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26 सालों से खजाने में सड़ रहे जयललिता से जब्त किये गये सामान, सामाजिक कार्यकर्ता ने कोर्ट से मांगी नीलामी की इजाजत - Goods seized from Jayalalithaa rotting in the treasury for 26 years

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री एल. जयललिता की संपत्ति को जब्त किए 26 साल बीत गए. सामाजिक कार्यकर्ता नरसिम्हामूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कीमती साड़ियों, घड़ी, चप्पल और अन्य सामानों की नीलामी करने के लिए लिखा है. 2016 में जयललिता की मृत्यु हो गई.

Jayalalithaa
एल. जयललिता
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Published : Jun 28, 2022, 9:56 AM IST

Updated : Jun 28, 2022, 10:45 AM IST

बेंगलुरू: तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री एल. जयललिता की संपत्ति को जब्त किए 26 साल बीत गए. सामाजिक कार्यकर्ता नरसिम्हामूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कीमती साड़ियों, घड़ी, चप्पल और अन्य सामानों की नीलामी करने के लिए लिखा है. 2016 में जयललिता की मृत्यु हो गई. बता दें, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 1996 में आय के ज्ञात स्रोतों से ज़्यादा संपत्ति को लेकर जयललिता के खिलाफ मोर्चा खोला, तो तत्कालीन डीएमके सरकार ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में ज्यादा देर नहीं लगाई. जयललिता पर 66 करोड़ की अवैध संपत्ति जुटाने का गंभीर आरोप लगा और मामला निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था.

पुलिस ने जयललिता के निवास पर छापे के दौरान 800 किलो चांदी, 28 किलो सोना, 11,344 साड़ियां, 250 सॉल, 750 जोड़ी चप्पलें, 91 घड़ियां और 41 एयरकंडिशनर मिले थे. यह सब कुछ बेंगलुरू की सिटी सिविल कोर्ट की पहली मंजिल पर रखा गया है. इन सामनों की निगरानी 24 घंटे कर्नाटक पुलिस करती है और इसके लिए चार पुलिस वाले तैनात हैं. इनकम टैक्स विभाग ने 2002 में सारा सामान सरकार को सौंपा था. उस वक्त केस तमिलनाडु से कर्नाटक में शिफ्ट हो गया था.

पढ़ें: तमिलनाडु सरकार ने जयललिता की संपत्ति को अधिग्रहित किया

1996 में जयललिता की तरफ से एक अर्जी डाली गई थी कि तमिलनाडु में डीएमके की सरकार होने की वजह से उन्हें उचित न्याय नहीं मिलने का डर है. इस वजह से केस को कर्नाटक में शिफ्ट किया गया था. एक स्पेशल कोर्ट ने उन्हें और बाकी आरोपियों को सितंबर 2014 में जेल भेज दिया था. फिर कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैसले को बदलकर मई 2015 में जयललिता को बाहर कर दिया था. फिर कर्नाटक सरकार ने ही सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी.

26 साल बीत जाने के बाद भी सारा सामान खजाने में है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने वाले नरसिम्हामूर्ति ने कहा कि यदि वे जब्त किए गए सामान को नीलामी में डालते हैं, तो इसे उनके प्रशंसकों और समर्थकों द्वारा खरीदा जाएगा. इससे सरकार को राजस्व भी मिलेगा. जयललिता अवैध संपत्ति हासिल करने वाली पहली आरोपी थीं. लेकिन सजा सुनाए जाने से पहले उनकी बीमारी से मौत हो गई थी.

पढ़ें: तमिलनाडु सरकार ने अदालत में ₹67 करोड़ जमा कर जयललिता का घर अधिग्रहित किया

1997 में सीबीआई ने दायर की चार्जशीट : 1996 में सीबीआई ने छापा मारा और अवैध संपत्ति बरामद की. 1997 में उनके खिलाफ अभियोग सूची दायर की गई थी. इस मामले में सीबीआई ने 11,344 साड़ी, 750 जोड़ी चप्पल, 250 शॉल, एसी 44, सूटकेस 131, टेलीफोन 33, वॉल क्लॉक 27, पंखा 86, डेकोरेट चेयर 146, टिपई 34, टेबल 31, चारपाई 34, ड्रेसिंग टेबल 9, हैंगिंग लाइट 81, सोफासेट 20, ड्रेसिंग मिरर टेबल 31 और क्रिस्टल कट ग्लास 231, आयरन लारकस 03, फ्रिज 12, टेलीविजन सेट 10, वीडियो कैमरा 04, टेप रिकॉर्डर 24 और 1040 वीडियो कैसेट जब्त किए थे.

बेंगलुरू: तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री एल. जयललिता की संपत्ति को जब्त किए 26 साल बीत गए. सामाजिक कार्यकर्ता नरसिम्हामूर्ति ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कीमती साड़ियों, घड़ी, चप्पल और अन्य सामानों की नीलामी करने के लिए लिखा है. 2016 में जयललिता की मृत्यु हो गई. बता दें, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 1996 में आय के ज्ञात स्रोतों से ज़्यादा संपत्ति को लेकर जयललिता के खिलाफ मोर्चा खोला, तो तत्कालीन डीएमके सरकार ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में ज्यादा देर नहीं लगाई. जयललिता पर 66 करोड़ की अवैध संपत्ति जुटाने का गंभीर आरोप लगा और मामला निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था.

पुलिस ने जयललिता के निवास पर छापे के दौरान 800 किलो चांदी, 28 किलो सोना, 11,344 साड़ियां, 250 सॉल, 750 जोड़ी चप्पलें, 91 घड़ियां और 41 एयरकंडिशनर मिले थे. यह सब कुछ बेंगलुरू की सिटी सिविल कोर्ट की पहली मंजिल पर रखा गया है. इन सामनों की निगरानी 24 घंटे कर्नाटक पुलिस करती है और इसके लिए चार पुलिस वाले तैनात हैं. इनकम टैक्स विभाग ने 2002 में सारा सामान सरकार को सौंपा था. उस वक्त केस तमिलनाडु से कर्नाटक में शिफ्ट हो गया था.

पढ़ें: तमिलनाडु सरकार ने जयललिता की संपत्ति को अधिग्रहित किया

1996 में जयललिता की तरफ से एक अर्जी डाली गई थी कि तमिलनाडु में डीएमके की सरकार होने की वजह से उन्हें उचित न्याय नहीं मिलने का डर है. इस वजह से केस को कर्नाटक में शिफ्ट किया गया था. एक स्पेशल कोर्ट ने उन्हें और बाकी आरोपियों को सितंबर 2014 में जेल भेज दिया था. फिर कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैसले को बदलकर मई 2015 में जयललिता को बाहर कर दिया था. फिर कर्नाटक सरकार ने ही सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी.

26 साल बीत जाने के बाद भी सारा सामान खजाने में है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने वाले नरसिम्हामूर्ति ने कहा कि यदि वे जब्त किए गए सामान को नीलामी में डालते हैं, तो इसे उनके प्रशंसकों और समर्थकों द्वारा खरीदा जाएगा. इससे सरकार को राजस्व भी मिलेगा. जयललिता अवैध संपत्ति हासिल करने वाली पहली आरोपी थीं. लेकिन सजा सुनाए जाने से पहले उनकी बीमारी से मौत हो गई थी.

पढ़ें: तमिलनाडु सरकार ने अदालत में ₹67 करोड़ जमा कर जयललिता का घर अधिग्रहित किया

1997 में सीबीआई ने दायर की चार्जशीट : 1996 में सीबीआई ने छापा मारा और अवैध संपत्ति बरामद की. 1997 में उनके खिलाफ अभियोग सूची दायर की गई थी. इस मामले में सीबीआई ने 11,344 साड़ी, 750 जोड़ी चप्पल, 250 शॉल, एसी 44, सूटकेस 131, टेलीफोन 33, वॉल क्लॉक 27, पंखा 86, डेकोरेट चेयर 146, टिपई 34, टेबल 31, चारपाई 34, ड्रेसिंग टेबल 9, हैंगिंग लाइट 81, सोफासेट 20, ड्रेसिंग मिरर टेबल 31 और क्रिस्टल कट ग्लास 231, आयरन लारकस 03, फ्रिज 12, टेलीविजन सेट 10, वीडियो कैमरा 04, टेप रिकॉर्डर 24 और 1040 वीडियो कैसेट जब्त किए थे.

Last Updated : Jun 28, 2022, 10:45 AM IST
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