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सरकार विपक्ष के मजबूत होने से डर रही है: वामपंथी सांसद

राज्यसभा के 12 निलंबित सांसदों में शामिल वाम दलों के सांसदों का मानना है कि संसद में विपक्ष मजबूत हो रहा है, इस कारण केंद्र सरकार डर रही है. उन्होंने कहा कि डर की वजह से सरकार सांसदों का निलंबन रद्द नहीं कर रही है. पढ़िए ईटीवी भारत की संवाददाता नियामिका सिंह की रिपोर्ट...

Suspended Rajya Sabha MPs protesting
धरना देते राज्यसभा के निलंबित सांसद.
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Published : Dec 1, 2021, 10:00 PM IST

Updated : Dec 1, 2021, 10:48 PM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा के 12 निलंबित सांसदों ने बुधवार को गांधी प्रतिमा पर धरना दिया, जबकि अन्य विपक्षी सांसदों ने इन सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग को लेकर सदन के अंदर धरना दिया. इसको लेकर पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किए गए वाम दलों के सांसदों का मानना है कि संसद में विपक्ष मजबूत हो रहा है, इस वजह से सरकार डर रही है और इन सांसदों के निलंबन को रद्द नहीं कर रही है.

जानकारी देते माकपा सांसद इलावरम करीम

इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए माकपा सांसद इलावरम करीम (CPI(M) MP Elavaram Kareem) ने कहा, 'सरकार पर अधिकतम दबाव डाला जाएगा और साथ ही हम इन मुद्दों को लोगों तक ले जाएंगे क्योंकि यह वैधानिक सिद्धांतों के नियमों का उल्लंघन है. साथ ही उन्होंने कहा कि निलंबित करने वाले सदस्यों के नैसर्गिक न्याय को नकार कर यह एकतरफा निर्णय था. उन्होंने जोर देकर कहा कि विपक्षी सदस्य बढ़ गए हैं क्योंकि टीआरएस सहित कई अन्य दलों ने भी आज के विरोध में भाग लिया, जिनके सांसदों ने सदन की कार्यवाही के दौरान कृषि कानूनों पर नारे लगाए.

करीम ने कहा कि यह एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि सरकार अब डर रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सांसदों के निलंबन का यह कदम भी एक 'राजनीतिक एजेंडे' के साथ किया जा रहा है क्योंकि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. इसीक्रम में सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम (CPI MP Binoy Viswam) ने ईटीवी भारत से कहा, 'हमने इस मुद्दे को आज संसद में प्रभावी ढंग से उठाया. इसकी वजह से सदन स्थगित किया जाता है. जब तक सरकार इस पर अडिग है तब तक हमारे पास इसका विरोध करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.'

ये भी पढ़ें - जानिए राज्यसभा के नियम 256 को, जिसके तहत सभापति वैंकेया नायडू ने 12 सांसदों को निलंबित किया

यह पूछे जाने पर कि क्या सदन में व्यवधान संसद में मुद्दों को उठाने का सही तरीका है, उन्होंने कहा, 'सभा का सुचारू संचालन सरकार का भी विशेषाधिकार है. यह सरकार अपना कर्तव्य भूल गई है और हम पर बोझ डाल दिया है.' इस बीच, करीम ने विरोध के दौरान हुई किसानों की मौत से संबंधित आंकड़े जारी नहीं करने के लिए भी सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा, 'इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है. हर कोई जानता है कि 700 से अधिक किसान मारे गए हैं. कुछ की हत्या भी हुई है. अगर वे किसानों के पक्ष में हैं तो सरकार डेटा एकत्र कर सकती है. यह कृषि मंत्री का बेहद निंदनीय बयान है.'

नई दिल्ली : राज्यसभा के 12 निलंबित सांसदों ने बुधवार को गांधी प्रतिमा पर धरना दिया, जबकि अन्य विपक्षी सांसदों ने इन सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग को लेकर सदन के अंदर धरना दिया. इसको लेकर पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित किए गए वाम दलों के सांसदों का मानना है कि संसद में विपक्ष मजबूत हो रहा है, इस वजह से सरकार डर रही है और इन सांसदों के निलंबन को रद्द नहीं कर रही है.

जानकारी देते माकपा सांसद इलावरम करीम

इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए माकपा सांसद इलावरम करीम (CPI(M) MP Elavaram Kareem) ने कहा, 'सरकार पर अधिकतम दबाव डाला जाएगा और साथ ही हम इन मुद्दों को लोगों तक ले जाएंगे क्योंकि यह वैधानिक सिद्धांतों के नियमों का उल्लंघन है. साथ ही उन्होंने कहा कि निलंबित करने वाले सदस्यों के नैसर्गिक न्याय को नकार कर यह एकतरफा निर्णय था. उन्होंने जोर देकर कहा कि विपक्षी सदस्य बढ़ गए हैं क्योंकि टीआरएस सहित कई अन्य दलों ने भी आज के विरोध में भाग लिया, जिनके सांसदों ने सदन की कार्यवाही के दौरान कृषि कानूनों पर नारे लगाए.

करीम ने कहा कि यह एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि सरकार अब डर रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सांसदों के निलंबन का यह कदम भी एक 'राजनीतिक एजेंडे' के साथ किया जा रहा है क्योंकि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. इसीक्रम में सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम (CPI MP Binoy Viswam) ने ईटीवी भारत से कहा, 'हमने इस मुद्दे को आज संसद में प्रभावी ढंग से उठाया. इसकी वजह से सदन स्थगित किया जाता है. जब तक सरकार इस पर अडिग है तब तक हमारे पास इसका विरोध करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.'

ये भी पढ़ें - जानिए राज्यसभा के नियम 256 को, जिसके तहत सभापति वैंकेया नायडू ने 12 सांसदों को निलंबित किया

यह पूछे जाने पर कि क्या सदन में व्यवधान संसद में मुद्दों को उठाने का सही तरीका है, उन्होंने कहा, 'सभा का सुचारू संचालन सरकार का भी विशेषाधिकार है. यह सरकार अपना कर्तव्य भूल गई है और हम पर बोझ डाल दिया है.' इस बीच, करीम ने विरोध के दौरान हुई किसानों की मौत से संबंधित आंकड़े जारी नहीं करने के लिए भी सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा, 'इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है. हर कोई जानता है कि 700 से अधिक किसान मारे गए हैं. कुछ की हत्या भी हुई है. अगर वे किसानों के पक्ष में हैं तो सरकार डेटा एकत्र कर सकती है. यह कृषि मंत्री का बेहद निंदनीय बयान है.'

Last Updated : Dec 1, 2021, 10:48 PM IST
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