ETV Bharat / bharat

अकबरुद्दीन ओवैसी हेट स्पीच मामले में बरी, नौ साल बाद आया कोर्ट का फैसला - Akbaruddin Owaisi 2013 hate speech

तेलंगाना के हेट स्पीच मामले में अकबरुद्दीन ओवैसी को सांसदों और विधायकों के लिए बनी विशेष अदालत ने बरी कर दिया (akbaruddin owaisi acquitted). अकबरुद्दीन एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई हैं. भड़काऊ भाषण का यह मामला साल 2013 का (Akbaruddin Owaisi 2013 hate speech) है, जिसमें ओवैसी 40 दिनों तक जेल में भी रह चुके हैं. अदालत ने बुधवार को ओवैसी को बरी कर दिया. बता दें कि हेट स्पीच के सबसे ताजा प्रकरण में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ओवैसी से जवाब मांगा है. .

Akbaruddin Owaisi
हेट स्पीच मामला अकबरुद्दीन ओवैसी बरी
author img

By

Published : Apr 13, 2022, 3:14 PM IST

Updated : Apr 13, 2022, 4:23 PM IST

हैदराबाद : हेट स्पीच मामले में अकबरुद्दीन ओवैसी को बरी कर दिया गया है. ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी को विशेष अदालत ने बरी किया है. यह मामला दो हेट स्पीच केस से जुड़ा है. ओवैसी ने कथित तौर पर तेलंगाना के निर्मल और निजामाबाद जिले में भड़काऊ भाषण दिए थे. सांसदों और विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों के ट्रायल के लिए गठित विशेष सत्र कोर्ट ने 2013 में निर्मल और निजामाबाद जिले में दर्ज मामले में बुधवार को फैसला सुनाया. अदालत ने ओवैसी को उनके खिलाफ दर्ज दोनों मामलों में बरी कर दिया.

अदालत को अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ अभद्र भाषा का कोई सबूत नहीं मिला. अकबरुद्दीन तेलंगाना विधानसभा में एआईएमआईएम विधायक हैं. एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन को जब जज ने फैसला सुनाया, तो ओवैसी खुद भी कोर्ट में मौजूद थे. अकबरुद्दीन के खिलाफ 8 और 22 दिसंबर, 2012 को निर्मल और निजामाबाद में उनके कथित नफरत भरे भाषणों के संबंध में आदिलाबाद और निजामाबाद जिलों के दो पुलिस स्टेशनों में दो मामले दर्ज किए गए थे.

ओवैसी पर हेट स्पीच का आरोप 2020 में भी लगा : सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर उनके भाषण वायरल होने के बाद एमआईएम नेता को 7 जनवरी 2013 को गिरफ्तार किया गया था. उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 153-ए (धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. 40 दिन जेल में बिताने के बाद अदालत से जमानत मिलने के बाद वह रिहा हो गये थे. बता दें कि 28 नवंबर, 2020 को भी भड़काऊ भाषण देने के आरोप में हैदराबाद पुलिस ने अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

Akbaruddin Owaisi
अकबरुद्दीन ओवैसी हेट स्पीच मामले में बरी (फाइल फोटो)

ओवैसी के अलावा भाजपा अध्यक्ष पर भी हेट स्पीच के आरोप : अकबरुद्दीन के बयान पर प्रतिक्रिया देने के लिए तेलंगाना प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंदी संजय पर भी हेट स्पीच के आरोप लगे थे. एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (जीएचएमसी) के चुनाव प्रचार के दौरान दोनों नेताओं की ओर से कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए. हैदराबाद पश्चिम क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) एआर श्रीनिवास के मुताबिक दोनों नेताओं के खिलाफ राजनीतिक बैठकों के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया. भाजपा और एआईएमआईएम नेताओं पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 501 के तहत मामले दर्ज किए गए.

क्या कहने पर लगा भड़काऊ भाषण का आरोप : गौरतलब है कि एक चुनावी भाषण में अकबरुद्दीन ओवैसी ने सार्वजनिक स्थान पर एक ऐसा बयान दिया, जिससे बवाल मच गया. उन्होंने सवाल किया था कि क्या हुसैन सागर झील के तट पर बनीं पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के संस्थापक एन.टी. रामाराव की समाधियां हटाई जाएंगी? उन्होंने जलाशय के करीब रह रहे गरीब लोगों को हटाने के अभियान पर सवाल उठाते हुए यह बयान दिया था. इसके बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद बंदी संजय ने अकबरुद्दीन ओवैसी का नाम लिए बिना कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अगर ओवैसी में दम है तो वह समाधियों को तोड़कर दिखाएं.

ओवैसी को भड़काऊ भाषण मामले में हाईकोर्ट से भी नोटिस : बता दें कि अभद्र भाषा बोलने के आरोपों पर विभिन्न राजनेताओं और अन्य के खिलाफ याचिकाओं पर फरवरी, 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी नोटिस जारी कर चुकी है. याचिकाकर्ता शेख मुज्तबा और लॉयर्स वॉयस द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप कुमार मेंदीरत्ता की खंडपीठ ने अकबरुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं को नोटिस जारी किया था. पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि नेताओं को बिना कारण फंसाया नहीं जा सकता. यह मामला 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध से जुड़ा हुआ है.

यह भी पढ़ें- ओवैसी और बांदी संजय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में केस दर्ज

दिल्ली हाईकोर्ट और अकबरुद्दीन ओवैसी का मामला : इस मामले में 22 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट की ही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि जो लोग सूची में हैं वे सिर्फ प्रस्तावित प्रतिवादी हैं, आरोपी व्यक्ति नहीं. हाईकोर्ट ने घृणास्पद भाषणों से संबंधित मामले में अकबरुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं को नोटिस जारी करते समय स्पष्ट किया कि जवाब मांगा गया है क्योंकि याचिकाकर्ता ने उनके खिलाफ आरोप लगाए हैं. गौरतलब है कि अदालत ने हाल ही में शेख मुज्तबा और लॉयर्स वॉयस को विभिन्न राजनेताओं द्वारा नफरत वाले भाषण देने के आरोप पर अपनी दलीलों में उचित और आवश्यक पक्षों को शामिल करने की स्वतंत्रता दी थी.

(एजेंसी)

हैदराबाद : हेट स्पीच मामले में अकबरुद्दीन ओवैसी को बरी कर दिया गया है. ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी को विशेष अदालत ने बरी किया है. यह मामला दो हेट स्पीच केस से जुड़ा है. ओवैसी ने कथित तौर पर तेलंगाना के निर्मल और निजामाबाद जिले में भड़काऊ भाषण दिए थे. सांसदों और विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों के ट्रायल के लिए गठित विशेष सत्र कोर्ट ने 2013 में निर्मल और निजामाबाद जिले में दर्ज मामले में बुधवार को फैसला सुनाया. अदालत ने ओवैसी को उनके खिलाफ दर्ज दोनों मामलों में बरी कर दिया.

अदालत को अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ अभद्र भाषा का कोई सबूत नहीं मिला. अकबरुद्दीन तेलंगाना विधानसभा में एआईएमआईएम विधायक हैं. एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन को जब जज ने फैसला सुनाया, तो ओवैसी खुद भी कोर्ट में मौजूद थे. अकबरुद्दीन के खिलाफ 8 और 22 दिसंबर, 2012 को निर्मल और निजामाबाद में उनके कथित नफरत भरे भाषणों के संबंध में आदिलाबाद और निजामाबाद जिलों के दो पुलिस स्टेशनों में दो मामले दर्ज किए गए थे.

ओवैसी पर हेट स्पीच का आरोप 2020 में भी लगा : सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर उनके भाषण वायरल होने के बाद एमआईएम नेता को 7 जनवरी 2013 को गिरफ्तार किया गया था. उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 153-ए (धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. 40 दिन जेल में बिताने के बाद अदालत से जमानत मिलने के बाद वह रिहा हो गये थे. बता दें कि 28 नवंबर, 2020 को भी भड़काऊ भाषण देने के आरोप में हैदराबाद पुलिस ने अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

Akbaruddin Owaisi
अकबरुद्दीन ओवैसी हेट स्पीच मामले में बरी (फाइल फोटो)

ओवैसी के अलावा भाजपा अध्यक्ष पर भी हेट स्पीच के आरोप : अकबरुद्दीन के बयान पर प्रतिक्रिया देने के लिए तेलंगाना प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंदी संजय पर भी हेट स्पीच के आरोप लगे थे. एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (जीएचएमसी) के चुनाव प्रचार के दौरान दोनों नेताओं की ओर से कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए. हैदराबाद पश्चिम क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) एआर श्रीनिवास के मुताबिक दोनों नेताओं के खिलाफ राजनीतिक बैठकों के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया. भाजपा और एआईएमआईएम नेताओं पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 501 के तहत मामले दर्ज किए गए.

क्या कहने पर लगा भड़काऊ भाषण का आरोप : गौरतलब है कि एक चुनावी भाषण में अकबरुद्दीन ओवैसी ने सार्वजनिक स्थान पर एक ऐसा बयान दिया, जिससे बवाल मच गया. उन्होंने सवाल किया था कि क्या हुसैन सागर झील के तट पर बनीं पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के संस्थापक एन.टी. रामाराव की समाधियां हटाई जाएंगी? उन्होंने जलाशय के करीब रह रहे गरीब लोगों को हटाने के अभियान पर सवाल उठाते हुए यह बयान दिया था. इसके बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद बंदी संजय ने अकबरुद्दीन ओवैसी का नाम लिए बिना कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अगर ओवैसी में दम है तो वह समाधियों को तोड़कर दिखाएं.

ओवैसी को भड़काऊ भाषण मामले में हाईकोर्ट से भी नोटिस : बता दें कि अभद्र भाषा बोलने के आरोपों पर विभिन्न राजनेताओं और अन्य के खिलाफ याचिकाओं पर फरवरी, 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी नोटिस जारी कर चुकी है. याचिकाकर्ता शेख मुज्तबा और लॉयर्स वॉयस द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप कुमार मेंदीरत्ता की खंडपीठ ने अकबरुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं को नोटिस जारी किया था. पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि नेताओं को बिना कारण फंसाया नहीं जा सकता. यह मामला 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध से जुड़ा हुआ है.

यह भी पढ़ें- ओवैसी और बांदी संजय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में केस दर्ज

दिल्ली हाईकोर्ट और अकबरुद्दीन ओवैसी का मामला : इस मामले में 22 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट की ही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि जो लोग सूची में हैं वे सिर्फ प्रस्तावित प्रतिवादी हैं, आरोपी व्यक्ति नहीं. हाईकोर्ट ने घृणास्पद भाषणों से संबंधित मामले में अकबरुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं को नोटिस जारी करते समय स्पष्ट किया कि जवाब मांगा गया है क्योंकि याचिकाकर्ता ने उनके खिलाफ आरोप लगाए हैं. गौरतलब है कि अदालत ने हाल ही में शेख मुज्तबा और लॉयर्स वॉयस को विभिन्न राजनेताओं द्वारा नफरत वाले भाषण देने के आरोप पर अपनी दलीलों में उचित और आवश्यक पक्षों को शामिल करने की स्वतंत्रता दी थी.

(एजेंसी)

Last Updated : Apr 13, 2022, 4:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.