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गुजरात HC ने संजीव भट्ट के खिलाफ 25 साल पुराने मामले में 9 महीने में कार्यवाही पूरी करने के निर्देश दिए

गुजरात उच्च न्यायालय ने पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट के खिलाफ 25 साल पुराने एनडीपीएस मामले में 9 महीने की सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया. साथ ही प्राथमिकी के कागजात की मांग बरकरार रखी है.

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Published : Oct 5, 2021, 12:37 AM IST

गांधीनगर : गुजरात उच्च न्यायालय ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ दर्ज एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक) मामले में आदेश जारी किया है. हाईकोर्ट ने संजीव भट्ट के खिलाफ बनासकांठा के पालनपुर में 25 साल पुराने एक मामले की सुनवाई नौ महीने में पूरी करने का आदेश दिया है.

अदालत ने संजीव भट्ट की दीसा तालुका के कुछ प्राथमिकी कागजात प्राप्त करने की मांग को स्वीकार कर लिया है. संजीव भट्ट पर 1996 में पालनपुर के एक होटल में राजस्थान के एक वकील के कमरे में धोखाधड़ी से ड्रग्स लगाने, दुकान खाली करने की धमकी देने और वकील को धोखा देने का आरोप लगा था. संजीव भट्ट को 5 सितंबर 2018 को गिरफ्तार किया गया था.

इस मामले में संजीव भट्ट ने ट्रायल केस में तेजी से कार्रवाई के लिए गुजरात हाई कोर्ट में अर्जी दी थी. कोर्ट ने नौ महीने में कार्यवाही पूरी करने का आदेश दिया है. अदालत ने यह भी नोट किया कि मामले की सुनवाई के दौरान, जब जरूरत पड़ती है और जरूरत को निचली अदालत के समक्ष ठीक से रखा जाता है, तो अदालत इस मुद्दे पर फैसला करती है.

यह है पूरा मामला

इस मामले में संजीव भट्ट को 2018 में सीआईडी ​​क्राइम ने गिरफ्तार किया था. राजस्थान पाली के एक वकील को पालनपुर के एक होटल के कमरे में झूठे अफीम मामले में फंसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. सीआईडी ​​क्राइम ने पालनपुर के तत्कालीन पीआई व्यास को भी गिरफ्तार किया. 30 अप्रैल 1996 को मामला दर्ज किया हुआ.

सूचना के बाद कि सुमेर सिंह राजपुरोहित पालनपुर के लाजवंती होटल में अफीम की मात्रा लाने जा रहे हैं, पुलिस ने छापा मारा और 15 ग्राम अफीम जब्त की. भट्ट के खिलाफ आरोप 2019 में तय किए गए थे.

यह भी पढ़ें-फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम का सर्वर हुआ डाउन, समस्या ठीक करने की कोशिश जारी

संजीव भट्ट को 2011 में निलंबित कर दिया गया था और 2015 में बर्खास्त कर दिया गया था. उन्हें राज्य सरकार ने 2011 में अनुपस्थिति और बिना अनुमति के सरकारी वाहनों के दुरुपयोग के लिए निलंबित कर दिया था. फिर 2015 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें सेवा से हटाने की सिफारिश की, जिसे मान्य किया गया.

गांधीनगर : गुजरात उच्च न्यायालय ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ दर्ज एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक) मामले में आदेश जारी किया है. हाईकोर्ट ने संजीव भट्ट के खिलाफ बनासकांठा के पालनपुर में 25 साल पुराने एक मामले की सुनवाई नौ महीने में पूरी करने का आदेश दिया है.

अदालत ने संजीव भट्ट की दीसा तालुका के कुछ प्राथमिकी कागजात प्राप्त करने की मांग को स्वीकार कर लिया है. संजीव भट्ट पर 1996 में पालनपुर के एक होटल में राजस्थान के एक वकील के कमरे में धोखाधड़ी से ड्रग्स लगाने, दुकान खाली करने की धमकी देने और वकील को धोखा देने का आरोप लगा था. संजीव भट्ट को 5 सितंबर 2018 को गिरफ्तार किया गया था.

इस मामले में संजीव भट्ट ने ट्रायल केस में तेजी से कार्रवाई के लिए गुजरात हाई कोर्ट में अर्जी दी थी. कोर्ट ने नौ महीने में कार्यवाही पूरी करने का आदेश दिया है. अदालत ने यह भी नोट किया कि मामले की सुनवाई के दौरान, जब जरूरत पड़ती है और जरूरत को निचली अदालत के समक्ष ठीक से रखा जाता है, तो अदालत इस मुद्दे पर फैसला करती है.

यह है पूरा मामला

इस मामले में संजीव भट्ट को 2018 में सीआईडी ​​क्राइम ने गिरफ्तार किया था. राजस्थान पाली के एक वकील को पालनपुर के एक होटल के कमरे में झूठे अफीम मामले में फंसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. सीआईडी ​​क्राइम ने पालनपुर के तत्कालीन पीआई व्यास को भी गिरफ्तार किया. 30 अप्रैल 1996 को मामला दर्ज किया हुआ.

सूचना के बाद कि सुमेर सिंह राजपुरोहित पालनपुर के लाजवंती होटल में अफीम की मात्रा लाने जा रहे हैं, पुलिस ने छापा मारा और 15 ग्राम अफीम जब्त की. भट्ट के खिलाफ आरोप 2019 में तय किए गए थे.

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संजीव भट्ट को 2011 में निलंबित कर दिया गया था और 2015 में बर्खास्त कर दिया गया था. उन्हें राज्य सरकार ने 2011 में अनुपस्थिति और बिना अनुमति के सरकारी वाहनों के दुरुपयोग के लिए निलंबित कर दिया था. फिर 2015 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें सेवा से हटाने की सिफारिश की, जिसे मान्य किया गया.

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