नई दिल्ली : सरकार कोविड-19 रोधी टीके के तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण और उसे नियमित लाइसेंस दिए जाने के लंबित रहने के बीच टीके के आपात स्थिति में उपयोग को अधिकृत करने के तौर-तरीकों पर विचार कर रही है.
एक बैठक में टीके के मूल्य समेत उसकी अग्रिम खरीद प्रतिबद्धता के विषय पर विचार-विमर्श किया गया, जिसमें नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) विनोद पॉल, सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने भाग लिया.
एक सूत्र ने बताया कि यह तय हुआ कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा गठित टीका कार्य बल (वीटीएफ) आपात स्थिति में इस्तेमाल की स्वीकृति देने के सिद्धांत निर्धारित करेगा, वहीं कोविड-19 के लिए टीका प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह को टीके के मूल्य समेत अग्रिम बाजार प्रतिबद्धताओं के लिए सिद्धांत तय करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए.
यह घटनाक्रम फाइजर कंपनी द्वारा अमेरिकी नियामकों से उसके कोविड-19 के टीके के आपात इस्तेमाल के अधिकार मांगने की पृष्ठभूमि में सामने आया है.
अमेरिका की एक और जैव-प्रौद्योगिकी कंपनी मॉडर्ना ने कहा कि वह भी आने वाले सप्ताहों में अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) में आपात उपयोग के अधिकार के लिए आवेदन करेगी.
इस बीच भारत में पांच टीके क्लीनिकल ट्रायल के विभिन्न चरणों में हैं. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इस समय ऑक्सफोर्ड-आस्ट्रोजेनेका के टीके का तीसरे चरण का परीक्षण कर रहा है, वहीं भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने स्वदेश विकसित कोवैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण शुरू कर दिया है.
जायडस कैडिला द्वारा स्वेदश विकसित टीके ने देश में दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है. डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज जल्द ही रूसी टीके स्पूतनिक-5 के भारत में दूसरे और तीसरे चरण के सामूहिक परीक्षण शुरू करेगा.
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सूत्र के अनुसार टीका कार्य बल (वीटीएफ) की एक बैठक विशेषज्ञों के साथ बुलाई जाएगी, जिसमें दुनियाभर में टीकों की वैज्ञानिक स्थिति की समीक्षा की जाएगी और विचार किया जाएगा कि टीकों के आपात उपयोग को अधिकृत करने का फैसला कैसे और कब लिया जाना चाहिए.