वलसाड : गुजरात में बेटी से दुष्कर्म के आरोपों में दो साल से जेल में बंद एक पिता को वापी कोर्ट ने निर्दोष करार देते हुए रिहा कर दिया है. रिहा होने के बाद वह पूरी व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि एक आरोप पर इस तरह से किसी को जेल में डाल दिया जाना कहां का न्याय है. उत्तर प्रदेश के मूल निवासी बलराम विश्वम्भर जय ने 2003 में वलसाड जिले के पारदी में हिंदी-संस्कृत शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया.
बेटी ने लगाए थे गंभीर आरोप : 8 जुलाई 2020 को उनकी नाबालिग बेटी ने हेल्पलाइन नंबर 1098 पर शिकायत की कि पिता ने उनके साथ गलत काम किया है. इस शिकायत के आधार पर वलसाड जिला बाल संरक्षण इकाई और जिला बाल कल्याण समिति के लोगों ने पारडी पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया जबकि बेटी को धरसाना महिला बाल गृह भेज दिया गया. सोमवार को वापी कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया. रिहा होने के बाद बलराम कह रहे हैं कि उनका खोया सम्मान कौन वापस दिलाएगा.
बेटी को उसके हालात पर छोड़ दिया गया : मीडिया से अपना दर्द बताते हुए बलराम ने कहा कि वह पूरी घटना के दौरान निर्दोष हैं, फिर भी पुलिस ने परिस्थितियों की पूरी जानकारी के बिना उन्हें पीटा. बाद में उन्हें एक न्यायाधीश के सामने लाया गया और नवसारी में जेल भेज दिया गया. उनके जेल जाने के बाद परिवार ने अपनी बेटी की देखभाल के लिए बाल कल्याण समिति का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन बाल कल्याण ने ये कहकह इनकार कर दिया कि उसकी जान को खतरा है. इस दौरान बाल कल्याण की ओर से नाबालिग बेटी को ऑनलाइन क्लास और रहने की सुविधा दी गई, लेकिन जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा, महिला मंडल कमेटी ने महसूस किया कि पूरा मामला हाथ से निकल रहा है. तब मामले को निपटाने के प्रयास शुरू कर दिए. बेटी को उसके हालात पर छोड़ दिया.
बलराम ने कहा कि जिला बाल संरक्षण इकाई और जिला बाल कल्याण समिति जैसे संगठनों की अपर्याप्त जांच से एक परिवार को कैसे नष्ट किया जा सकता है. उन्होंने पूछा कि वह और उनका परिवार कैसे खोई हुई गरिमा और सम्मान को फिर से हासिल करेगा. बलराम ने पूछा कि उनके ऊपर जो गुजरी है उसके लिए जिम्मेदार लोगों को कब दंडित किया जाएगा? बलराम के मुताबिक उनके साथ जो हुआ उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
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