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आंगनवाड़ी केंद्रों को फिर से खोलने पर विचार कर रही केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोरोना वायरस के कारण किए गए लॉकडाउन के समय से आंगनवाड़ी केंद्र बंद हैं. न्यायालय ने बच्चों को खिलाने के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों को फिर से खोलने पर केंद्र से प्रतिक्रिया मांगी थी.

आंगनवाड़ी केंद्रों पर सरकार
आंगनवाड़ी केंद्रों पर सरकार
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Published : Nov 27, 2020, 4:01 PM IST

Updated : Nov 27, 2020, 4:10 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना के समय से बंद चल रहे आंगनवाड़ी केंद्रों पर केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया. सुप्रीम कोर्ट को केंद्र ने बताया कि मार्च के बाद से पूरी आंगनवाड़ी प्रणाली बंद है. साथ ही इसके विकल्प के रूप में कोई साधन उपलब्ध नहीं कराया गया है. गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों के लिए प्रतिदिन पांच रुपये केंद्र का संयुक्त बजट आवंटित था.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ कोविड-19 के दौरान आंगनवाड़ियों के माध्यम से योजनाओं के कार्यान्वयन से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्विस ने अदालत को बताया कि कुपोषण और भूख अपने चरम पर है. इससे बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या ऐसे समय में बच्चों को बुलाना सही होगा, जब हाई स्कूल भी बंद हैं. जवाब में गोंसाल्विस ने कहा कि बच्चों को पांच के समूह में बुलाकर कंटेंमेंट जोन से बाहर भोजन उपलब्ध कराया जा सकता है.

पढ़ें- 80% लोग नहीं पहन रहे मास्क, बाकी जबड़ों पर लगा रहे: सुप्रीम कोर्ट

केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि वह आंगनवाड़ी केंद्रों को फिर से खोलने पर विचार कर रही है. महिला और बाल विकास मंत्रालय के साथ इस मामले पर चर्चा चल रही है.

कोर्ट ने केंद्र से राज्यों द्वारा दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन पर एक लिखित हलफनामा दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.

नई दिल्ली : कोरोना के समय से बंद चल रहे आंगनवाड़ी केंद्रों पर केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया. सुप्रीम कोर्ट को केंद्र ने बताया कि मार्च के बाद से पूरी आंगनवाड़ी प्रणाली बंद है. साथ ही इसके विकल्प के रूप में कोई साधन उपलब्ध नहीं कराया गया है. गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों के लिए प्रतिदिन पांच रुपये केंद्र का संयुक्त बजट आवंटित था.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ कोविड-19 के दौरान आंगनवाड़ियों के माध्यम से योजनाओं के कार्यान्वयन से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्विस ने अदालत को बताया कि कुपोषण और भूख अपने चरम पर है. इससे बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या ऐसे समय में बच्चों को बुलाना सही होगा, जब हाई स्कूल भी बंद हैं. जवाब में गोंसाल्विस ने कहा कि बच्चों को पांच के समूह में बुलाकर कंटेंमेंट जोन से बाहर भोजन उपलब्ध कराया जा सकता है.

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केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि वह आंगनवाड़ी केंद्रों को फिर से खोलने पर विचार कर रही है. महिला और बाल विकास मंत्रालय के साथ इस मामले पर चर्चा चल रही है.

कोर्ट ने केंद्र से राज्यों द्वारा दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन पर एक लिखित हलफनामा दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.

Last Updated : Nov 27, 2020, 4:10 PM IST
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