नई दिल्ली : केंद्र सरकार बीपीसीएल, बीईएमएल एवं शिपिंग कॉर्प समेत छह केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के लिए जनवरी 2022 तक वित्तीय निविदाएं जारी करेगी.
निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडेय (Tuhin Kanta Pandey) ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्होंने इन केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के लिए बोलियां लगाने को निजी कंपनियों को भी आमंत्रित किया.
पांडेय ने सीआईआई वैश्विक आर्थिक नीति सम्मेलन 2021 को संबोधित करते हुए कहा, '19 वर्षों के बाद इस साल पांच-छह सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण देखने को मिलेगा. बीपीसीएल इस समय सम्यक तत्परता के चरण में है. बीईएमएल, शिपिंग कॉर्प, पवन हंस, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स और एनआईएनएल के लिए भी दिसंबर-जनवरी के दौरान वित्तिय निविदाएं आमंत्रित की जा सकती हैं.'
सार्वजनिक इकाइयों के विनिवेश की प्रक्रिया संचालिच करने वाले विभाग दीपम के सचिव ने कहा कि इन उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया चालू वित्त वर्ष में ही पूरी हो जाने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के भी इस वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में आने की संभावना है. उन्होंने कहा, 'एलआईसी का आईपीओ लाने के लिए हम कड़ी मेहनत कर रहे हैं. पूंजी बाजार के लिए यह जनवरी-मार्च तिमाही की बहुत बड़ी घटना होगी.'
पांडेय ने सरकारी एयरलाइन एअर इंडिया की कमान टाटा समूह को सौंप दिए जाने की प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी होने की उम्मीद भी जताई. एलआईसी का शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना सरकार के लिए विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने के लिहाज से बेहद अहम होगा. सरकार ने वर्ष 2021-22 के बजट में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है.
हालांकि इस वित्त वर्ष में अभी तक सिर्फ 9,330 करोड़ रुपये ही विनिवेश से जुटाए जा सके हैं. यह राशि सार्वजनिक इकाइयों में अपनी अल्पांश हिस्सेदारी बेचने और एसयू-यूटीआई की बिक्री से मिली है.
सरकार ने पिछले महीने टाटा समूह की कंपनी टालेस प्राइवेट लिमिटेड को एअर इंडिया की बिक्री पर मुहर लगाई थी. इसके एवज में सरकार को 2,700 करोड़ रुपये मिले और टालेस ने एयरलाइन पर बकाया 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज बोझ अपने जिम्मे ले लिया.
एअर इंडिया की बिक्री पर भी बोले
दीपम सचिव ने कहा कि एअर इंडिया की बिक्री हो जाने के बाद सार्वजनिक इकाइयों के निजीकरण की प्रक्रिया कहीं तेजी से संपन्न की जा सकती है. उन्होंने कहा कि इसके लिए निजी क्षेत्र का सहयोग भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री की प्रक्रिया शुरू होने पर निजी क्षेत्र को भी बोली लगाकर अपनी भूमिका निभानी है.
पांडेय ने कहा, 'हम निजीकरण की राह में ऐसी स्थिति की तरफ बढ़ रहे हैं जहां नीतिगत के अलावा यह कार्य में भी नजर आती है.'
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