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हरियाणा के राज्यपाल ने क्षति वसूली विधेयक को दी मंजूरी

हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पारित किए गए हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान क्षति वसूली विधेयक- 2021 को राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने मंजूरी दे दी है.

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Published : Apr 1, 2021, 10:37 PM IST

सत्यदेव नारायण आर्य
सत्यदेव नारायण आर्य

चंडीगढ़ : हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने गुरुवार को हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान क्षति वसूली विधेयक- 2021 को अपनी सहमति दे दी है. अब नुकसान के मुआवजे के आवेदन पर निर्णय लेने के उद्देश्य से राज्य सरकार एक या एक से अधिक दावा अधिकरण (क्लेम ट्रिब्यूनल) का गठन करेगी.

क्लेम ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता हरियाणा सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विसेज के एक अधिकारी द्वारा की जाएगी, जिसे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से नामित किया जाएगा और इसमें दो या दो से अधिक सदस्य हो सकते हैं. ट्रिब्यूनल के अन्य सदस्य राज्य सरकार के अधिकारियों में से होंगे, जो अतिरिक्त उपायुक्त के रैंक से नीचे नहीं होंगे.

ट्रिब्यूनल देयता का निर्धारण करेगा, उसके पास भेजे गए मुआवजे के दावों का आंकलन करेगा और मुआवजा का मौद्रिक मूल्य निर्धारित करेगा. उसके बाद, उससे संबंधित या उसके अतिरिक्त उपयुक्त मुआवजे का अवार्ड करेगा.

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बना कानून
बता दें कि, उत्तर प्रदेश में भी ऐसा कानून बन चुका है. उसी कानून का अध्ययन करने के बाद विधेयक का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने जब यह विधेयक सदन के पटल पर रखा था तो विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए हंगामा किया था.

पढ़ें- गुजरात : जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में सजा के प्रावधान वाला विधेयक पारित

कांग्रेस का कहना था कि सरकार किसान आंदोलन के चलते इस तरह के कानून को लेकर आई. सरकार की गलत मंशा को देखते हुए इस कानून को होल्ड कर दिया जाए. नेता विपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने कहा था कि कानून जल्दबाजी में लेकर आया गया है, इसलिए वे इसका विरोध कर रहे हैं. सरकार ने किसानों को रोकने के लिए खुद सड़कें खोदी, इसका जिम्मेदार कौन है.

चंडीगढ़ : हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने गुरुवार को हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान क्षति वसूली विधेयक- 2021 को अपनी सहमति दे दी है. अब नुकसान के मुआवजे के आवेदन पर निर्णय लेने के उद्देश्य से राज्य सरकार एक या एक से अधिक दावा अधिकरण (क्लेम ट्रिब्यूनल) का गठन करेगी.

क्लेम ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता हरियाणा सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विसेज के एक अधिकारी द्वारा की जाएगी, जिसे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से नामित किया जाएगा और इसमें दो या दो से अधिक सदस्य हो सकते हैं. ट्रिब्यूनल के अन्य सदस्य राज्य सरकार के अधिकारियों में से होंगे, जो अतिरिक्त उपायुक्त के रैंक से नीचे नहीं होंगे.

ट्रिब्यूनल देयता का निर्धारण करेगा, उसके पास भेजे गए मुआवजे के दावों का आंकलन करेगा और मुआवजा का मौद्रिक मूल्य निर्धारित करेगा. उसके बाद, उससे संबंधित या उसके अतिरिक्त उपयुक्त मुआवजे का अवार्ड करेगा.

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर बना कानून
बता दें कि, उत्तर प्रदेश में भी ऐसा कानून बन चुका है. उसी कानून का अध्ययन करने के बाद विधेयक का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने जब यह विधेयक सदन के पटल पर रखा था तो विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए हंगामा किया था.

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कांग्रेस का कहना था कि सरकार किसान आंदोलन के चलते इस तरह के कानून को लेकर आई. सरकार की गलत मंशा को देखते हुए इस कानून को होल्ड कर दिया जाए. नेता विपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने कहा था कि कानून जल्दबाजी में लेकर आया गया है, इसलिए वे इसका विरोध कर रहे हैं. सरकार ने किसानों को रोकने के लिए खुद सड़कें खोदी, इसका जिम्मेदार कौन है.

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