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Withdrawal of Army from Valley: कश्मीर घाटी से सेना की वापसी पर सरकार बना रही बड़ा प्लान

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Published : Feb 20, 2023, 9:34 AM IST

Updated : Feb 20, 2023, 10:12 AM IST

जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में काफी कमी आई है. पथराव और हिंसा काफी हद तक नियंत्रित है. अमन चैन कायम हो रहा है. इन सबके बीच सरकार बड़े बदलाव पर विचार कर रही है.

Withdrawal of Army from Kashmir Valley
कश्मीर घाटी से सेना की वापसी पर सरकार बना रही बड़ा प्लान

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाए जाने के करीब साढ़े तीन साल बाद अब यहां से सेना को हटाने पर विचार किया जा रहा है. इस बात की चर्चा है कि जम्मू कश्मीर से चरणबद्ध तरीके से सेना को हटाया जाएगा. जम्मू-कश्मीर में सेना के पास करीब 1.3 लाख जवान हैं. इनमें से करीब 80,000 भारत- पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार कश्मीर घाटी के भीतरी इलाकों से सेना की चरणबद्ध वापसी पर विचार कर रही है. सरकार का इस आशय के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श जारी है. बताया जा रहा है कि यदि सरकार की मंजूरी मिलती है तो सेना की मौजूदगी सिर्फ लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर होगी.

कहा जा रहा है कि सेना को जम्मू कश्मीर से हटाने के प्रस्ताव पर पिछले कुछ सालों से चर्चा चल रही है. बातचीत का दौर अब रक्षा मंत्रालय, केंद्रीय गृह मंत्रालय और सशस्त्र बलों की भागीदारी के बीच उच्चस्तर पर है. घाटी से सेना को हटा लिया जाएगा और इसकी जगह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को तैनात कर दिया जाएगा. वहीं, सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ को सौंप दी जाएगी.

सीआरपीएफ के जवान कानून व्यवस्था और आतंकवाद विरोधी अभियानों की चुनौतियों का सामना करेंगे. इस संबंध में कब तक निर्णय लिया जाएगा यह देखने वाली बात है. राष्ट्रीय राइफल्स के लगभग 40,000-45,000 कर्मियों के पास कश्मीर के भीतरी इलाकों में आतंकवाद-रोधी अभियान चलाने की जिम्मेदारी है.

ये भी पढ़ें- NIA seized three cars used by terrorists: NIA ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटना में इस्तेमाल तीन कारें जब्त की

बताया जाता है कि जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ के 60,000 बल तैनात हैं. इनमें से आधा से अधिक जवान कश्मीर घाटी में तैनात रहते हैं. वहीं, जम्मू-कश्मीर पुलिस 83,000 कर्मी हैं जो पूरे क्षेत्र की कानून व्यवस्था बनाए रखते हैं. इसके अलावा, अन्य सुरक्षा बल भी इलाके में तैनात रहते हैं. बता दें कि सरकार ने हाल में कहा था कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है. खासकर जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाए जाने कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है. पथराव की घटना लगभग खत्म हो गयी है.

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाए जाने के करीब साढ़े तीन साल बाद अब यहां से सेना को हटाने पर विचार किया जा रहा है. इस बात की चर्चा है कि जम्मू कश्मीर से चरणबद्ध तरीके से सेना को हटाया जाएगा. जम्मू-कश्मीर में सेना के पास करीब 1.3 लाख जवान हैं. इनमें से करीब 80,000 भारत- पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार कश्मीर घाटी के भीतरी इलाकों से सेना की चरणबद्ध वापसी पर विचार कर रही है. सरकार का इस आशय के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श जारी है. बताया जा रहा है कि यदि सरकार की मंजूरी मिलती है तो सेना की मौजूदगी सिर्फ लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर होगी.

कहा जा रहा है कि सेना को जम्मू कश्मीर से हटाने के प्रस्ताव पर पिछले कुछ सालों से चर्चा चल रही है. बातचीत का दौर अब रक्षा मंत्रालय, केंद्रीय गृह मंत्रालय और सशस्त्र बलों की भागीदारी के बीच उच्चस्तर पर है. घाटी से सेना को हटा लिया जाएगा और इसकी जगह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को तैनात कर दिया जाएगा. वहीं, सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ को सौंप दी जाएगी.

सीआरपीएफ के जवान कानून व्यवस्था और आतंकवाद विरोधी अभियानों की चुनौतियों का सामना करेंगे. इस संबंध में कब तक निर्णय लिया जाएगा यह देखने वाली बात है. राष्ट्रीय राइफल्स के लगभग 40,000-45,000 कर्मियों के पास कश्मीर के भीतरी इलाकों में आतंकवाद-रोधी अभियान चलाने की जिम्मेदारी है.

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बताया जाता है कि जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ के 60,000 बल तैनात हैं. इनमें से आधा से अधिक जवान कश्मीर घाटी में तैनात रहते हैं. वहीं, जम्मू-कश्मीर पुलिस 83,000 कर्मी हैं जो पूरे क्षेत्र की कानून व्यवस्था बनाए रखते हैं. इसके अलावा, अन्य सुरक्षा बल भी इलाके में तैनात रहते हैं. बता दें कि सरकार ने हाल में कहा था कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है. खासकर जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाए जाने कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है. पथराव की घटना लगभग खत्म हो गयी है.

Last Updated : Feb 20, 2023, 10:12 AM IST
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