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यतिन मामले में गुजरात हाईकोर्ट दो सप्ताह में पूरी करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को गुजरात हाईकोर्ट के एडवोकेट जानकारी दी कि यतिन ओझा के मामले में हाईकोर्ट दो सप्ताह में सुनवाई पूरी करेगा.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Mar 17, 2021, 11:04 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गुजरात के एडवोकेट यतिन ओझा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई टाल दी. ओझा ने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा उनके वरिष्ठ पदनाम को छीनने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

बता दें कि उनकी वरिष्ठ पदवी को हाई कोर्ट पर उनकी अपमानजनक टिप्पणी के कारण गुजरात उच्च न्यायालय ने छीन लिया था.

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को ओझा द्वारा दायर याचिका पर हाईकोर्ट के वकील ने जवाब दिया कि इस मामले में गुजरात उच्च न्यायालय दो सप्ताह में सुनवाई पूरी करेगा.

इस बारे में गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा कि वह अपने फैसले की समीक्षा करेगा, जिसके बाद मामले को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुना जा सकता है.

पढ़ें : केरल की 3 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव 12 अप्रैल को

ओझा ने इस मामले में बिना शर्त माफी मांगी और शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया. ओझा की बात को कई प्रमुख वकीलों एएम सिंघवी, अरविंद दातार, दुष्यंत दवे आदि ने मान लिया, क्योंकि यह महसूस किया गया था कि वकील का वरिष्ठ पद छीनना उनके लिए मौत की सजा जैसा है.

न्यायमूर्ति एसके कौल की अगुआई वाली पीठ ने मामले में कुछ सुझाव भी दिए थे और व्यक्त किया था कि स्थिति कितनी गंभीर है. पीठ ने हाईकोर्ट के वकील से पूछा था कि क्या हाईकोर्ट के फैसले को कुछ समय बाद रद्द किया जा सकता है.

वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने ओझा के मामले में बुधवार को कहा कि कोर्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय को इस मामले में दो सप्ताह में सुनवाई कर निर्णय दिए जाने के साथ कोर्ट की कार्यवाही समाप्त कर दी गई.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गुजरात के एडवोकेट यतिन ओझा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई टाल दी. ओझा ने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा उनके वरिष्ठ पदनाम को छीनने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

बता दें कि उनकी वरिष्ठ पदवी को हाई कोर्ट पर उनकी अपमानजनक टिप्पणी के कारण गुजरात उच्च न्यायालय ने छीन लिया था.

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को ओझा द्वारा दायर याचिका पर हाईकोर्ट के वकील ने जवाब दिया कि इस मामले में गुजरात उच्च न्यायालय दो सप्ताह में सुनवाई पूरी करेगा.

इस बारे में गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा कि वह अपने फैसले की समीक्षा करेगा, जिसके बाद मामले को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुना जा सकता है.

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ओझा ने इस मामले में बिना शर्त माफी मांगी और शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया. ओझा की बात को कई प्रमुख वकीलों एएम सिंघवी, अरविंद दातार, दुष्यंत दवे आदि ने मान लिया, क्योंकि यह महसूस किया गया था कि वकील का वरिष्ठ पद छीनना उनके लिए मौत की सजा जैसा है.

न्यायमूर्ति एसके कौल की अगुआई वाली पीठ ने मामले में कुछ सुझाव भी दिए थे और व्यक्त किया था कि स्थिति कितनी गंभीर है. पीठ ने हाईकोर्ट के वकील से पूछा था कि क्या हाईकोर्ट के फैसले को कुछ समय बाद रद्द किया जा सकता है.

वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने ओझा के मामले में बुधवार को कहा कि कोर्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय को इस मामले में दो सप्ताह में सुनवाई कर निर्णय दिए जाने के साथ कोर्ट की कार्यवाही समाप्त कर दी गई.

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