वैशालीः बिहार के वैशाली में डॉक्टर नहीं बल्कि अस्पताल का सुरक्षा गार्ड ही मरीजों का इलाज करता है. इस तरह का मामला सामने आने के बाद जहां लोग हैरान हैं, वहीं वैशाली सिविल सर्जन को यह चमत्कार लग रहा है. पूछने पर उन्होंने ऐसा जवाब दिया है, जिससे लग रहा है कि गार्ड को इसके लिए अवॉर्ड मिलना चाहिए. सिविल सर्जन कार्रवाई नहीं कर बेतुका बयान दे रहे हैं. अब सवाल है कि आखिर अस्पताल के डॉक्टर कहां गए जो गार्ड को इलाज करना पड़ा रहा है.
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महनार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का मामलाः यह हैरान करने वाला मामला जिले के महनार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का बताया जा रहा है. अस्पताल में इलाज के समय डॉक्टर वार्ड से गायब रहते हैं. यहां मरीज की जिंदगी सुरक्षा गार्ड के भरोसे छोड़ दिया जाता है. इंजेक्शन लगाना हो या फिर स्लाइन चढ़ाना या बैंडेज करना, सारा काम गार्ड को सौंप दिया गया है. लेकिन पता नहीं डॉक्टर और नर्स किधर गायब रहते हैं. यह अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का जीता जागता उदाहरण है.
खुद को एमबीबीएस मानता है गार्डः गार्ड के द्वारा इलाज करने का वीडियो भी इसका सबूत है. यह मामला रविवार की देर रात की बताई जा रही है. महनार के कुतुबपुर गांव निवासी एक महिला को करंट लग गया था. आनन फानन में परिजनों ने महिला को इलाज के लिए महनार सीएचसी में भर्ती कराया. जिस समय महिला को भर्ती कराया गया, उस समय इमरजेंसी वार्ड से डॉक्टर गायब थे. इसके बाद गार्ड खुद को एमबीबीएस डॉक्टर मानते हुए इलाज करने में जुट गया, जिसका सबूत इस वीडियो में है.
सिलिल सर्जन का बेतुका बयानः जब वैशाली सिविल सर्जन डॉ श्याम नंदन प्रसाद से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. प्रभारी से पूछेंगे कि किस परिस्थिति में गार्ड इलाज कर रहा है? अस्पताल के स्टाफ कहां थे? हालांकि इस दौरान उन्होंने बेतुका बयान भी दे डाला.
जांच की बात कहकर मामला हो जाता है शांत : कुल मिलाकर देखें तो सिविल सर्जन के बयान से ऐसे लग रहा है जैसे जिले में मरीजों के जान की उनको परवाह ही नहीं है. इस तरह की लापरवाही से कई लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन अधिकारी सिर्फ मामले की जांच कराने की बात कहकर शांत हो जाते हैं.
डॉक्टर का अपना निजी क्लीनिकः बता दें कि वैशाली ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में अस्तपाल प्रशासन की लापरवाही देखने को मिलता रहता है, लेकिन विभाग कार्रवाई के बदले जांच का हवाला देकर शांत हो जाता है. जिस डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जाती है, वह या तो अस्पताल नहीं आते हैं या फिर समय से पहले निकल जाते हैं. ज्यादातर सरकारी डॉक्टर का अपना निजी क्लीनिक चलता है. यही वजह है कि सरकारी अस्पताल में डॉक्टर समय से नहीं मिलते हैं.