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हनुमान जी का देवत्व है पूजनीय और जीवन चरित्र अनुकरणीय - हनुमान जयंती पूजा विधि इन हिंदी

स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) भी बजरंगबली की पूजा-उपासना के साथ ही उनको अपना आदर्श और प्रेरणास्त्रोत बनाने के लिये आग्रह करते थे. रामायण और हनुमान चालीसा के अनुसार श्री हनुमान जी आम जनमानस के लिये न सिर्फ पूज्य हैं बल्कि प्रेरणा के (Characteristic of Hanuman Ji) स्त्रोत भी हैं. Hanuman jayanti 2022

characteristic of hanuman ji life
हनुमान जी का देवत्व है पूजनीय और जीवन चरित्र अनुकरणीय
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Published : Apr 16, 2022, 10:39 AM IST

हैदराबाद : श्री हनुमान जी कलयुग के प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते हैं. हनुमान जी देवता होने के साथ ही युवाओं के लिये आदर्श (Youth icon Hanuman Ji) प्रेरणास्त्रोत हो सकते हैं. हनुमान जी अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं. कहते हैं कि संसार में 8 लोगों को चिरंजीवी (दीर्घायु) होने का वरदान मिला हुआ है. इन्हें अष्ट चिरंजीवी कहा जाता है. रामायण और हनुमान चालीसा में बजरंगबली के गुणों (Management guru Hanuman ji) की विस्तार से व्याख्या की गई है. स्वामी रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद भी बजरंगबली की पूजा-उपासना के साथ ही उनको अपना आदर्श और प्रेरणास्त्रोत बनाने के लिये आग्रह करते थे. तो आइये जानते हनुमान जी के कुछ विशिष्ट और अनुकरणीय (Characteristic of Hanuman Ji) गुणों के बारे में. Hanuman jayanti 2022.

छोटे-बड़े का सम्मान : जब लंका में रावण की अशोक वाटिका में हनुमान जी और मेघनाथ के बीच युद्ध हुआ तो दौरान मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया. हनुमान जी चाहते तो ब्रह्मास्त्र को निष्क्रिय कर सकते थे. लेकिन वो ब्रह्मा जी के अस्त्र ब्रह्मास्त्र का महत्व कम नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने प्राणघातक ब्रह्मास्त्र का आघात सह लिया. रामायण के पात्रों में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण समेत कई लोग उनसे उम्र में छोटे थे फिर भी हनुमान जी ने उन सबको अपने से ज्यादा महत्त्व और सम्म्मान दिया.

पढ़ें : यहां हुआ था पवन पुत्र का जन्म! मां अंजनी की गोद में विराजमान हैं नन्हें हनुमान

लक्ष्य को समर्पित, सेवाभाव की प्रबलता : श्री हनुमान जी (Hanuman jayanti 2022) ने अपना जीवन भगवान श्रीराम की सेवा और भक्ति के लिये समर्पित कर दिया है. इसके लिये उन्होंने अपना राजकाज,परिवार त्यागकर आजीवन ब्रह्मचर्य का संकल्प लिया. जब उनकी भक्ति और निष्ठा पर कुछ लोगों ने प्रश्न उठया तो उन्होंने अपना हृदय चीरकर भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति और निष्ठा को प्रमाणित किया. जब भी हनुमान जी से उनकी सफलताओं के बारे में पूछा गया उन्होंने हर बार श्रीराम और माता जानकी को ही श्रेय दिया. जैसे कि सागर पार कर लंका जाते समय सारा श्रेय प्रभू श्रीराम की मुद्रिका यानि अंगुठी को दिया तो वहीं वापस सागर पार करने का श्रेय बड़ी ही विनम्रता के साथ मां जानकी की कृपा स्वरुप चूड़ामणि को दिया. इस प्रकार सागर पार करने के कठिन काम को श्रीराम और माता सीता को दिया.

वाक्चातुर्य : श्री हनुमान जी ( Hanuman ji life characteristic) ने अपने संवाद कौशल से लंका में माता सीता, विभीषण और रावण को प्रभावित किया था. अशोक वाटिका में जब माता सीता एक वानर से भगवान श्रीराम का संदेश सुन शंका में थी तब हनुमान जी ने अपने संवाद कौशल से माता सीता को इस बात का भरोसा दिलाया कि वह भगवान राम के दूत हैं. इसी प्रकार रावण को भी अपने तर्कों से भगवान श्रीराम की शरण में जाने और अपने कुल और पूर्वजों का नाम कलंकित ना करने के लिये समझाते हैं..

पढ़ें : छिंदवाड़ा का हनुमान मंदिर, यहां दुख दूर करने के लिए भक्त लिखते हैं एप्लिकेशन

चतुर सुजान और सजग: लंका जाते समय रास्ते में समुद्र को पार करते वक्त राक्षसी सुरसा हनुमान जी (Management guru Hanuman ji) को खाना चाहती थी. हनुमान जी ने चतुराई का परिचय देते हुए अपना कद बढ़ाया और फिर छोटा कर लिया. इसके बाद वह सुरसा के मुंह में प्रवेश कर वापस बाहर आ गए. हनुमान जी की चतुराई से राक्षसी सुरसा प्रसन्न हो गई और रास्ता छोड़ दिया. इस प्रकार हनुमान जी अनावश्यक हिंसा से बचते हुए जल्द से जल्द अपना काम करने पर ध्यान केंद्रित किया,चतुराई की यह कला हम हनुमान जी से सीख कर अपने आत्मसात कर सकते हैं. जब राम-रावण युद्ध में लक्ष्मण मूर्छित हो गए उनके प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटि लेने गए. जब वो संजीवनी बूटि को नहीं पहचान पाएं तो शंका में समय को व्यर्थ ना करते हुए हनुमान जी ने पूरा पहाड़ ही उठा लिया इस प्रकार हनुमान जी अपनी चतुराई और सजगता का परिचय दिया.

हैदराबाद : श्री हनुमान जी कलयुग के प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते हैं. हनुमान जी देवता होने के साथ ही युवाओं के लिये आदर्श (Youth icon Hanuman Ji) प्रेरणास्त्रोत हो सकते हैं. हनुमान जी अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं. कहते हैं कि संसार में 8 लोगों को चिरंजीवी (दीर्घायु) होने का वरदान मिला हुआ है. इन्हें अष्ट चिरंजीवी कहा जाता है. रामायण और हनुमान चालीसा में बजरंगबली के गुणों (Management guru Hanuman ji) की विस्तार से व्याख्या की गई है. स्वामी रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद भी बजरंगबली की पूजा-उपासना के साथ ही उनको अपना आदर्श और प्रेरणास्त्रोत बनाने के लिये आग्रह करते थे. तो आइये जानते हनुमान जी के कुछ विशिष्ट और अनुकरणीय (Characteristic of Hanuman Ji) गुणों के बारे में. Hanuman jayanti 2022.

छोटे-बड़े का सम्मान : जब लंका में रावण की अशोक वाटिका में हनुमान जी और मेघनाथ के बीच युद्ध हुआ तो दौरान मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया. हनुमान जी चाहते तो ब्रह्मास्त्र को निष्क्रिय कर सकते थे. लेकिन वो ब्रह्मा जी के अस्त्र ब्रह्मास्त्र का महत्व कम नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने प्राणघातक ब्रह्मास्त्र का आघात सह लिया. रामायण के पात्रों में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण समेत कई लोग उनसे उम्र में छोटे थे फिर भी हनुमान जी ने उन सबको अपने से ज्यादा महत्त्व और सम्म्मान दिया.

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लक्ष्य को समर्पित, सेवाभाव की प्रबलता : श्री हनुमान जी (Hanuman jayanti 2022) ने अपना जीवन भगवान श्रीराम की सेवा और भक्ति के लिये समर्पित कर दिया है. इसके लिये उन्होंने अपना राजकाज,परिवार त्यागकर आजीवन ब्रह्मचर्य का संकल्प लिया. जब उनकी भक्ति और निष्ठा पर कुछ लोगों ने प्रश्न उठया तो उन्होंने अपना हृदय चीरकर भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति और निष्ठा को प्रमाणित किया. जब भी हनुमान जी से उनकी सफलताओं के बारे में पूछा गया उन्होंने हर बार श्रीराम और माता जानकी को ही श्रेय दिया. जैसे कि सागर पार कर लंका जाते समय सारा श्रेय प्रभू श्रीराम की मुद्रिका यानि अंगुठी को दिया तो वहीं वापस सागर पार करने का श्रेय बड़ी ही विनम्रता के साथ मां जानकी की कृपा स्वरुप चूड़ामणि को दिया. इस प्रकार सागर पार करने के कठिन काम को श्रीराम और माता सीता को दिया.

वाक्चातुर्य : श्री हनुमान जी ( Hanuman ji life characteristic) ने अपने संवाद कौशल से लंका में माता सीता, विभीषण और रावण को प्रभावित किया था. अशोक वाटिका में जब माता सीता एक वानर से भगवान श्रीराम का संदेश सुन शंका में थी तब हनुमान जी ने अपने संवाद कौशल से माता सीता को इस बात का भरोसा दिलाया कि वह भगवान राम के दूत हैं. इसी प्रकार रावण को भी अपने तर्कों से भगवान श्रीराम की शरण में जाने और अपने कुल और पूर्वजों का नाम कलंकित ना करने के लिये समझाते हैं..

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चतुर सुजान और सजग: लंका जाते समय रास्ते में समुद्र को पार करते वक्त राक्षसी सुरसा हनुमान जी (Management guru Hanuman ji) को खाना चाहती थी. हनुमान जी ने चतुराई का परिचय देते हुए अपना कद बढ़ाया और फिर छोटा कर लिया. इसके बाद वह सुरसा के मुंह में प्रवेश कर वापस बाहर आ गए. हनुमान जी की चतुराई से राक्षसी सुरसा प्रसन्न हो गई और रास्ता छोड़ दिया. इस प्रकार हनुमान जी अनावश्यक हिंसा से बचते हुए जल्द से जल्द अपना काम करने पर ध्यान केंद्रित किया,चतुराई की यह कला हम हनुमान जी से सीख कर अपने आत्मसात कर सकते हैं. जब राम-रावण युद्ध में लक्ष्मण मूर्छित हो गए उनके प्राणों की रक्षा के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटि लेने गए. जब वो संजीवनी बूटि को नहीं पहचान पाएं तो शंका में समय को व्यर्थ ना करते हुए हनुमान जी ने पूरा पहाड़ ही उठा लिया इस प्रकार हनुमान जी अपनी चतुराई और सजगता का परिचय दिया.

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