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गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक हिरासत में मौतें दर्ज की गईं: केंद्र - custodial deaths

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Minister of State for Home Nityanand Rai) ने बताया कि गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले पांच वर्षों में हिरासत में मौतों की सबसे अधिक संख्या है. राय ने उक्त जानकारी लोकसभा में दी.

Minister of State for Home Nityanand Rai
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय
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Published : Aug 1, 2023, 9:56 PM IST

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (MHA) ने मंगलवार को कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले पांच वर्षों में हिरासत में मौतों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Minister of State for Home Nityanand Rai) ने लोकसभा में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2023 तक देश के विभिन्न हिस्सों में पुलिस हिरासत में 687 लोगों की मौत हो गई है. संसद में पेश किए गए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में पुलिस हिरासत में 81 मौतें हुईं, जबकि इसी अवधि के दौरान महाराष्ट्र में ऐसी 80 मौतें हुईं.

उन्होंने कहा कि गुजरात में 2018-19 में 13 मौतें, 2019-20 में 12 मौतें, 2020-21 में 17 मौतें, 2021-22 में 24 मौतें और 2022-23 में 15 मौतें हुईं. इसी तरह, महाराष्ट्र में 2018-19 में 11 मौतें हुईं, 2019-20 में 3 मौतें हुईं, 2020-21 में 13 मौतें हुईं, 2021-22 में 30 मौतें हुईं और 2022-23 में 23 मौतें हुईं. राय लोकसभा में एक लिखित प्रश्न का उत्तर दे रहे थे. मंत्री ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश में पुलिस हिरासत में 50, बिहार में 47, उत्तर प्रदेश में 41 और तमिलनाडु में 36 मौतें हुईं.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए, राय ने कहा कि 2022-23 में पुलिस हिरासत में कुल 164 मौतें, 2021-22 में 175, 2020-21 में 100, 2019-20 में 112 और 2018-2019 में 136 मौतें हुईं. राय ने अपने जवाब में कहा कि एनएचआरसी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों की हिरासत में मौत के आंकड़े अलग से नहीं रखता है.

इस बीच, राज्यों में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण पर एक अन्य जवाब में उन्होंने कहा कि पुलिस बलों का आधुनिकीकरण एक सतत और सतत प्रक्रिया है. यद्यपि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं, राज्यों के अपने पुलिस बलों को सुसज्जित और आधुनिक बनाने के प्रयासों को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता की योजना के तहत पूरक बनाया गया है.

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में बजटीय आवंटन में भी कमी आई है. आंकड़ों से पता चला कि 2019-20 में 781.12 करोड़ रुपये और राशि के उपयोग के आधार पर बाद के वर्षों में वित्तीय सहायता में कमी आई है. वर्ष 2020-21 में 103.25 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई तथा 2021-22 में 158.56 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है. 2022-23 में अब तक जारी की गई राशि 36.69 करोड़ रुपये थी.

पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एसओपी अंतिम चरण में है: गृह मंत्रालय

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न एजेंसियों और संबंधित हितधारकों के परामर्श से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पत्रकारों और मीडियाकर्मियों सहित देश के सभी निवासियों की सुरक्षा को सर्वोच्च महत्व देती है. राय ने लोकसभा में कहा, केंद्र सरकार विभिन्न एजेंसियों और हितधारकों के परामर्श से इस संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. उन्होंने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए मौजूदा कानून पत्रकारों को भी कवर करते हैं. राय ने एक लिखित उत्तर में कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य के विषय हैं और राज्य सरकारें अपराधों की रोकथाम, पता लगाने और जांच करने और अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए जिम्मेदार हैं.

गृह मंत्रालय ने समय-समय पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सलाह जारी की है और यह सुनिश्चित किया है कि कानून को अपने हाथ में लेने वाले किसी भी व्यक्ति को कानून के अनुसार तुरंत दंडित किया जाए. राय ने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा पर विशेष रूप से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 20 अक्टूबर, 2017 को एक सलाह जारी की गई थी, जिसमें उनसे मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून को सख्ती से लागू करने का अनुरोध किया गया था.

ये भी पढ़ें - Monsoon Session 2023: लोकसभा में अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन बिल पारित, कल तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (MHA) ने मंगलवार को कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले पांच वर्षों में हिरासत में मौतों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Minister of State for Home Nityanand Rai) ने लोकसभा में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2023 तक देश के विभिन्न हिस्सों में पुलिस हिरासत में 687 लोगों की मौत हो गई है. संसद में पेश किए गए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में पुलिस हिरासत में 81 मौतें हुईं, जबकि इसी अवधि के दौरान महाराष्ट्र में ऐसी 80 मौतें हुईं.

उन्होंने कहा कि गुजरात में 2018-19 में 13 मौतें, 2019-20 में 12 मौतें, 2020-21 में 17 मौतें, 2021-22 में 24 मौतें और 2022-23 में 15 मौतें हुईं. इसी तरह, महाराष्ट्र में 2018-19 में 11 मौतें हुईं, 2019-20 में 3 मौतें हुईं, 2020-21 में 13 मौतें हुईं, 2021-22 में 30 मौतें हुईं और 2022-23 में 23 मौतें हुईं. राय लोकसभा में एक लिखित प्रश्न का उत्तर दे रहे थे. मंत्री ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश में पुलिस हिरासत में 50, बिहार में 47, उत्तर प्रदेश में 41 और तमिलनाडु में 36 मौतें हुईं.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए, राय ने कहा कि 2022-23 में पुलिस हिरासत में कुल 164 मौतें, 2021-22 में 175, 2020-21 में 100, 2019-20 में 112 और 2018-2019 में 136 मौतें हुईं. राय ने अपने जवाब में कहा कि एनएचआरसी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों की हिरासत में मौत के आंकड़े अलग से नहीं रखता है.

इस बीच, राज्यों में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण पर एक अन्य जवाब में उन्होंने कहा कि पुलिस बलों का आधुनिकीकरण एक सतत और सतत प्रक्रिया है. यद्यपि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं, राज्यों के अपने पुलिस बलों को सुसज्जित और आधुनिक बनाने के प्रयासों को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता की योजना के तहत पूरक बनाया गया है.

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में बजटीय आवंटन में भी कमी आई है. आंकड़ों से पता चला कि 2019-20 में 781.12 करोड़ रुपये और राशि के उपयोग के आधार पर बाद के वर्षों में वित्तीय सहायता में कमी आई है. वर्ष 2020-21 में 103.25 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई तथा 2021-22 में 158.56 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है. 2022-23 में अब तक जारी की गई राशि 36.69 करोड़ रुपये थी.

पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एसओपी अंतिम चरण में है: गृह मंत्रालय

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न एजेंसियों और संबंधित हितधारकों के परामर्श से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पत्रकारों और मीडियाकर्मियों सहित देश के सभी निवासियों की सुरक्षा को सर्वोच्च महत्व देती है. राय ने लोकसभा में कहा, केंद्र सरकार विभिन्न एजेंसियों और हितधारकों के परामर्श से इस संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. उन्होंने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए मौजूदा कानून पत्रकारों को भी कवर करते हैं. राय ने एक लिखित उत्तर में कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य के विषय हैं और राज्य सरकारें अपराधों की रोकथाम, पता लगाने और जांच करने और अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए जिम्मेदार हैं.

गृह मंत्रालय ने समय-समय पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सलाह जारी की है और यह सुनिश्चित किया है कि कानून को अपने हाथ में लेने वाले किसी भी व्यक्ति को कानून के अनुसार तुरंत दंडित किया जाए. राय ने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा पर विशेष रूप से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 20 अक्टूबर, 2017 को एक सलाह जारी की गई थी, जिसमें उनसे मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून को सख्ती से लागू करने का अनुरोध किया गया था.

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