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Gujarat News: दिव्यांग छात्रा के हौसलों की उड़ान, एम्बुलेंस से परीक्षा देने पहुंची परीक्षा केंद्र - छात्रा ने अपने बुलंद हौसले की मिसाल दी

गुजरात के भावनगर में एक छात्रा ने अपने बुलंद हौसले की मिसाल दी है. इस छात्रा के कमर के नीचे का हिस्सा सक्रिय नहीं है, लेकिन इसके बाद भी वह परीक्षा केंद्र पर परीक्षा देने के लिए पहुंची है.

Divyang student gave the exam
दिव्यांग छात्रा ने दी परीक्षा
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Published : Mar 16, 2023, 9:34 PM IST

भावनगर: गुजराती में एक कहावत है कि, मेरू पर्वत हिल सकता है मगर जिनका मन न हिले सफलता उन्हें मिलकर ही रहती है. गुजरात के सौराष्ट्र प्रांत के भावनगर शहर से यह किस्सा सामने आया है, जिसमें एक छात्रा का कमर के नीचे का हिस्सा बीमारी के कारण काम नहीं कर रहा था. लेकिन इसके बाद भी एम्बुलेंस चालक सलीम की मदद से वह परीक्षा केन्द्र तक पहुंची और परीक्षा में शामिल हुई.

इस किस्से से गुजरात सरकार के एजुकेशन विभाग की दिव्यांगों के लिए बनी व्यवस्था का पर्दाफाश हो गया है. दिव्यांगों के लिये एजुकेशन विभाग ने खास कोई व्यवस्था न करके लापरवाही का सबूत दे दिया है. जानकारी के अनुसार इस छात्रा का नाम इशिता है और उसके शरीर में कमर के नीचे का हिस्सा सक्रिय नहीं है. इसी वजह से पिछले साल उसने एक ब्रेक लिया था, लेकिन इस साल उसने अपनी पढ़ाई पूरी करने का फैसला किया.

जहां एक ओर इशिता जैसे बच्चे अपनी पढ़ाई को लेकर गंभीर हैं, वहीं दूसरी ओर इन बच्चों के लिए शिक्षा विभाग की ओर से परीक्षा केंद्रों पर कोई खास व्यवस्था नहीं देखी जा रही है. यहां भावनगर में इशिता का परीक्षा केंद्र है, चूंकि इशिता एक दिव्यांग छात्रा है, लेकिन इसके बाद भी केंद्र पर उसकी सीट दूसरी मंजिल पर है. भावनगर के नंद कुंवर बाल कन्या छात्रालय में वह परीक्षा दे रही है.

साइड इफेक्ट की वजह से हुई बीमारी

बताया जा रहा है कि किसी दवा के साइड इफेक्ट के चलते उसे किसी तरह का रिएक्शन हुआ और उसकी कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर दिया था. इशिता को घर से परीक्षा केन्द्र तक ले जाने और वापस छोड़ने की जिम्मेदारी सलीमभाई नाम के एक व्यक्ति ने ली है. इशिता को दूसरी मंजिल तक ले जाने के लिए सलीमभाई ने अपनी ओर से कुछ और मददकर्ता की भी व्यवस्था की है.

पढ़ें: Gujarat News: प्रेमिका से वीडियो कॉल पर हुआ झगड़ा, तो युवक ने अपने गुप्तांग को ही किया लहूलुहान

इशिता ने कहा कि मुझे न्यूरोमाईटिस ओप्टिका नाम की बीमारी हुई थी, जिसकी संपूर्ण रिकवरी नहीं मिली. डॉक्टर्स ने भी बताया था कि रिकवरी के लिये और समय लग सकता है. सर्वधर्म एम्बुलेंस सर्विस के सलीमभाई बताते है कि इशिता के दोनों पांव काम नहीं कर रहे है. जब तक परीक्षा चल रही है मैं उसे घर से लाने और वापस ले जाने का काम करता रहुंगा. घर से परीक्षा केन्द्र नहीं बल्कि अस्पताल भी ले जाना पड़े तो मैं तैयार हूं.

भावनगर: गुजराती में एक कहावत है कि, मेरू पर्वत हिल सकता है मगर जिनका मन न हिले सफलता उन्हें मिलकर ही रहती है. गुजरात के सौराष्ट्र प्रांत के भावनगर शहर से यह किस्सा सामने आया है, जिसमें एक छात्रा का कमर के नीचे का हिस्सा बीमारी के कारण काम नहीं कर रहा था. लेकिन इसके बाद भी एम्बुलेंस चालक सलीम की मदद से वह परीक्षा केन्द्र तक पहुंची और परीक्षा में शामिल हुई.

इस किस्से से गुजरात सरकार के एजुकेशन विभाग की दिव्यांगों के लिए बनी व्यवस्था का पर्दाफाश हो गया है. दिव्यांगों के लिये एजुकेशन विभाग ने खास कोई व्यवस्था न करके लापरवाही का सबूत दे दिया है. जानकारी के अनुसार इस छात्रा का नाम इशिता है और उसके शरीर में कमर के नीचे का हिस्सा सक्रिय नहीं है. इसी वजह से पिछले साल उसने एक ब्रेक लिया था, लेकिन इस साल उसने अपनी पढ़ाई पूरी करने का फैसला किया.

जहां एक ओर इशिता जैसे बच्चे अपनी पढ़ाई को लेकर गंभीर हैं, वहीं दूसरी ओर इन बच्चों के लिए शिक्षा विभाग की ओर से परीक्षा केंद्रों पर कोई खास व्यवस्था नहीं देखी जा रही है. यहां भावनगर में इशिता का परीक्षा केंद्र है, चूंकि इशिता एक दिव्यांग छात्रा है, लेकिन इसके बाद भी केंद्र पर उसकी सीट दूसरी मंजिल पर है. भावनगर के नंद कुंवर बाल कन्या छात्रालय में वह परीक्षा दे रही है.

साइड इफेक्ट की वजह से हुई बीमारी

बताया जा रहा है कि किसी दवा के साइड इफेक्ट के चलते उसे किसी तरह का रिएक्शन हुआ और उसकी कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर दिया था. इशिता को घर से परीक्षा केन्द्र तक ले जाने और वापस छोड़ने की जिम्मेदारी सलीमभाई नाम के एक व्यक्ति ने ली है. इशिता को दूसरी मंजिल तक ले जाने के लिए सलीमभाई ने अपनी ओर से कुछ और मददकर्ता की भी व्यवस्था की है.

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इशिता ने कहा कि मुझे न्यूरोमाईटिस ओप्टिका नाम की बीमारी हुई थी, जिसकी संपूर्ण रिकवरी नहीं मिली. डॉक्टर्स ने भी बताया था कि रिकवरी के लिये और समय लग सकता है. सर्वधर्म एम्बुलेंस सर्विस के सलीमभाई बताते है कि इशिता के दोनों पांव काम नहीं कर रहे है. जब तक परीक्षा चल रही है मैं उसे घर से लाने और वापस ले जाने का काम करता रहुंगा. घर से परीक्षा केन्द्र नहीं बल्कि अस्पताल भी ले जाना पड़े तो मैं तैयार हूं.

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