लिए व्यक्तिगत क्षति है. लेकिन भारत के लिए उन्होंने बलिदान दिया इस पर मुझे गर्व है.

कांपती हुई आवाज में उन्होंने कहा कि उन्हें पलानी के साथ हुई अंतिम बातचीत आज भी याद है. वनती देवी ने कहा, उन्होंने मुझसे कहा कि उनके (सेवानिवृत्ति के) कागजात तैयार हैं और वह एक सप्ताह में घर आ जाएंगे. उन्होंने मुझे तीन जून को गृह प्रवेश करने को कहा जो मैंने किया.

पढ़ें :- लद्दाख में भारत-चीन की 'हिंसक झड़प' में शहीद हुए तमिलनाडु के हवलदार पलानी

दोनों को उम्मीद थी कि छह जून को विवाह की वर्षगांठ पर मिलेंगे लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था. वनती देवी को पलानी के बलिदान की खबर 15 जून को दी गई थी.

हवलदार (गनर) के. पलानी को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. वह रामनाथपुरम जिले के कडुकलूर गांव के निवासी थे. उनका अंतिम संस्कार उनके गांव में 18 जून 2020 को किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

चेन्नई : गलवान में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुई झड़प के एक साल बाद, हवलदार के. पलानी की विधवा वनती देवी अपने दिवंगत पति को आज भी याद करती हैं जो घर लौट कर आने के अपने वादे को नहीं निभा पाए. वनती को गर्व है कि उनके पति बहादुरी से चीनी सैनिकों से लड़े और सर्वोच्च बलिदान दिया.

वनती देवी ने कहा कि गलवान घाटी में न केवल हवलदार पलानी बल्कि शहीद हुए अन्य सैनिक और उस ऊंचाई वाले क्षेत्र में देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे अनेक फौजी सेना के बलिदान की कहानी कहते हैं.

वनती देवी ने कहा, उनके चले जाने के एक साल बाद भी मेरे जीवन में मायूसी है. यह मेरे और मेरे दो बच्चों के लिए व्यक्तिगत क्षति है. लेकिन भारत के लिए उन्होंने बलिदान दिया इस पर मुझे गर्व है.

कांपती हुई आवाज में उन्होंने कहा कि उन्हें पलानी के साथ हुई अंतिम बातचीत आज भी याद है. वनती देवी ने कहा, उन्होंने मुझसे कहा कि उनके (सेवानिवृत्ति के) कागजात तैयार हैं और वह एक सप्ताह में घर आ जाएंगे. उन्होंने मुझे तीन जून को गृह प्रवेश करने को कहा जो मैंने किया.

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दोनों को उम्मीद थी कि छह जून को विवाह की वर्षगांठ पर मिलेंगे लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था. वनती देवी को पलानी के बलिदान की खबर 15 जून को दी गई थी.

हवलदार (गनर) के. पलानी को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. वह रामनाथपुरम जिले के कडुकलूर गांव के निवासी थे. उनका अंतिम संस्कार उनके गांव में 18 जून 2020 को किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jun 15, 2021, 6:47 PM IST
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