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दैवीय आपदा से मुसीबत में 'धर्मनगरी', मनसा देवी की पहाड़ियों को ट्रीटमेंट की जरूरत, तभी बचेगा हरिद्वार

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Published : Aug 16, 2023, 8:15 PM IST

Updated : Aug 16, 2023, 9:47 PM IST

haridwar Mansa Devi temple हरिद्वार के शिवालिक पर्वत माला क़ी पहाड़ियों पर हो रहे लगातार भूस्खलन से मनसा देवी मंदिर को खतरा हो गया है. ऐसा नहीं है कि ये हालात हरिद्वार में पहली बार बने हैं. लगभग 25 सालों से इस पहाड़ी पर रुक -रुककर पत्थर गिरते रहते हैं. राज्य सरकारों द्वारा रुड़की आईआईटी सहित कई भू गर्भीय विभाग के वैज्ञानिकों से इस मामले की जांच करवाई गई है.

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देहरादून: उत्तराखंड में हो रही लगातार बारिश लोगों के लिए मुसीबत बनकर बरस रही है. जिससे जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. हरिद्वार के शिवालिक पर्वत माला क़ी पहाड़ियों पर हो रहे लगातार भूस्खलन से मनसा देवी मंदिर को खतरा पैदा हो गया है. साथ ही बड़ी मात्रा में पहाड़ खिसकने से पहाड़ी की तलहटी पर बसी तीन बस्तियों के सैकड़ों परिवारों और रेलवे लाइन समेत हरकी पैड़ी पर भी खतरा मंडराने लगा है.

haridwar Mansa Devi temple
दैवीय आपदा से मुसीबत में धर्मनगरी

पहाड़ दरकने की मुख्य वजह: पहाड़ी पर भूस्खलन की सबसे बड़ी वजह पहाड़ी पर अतिक्रमण होना है. दरअसल मंदिर पर जाने वाले रास्ते में और मंदिर के आसपास के क्षेत्र में इतना अधिक अतिक्रमण हो गया है कि यह पहाड़ी अब उसका वजन सहन नहीं कर पा रही है. साथ ही अतिक्रमणकारियों ने जगह-जगह से पेड़ काटकर इस पहाड़ी को और कमजोर कर दिया है. जिसका असर यह है कि करोड़ों रुपए लागत से बना हिल बाईपास बीते 20 सालों में 10 दिन भी ठीक से नहीं चला है.

haridwar Mansa Devi temple
रोपवे से भी मनसा देवी मंदिर को पहुंच रहा खतरा

25 सालों में लगभग 1 दर्जन से अधिक रिपोर्ट हुई तैयार: मनसा देवी पर हो रहे भूस्खलन को लेकर 25 सालों में लगभग 1 दर्जन से अधिक रिपोर्ट तैयार हुई हैं. जिसमें रुड़की आईआईटी, गुरुकुल कांगड़ी और केंद्रीय एजेंसियों के साथ साथ अलग-अलग वैज्ञानिकों ने इस पर अध्ययन करके सरकारों को रिपोर्ट सौंपी है. मॉनसून के सीजन में प्रशासन और सरकार इस पहाड़ी को लेकर तब सक्रिय होती है, जब इसका मलबा शहर के एक हिस्से में पहुंचता है या फिर रेलवे ट्रैक पर मलबा आने के बाद रेलगाड़ियों का आवागमन बंद हो जाता है. इस बार भी 10 दिनों में लगभग 5 दिन रेलवे ट्रैक पूरी तरह से मलबा आने के कारण बाधित रहा. कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, जिलाधिकारी धीरज गबराल और केंद्र से आई टीमों ने इस पहाड़ी का मौके पर जाकर निरीक्षण किया.

5 किलोमीटर के दायरे में 20 नए भूस्खलन जोन स्थापित: उत्तराखंड भूस्खलन एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने इस बार मौके का निरीक्षण करने के बाद पाया कि मनसा देवी की पहाड़ियों में 5 किलोमीटर के दायरे में 20 नए भूस्खलन जोन स्थापित हो गए हैं और लगातार इस भूस्खलन जोन की संख्या बढ़ती जा रही है. इस मॉनसून सीजन में भी यूएलएमएमसी के निदेशक शांतनु सरकार के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने एक बार फिर से पहाड़ी का निरीक्षण किया है और यह पाया कि पहाड़ के ऊपर से मिट्टी का ज्यादातर हिस्सा नीचे की तरफ खिसक रहा है और तेज बारिश में पहाड़ी के खिसकने की संख्या बढ़ जाती है. इतना ही नहीं वैज्ञानिक अपने साथ यहां की मिट्टी और पहाड़ के कुछ हिस्से को भी लेकर गए हैं. जिसके बाद यह अध्ययन किया जाएगा कि किस तरह का ट्रीटमेंट इस पहाड़ पर किया जाए, ताकि भविष्य में इस पहाड़ को बचाया जा सके.

क्या कहती है जियोलॉजिकल रिपोर्ट : हरिद्वार के पहाड़ों को खतरा मनसा देवी मंदिर पर अतिक्रमण और वहां आने वाले लाखों यात्रियों के साथ-साथ रोपवे से है. पहाड़ के नीचे से निकल रही लगभग 50 ट्रेनों से भी खतरा है. लगातार पहाड़ों के पेड़ कटने से भी खतरा है. साथ ही निर्माण से भी पर्वत श्रंखला को खतरा बना हुआ है.

क्या कहते हैं जानकार: गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व भूवैज्ञानिक बीडी जोशी ने बताया कि मनसा देवी का पहाड़ बेहद ही कच्चा है और हमने देखा है कि बीते कुछ सालों में यहां से पेड़ों का कटान बहुत अधिक हुआ है. पहाड़ को सबसे ज्यादा नुकसान नीचे से गुजरने वाली ट्रेन के लिए बनाई गई टनल से होता है. रोजाना ट्रेनों के आने-जाने से इस पहाड़ी में कंपन पैदा होता है. उन्होंने कहा कि पूर्व में भी गुरुकुल कांगड़ी और अन्य वैज्ञानिक संस्थाओं ने मनसा देवी के पहाड़ी को लेकर लंबी चौड़ी रिपोर्ट तैयार की है. जिसमें इस बात को खुलकर कहा गया है कि हर बारिश में कुछ ना कुछ हिस्सा इसका नीचे आता रहेगा.

शासन को अवगत कराने पर भी नहीं हुआ समाधान: मनसा देवी मंदिर के ट्रस्ट के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि 25 साल से लगातार मनसा देवी की पहाड़ियों पर भूस्खलन हो रहा है और हर बार बारिश में उनके द्वारा शासन प्रशासन को इस संबंध में अवगत भी कराया जाता है. प्रशासन मौके का जायजा भी लेता है, लेकिन आज तक कोई भी ठोस कदम पहाड़ी को बचाने के लिए नहीं उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले 20 या 25 सालों में मनसा देवी कहां पर होगी. अब यह डर भी सताने लगा है. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द पहाड़ी से अतिक्रमण हटाने और ट्रीटमेंट के लिए कोई ठोस नीति बनाने का आग्रह किया है.

हरीश रावत ने यात्रियों से की ये अपील: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बताया कि मनसा देवी पर आने वाले श्रद्धालुओं को भी यह सोचना होगा कि वह अपने साथ जो सामान ले जा रहे हैं. वह सामान का खाली रैपर पहाड़ों पर ना फेंके. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए मनसा देवी और चंडी देवी के पहाड़ों का ट्रीटमेंट कार्य हो सके, इसके लिए कुछ प्रारंभिक कदम उठाए थे, लेकिन अब जो संकेत मनसा देवी के पहाड़ों से मिल रहे हैं. वह बेहद चिंता का विषय बन गए हैं.

इन क्षेत्रों को है सबसे अधिक खतरा : हरिद्वार की मनसा देवी मंदिर से जो पहाड़ी का मलबा नीचे आ रहा है. वह भविष्य में कुछ इलाकों में तबाही मचा सकता है. जिसमें से सबसे ज्यादा नुकसान भूपतवाला खड़खड़ी, मोतीचूर, ब्रह्मपुरी, काशीपुरा, जोगिया मंडी और हरकी पैड़ी में हो सकता है. लगभग एक लाख से अधिक आबादी इसमें स्थाई रूप से रहती है
ये भी पढ़ें: कोसी नदी के बीचों-बीच बने गर्जिया देवी मंदिर के टीले में दरार, पहाड़ खिसकने का खतरा

देहरादून: उत्तराखंड में हो रही लगातार बारिश लोगों के लिए मुसीबत बनकर बरस रही है. जिससे जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. हरिद्वार के शिवालिक पर्वत माला क़ी पहाड़ियों पर हो रहे लगातार भूस्खलन से मनसा देवी मंदिर को खतरा पैदा हो गया है. साथ ही बड़ी मात्रा में पहाड़ खिसकने से पहाड़ी की तलहटी पर बसी तीन बस्तियों के सैकड़ों परिवारों और रेलवे लाइन समेत हरकी पैड़ी पर भी खतरा मंडराने लगा है.

haridwar Mansa Devi temple
दैवीय आपदा से मुसीबत में धर्मनगरी

पहाड़ दरकने की मुख्य वजह: पहाड़ी पर भूस्खलन की सबसे बड़ी वजह पहाड़ी पर अतिक्रमण होना है. दरअसल मंदिर पर जाने वाले रास्ते में और मंदिर के आसपास के क्षेत्र में इतना अधिक अतिक्रमण हो गया है कि यह पहाड़ी अब उसका वजन सहन नहीं कर पा रही है. साथ ही अतिक्रमणकारियों ने जगह-जगह से पेड़ काटकर इस पहाड़ी को और कमजोर कर दिया है. जिसका असर यह है कि करोड़ों रुपए लागत से बना हिल बाईपास बीते 20 सालों में 10 दिन भी ठीक से नहीं चला है.

haridwar Mansa Devi temple
रोपवे से भी मनसा देवी मंदिर को पहुंच रहा खतरा

25 सालों में लगभग 1 दर्जन से अधिक रिपोर्ट हुई तैयार: मनसा देवी पर हो रहे भूस्खलन को लेकर 25 सालों में लगभग 1 दर्जन से अधिक रिपोर्ट तैयार हुई हैं. जिसमें रुड़की आईआईटी, गुरुकुल कांगड़ी और केंद्रीय एजेंसियों के साथ साथ अलग-अलग वैज्ञानिकों ने इस पर अध्ययन करके सरकारों को रिपोर्ट सौंपी है. मॉनसून के सीजन में प्रशासन और सरकार इस पहाड़ी को लेकर तब सक्रिय होती है, जब इसका मलबा शहर के एक हिस्से में पहुंचता है या फिर रेलवे ट्रैक पर मलबा आने के बाद रेलगाड़ियों का आवागमन बंद हो जाता है. इस बार भी 10 दिनों में लगभग 5 दिन रेलवे ट्रैक पूरी तरह से मलबा आने के कारण बाधित रहा. कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, जिलाधिकारी धीरज गबराल और केंद्र से आई टीमों ने इस पहाड़ी का मौके पर जाकर निरीक्षण किया.

5 किलोमीटर के दायरे में 20 नए भूस्खलन जोन स्थापित: उत्तराखंड भूस्खलन एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने इस बार मौके का निरीक्षण करने के बाद पाया कि मनसा देवी की पहाड़ियों में 5 किलोमीटर के दायरे में 20 नए भूस्खलन जोन स्थापित हो गए हैं और लगातार इस भूस्खलन जोन की संख्या बढ़ती जा रही है. इस मॉनसून सीजन में भी यूएलएमएमसी के निदेशक शांतनु सरकार के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने एक बार फिर से पहाड़ी का निरीक्षण किया है और यह पाया कि पहाड़ के ऊपर से मिट्टी का ज्यादातर हिस्सा नीचे की तरफ खिसक रहा है और तेज बारिश में पहाड़ी के खिसकने की संख्या बढ़ जाती है. इतना ही नहीं वैज्ञानिक अपने साथ यहां की मिट्टी और पहाड़ के कुछ हिस्से को भी लेकर गए हैं. जिसके बाद यह अध्ययन किया जाएगा कि किस तरह का ट्रीटमेंट इस पहाड़ पर किया जाए, ताकि भविष्य में इस पहाड़ को बचाया जा सके.

क्या कहती है जियोलॉजिकल रिपोर्ट : हरिद्वार के पहाड़ों को खतरा मनसा देवी मंदिर पर अतिक्रमण और वहां आने वाले लाखों यात्रियों के साथ-साथ रोपवे से है. पहाड़ के नीचे से निकल रही लगभग 50 ट्रेनों से भी खतरा है. लगातार पहाड़ों के पेड़ कटने से भी खतरा है. साथ ही निर्माण से भी पर्वत श्रंखला को खतरा बना हुआ है.

क्या कहते हैं जानकार: गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व भूवैज्ञानिक बीडी जोशी ने बताया कि मनसा देवी का पहाड़ बेहद ही कच्चा है और हमने देखा है कि बीते कुछ सालों में यहां से पेड़ों का कटान बहुत अधिक हुआ है. पहाड़ को सबसे ज्यादा नुकसान नीचे से गुजरने वाली ट्रेन के लिए बनाई गई टनल से होता है. रोजाना ट्रेनों के आने-जाने से इस पहाड़ी में कंपन पैदा होता है. उन्होंने कहा कि पूर्व में भी गुरुकुल कांगड़ी और अन्य वैज्ञानिक संस्थाओं ने मनसा देवी के पहाड़ी को लेकर लंबी चौड़ी रिपोर्ट तैयार की है. जिसमें इस बात को खुलकर कहा गया है कि हर बारिश में कुछ ना कुछ हिस्सा इसका नीचे आता रहेगा.

शासन को अवगत कराने पर भी नहीं हुआ समाधान: मनसा देवी मंदिर के ट्रस्ट के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि 25 साल से लगातार मनसा देवी की पहाड़ियों पर भूस्खलन हो रहा है और हर बार बारिश में उनके द्वारा शासन प्रशासन को इस संबंध में अवगत भी कराया जाता है. प्रशासन मौके का जायजा भी लेता है, लेकिन आज तक कोई भी ठोस कदम पहाड़ी को बचाने के लिए नहीं उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले 20 या 25 सालों में मनसा देवी कहां पर होगी. अब यह डर भी सताने लगा है. उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द पहाड़ी से अतिक्रमण हटाने और ट्रीटमेंट के लिए कोई ठोस नीति बनाने का आग्रह किया है.

हरीश रावत ने यात्रियों से की ये अपील: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बताया कि मनसा देवी पर आने वाले श्रद्धालुओं को भी यह सोचना होगा कि वह अपने साथ जो सामान ले जा रहे हैं. वह सामान का खाली रैपर पहाड़ों पर ना फेंके. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए मनसा देवी और चंडी देवी के पहाड़ों का ट्रीटमेंट कार्य हो सके, इसके लिए कुछ प्रारंभिक कदम उठाए थे, लेकिन अब जो संकेत मनसा देवी के पहाड़ों से मिल रहे हैं. वह बेहद चिंता का विषय बन गए हैं.

इन क्षेत्रों को है सबसे अधिक खतरा : हरिद्वार की मनसा देवी मंदिर से जो पहाड़ी का मलबा नीचे आ रहा है. वह भविष्य में कुछ इलाकों में तबाही मचा सकता है. जिसमें से सबसे ज्यादा नुकसान भूपतवाला खड़खड़ी, मोतीचूर, ब्रह्मपुरी, काशीपुरा, जोगिया मंडी और हरकी पैड़ी में हो सकता है. लगभग एक लाख से अधिक आबादी इसमें स्थाई रूप से रहती है
ये भी पढ़ें: कोसी नदी के बीचों-बीच बने गर्जिया देवी मंदिर के टीले में दरार, पहाड़ खिसकने का खतरा

Last Updated : Aug 16, 2023, 9:47 PM IST
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