नई दिल्ली : पुलिस कमिश्नर (police commissioner) राकेश अस्थाना दिल्ली पुलिस (Delhi police) को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयाेग (experiment) कर रहे हैं. इसी क्रम में पुलिस द्वारा की जाने वाली जांच को बेहतर करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं. उन्होंने सभी जिला डीसीपी को निर्देश दिए हैं कि पढ़े-लिखे सिपाही और हवलदार को जांच टीम में शामिल करें. उनसे आपराधिक मामले की जांच करवाई जाए ताकि वह भी भविष्य के लिए तैयार हो सकें.
उन्हें लगता है कि अगर सिपाही-हवलदार भी जांच में शामिल होंगे तो इससे केस सुलझाने एवं अपराधी को सजा दिलवाने में बड़ी कामयाबी मिलेगी. दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि पहले केवल 10वीं या 12वीं पास युवा सिपाही/हवलदार भर्ती होते थे, लेकिन बीते एक दशक में काफी पढ़े-लिखे युवा सिपाही/हवलदार के रूप में दिल्ली पुलिस का हिस्सा बने हैं.
इनमें बी.टेक, एमबीए, बीबीए, पीजी आदि शामिल हैं. ऐसे युवा भले ही सिपाही/हवलदार के पद पर नौकरी कर रहे हैं, लेकिन वह बहुत अच्छा ज्ञान रखते हैं. अभी तक दिल्ली पुलिस में बेहद मामूली अपराध की जांच हवलदार से करवाई जाती है.
वहीं अन्य मामलों की जांच ASI एवं उससे ऊंचे पद के पुलिसकर्मी ही करते हैं. उन्होंने बताया कि पुलिस फोर्स में जांच अधिकारियों की कमी लंबे समय से चल रही है. ऐसे में पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की इस पहल से इस समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाएगा. पूर्व डीसीपी वेद भूषण ने बताया पुलिस कमिश्नर (Police commissioner) राकेश अस्थाना के इस कदम से थाने में लंबित मामलाें की जांच में तेजी आएगी. कई बार पुलिसकर्मियों की कम संख्या के चलते ठीक से जांच नहीं हो पाती है. इस वजह से कई बार आरोपी भी बरी हो जाते हैं.
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उन्हाेंने बताया कि कमिश्नर बनने के बाद से बेहतरीन जांच पर राकेश अस्थाना का जोर है. यही वजह है कि उन्होंने कानून व्यवस्था और जांच को प्रत्येक थाने में अलग कर दिया. उनकी इस पहल से ना केवल लंबित मामलों की जांच तेजी से हो सकेगी बल्कि पुलिसकर्मी इस जांच को अच्छा समय भी दे सकेंगे. इससे अपराधियों को सजा दिलवाने में पुलिस को कामयाबी मिलेगी.