भोपाल। इमरजेंसी में लिया गोल्ड लोन, नहीं चुका पाए,अब (gold loan default will auction) नीलाम होगा गोल्ड. राजधानी भोपाल में करीब दो हजार ऐसे मामले सामने आए हैं. जहां अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों ने ज्वेलरी गिरवी रख बैंकों से लोन लिया था, लेकिन वे लोन की किस्त नहीं चुका पाए. अब ऐसे गोल्ड लोने के तौर पर रखे गए सोने की (gold auction by bank and nbfc)नीलामी की जा रही है.
देश भर में गोल्ड लोन के लगभग 1 लाख डिफाल्टर
गोल्ड लोन (Gold Loan) लेने के बाद समय पर उसे न चुका पाने वाले देशभर में करीब 1 लाख से ज्यादा डिफाल्टर हैं. ऐसे करीब 1 लाख परिवारों का सोना बैंक और एनबीएफसी (Bank & NBFC) नीलाम करने जा रहे हैं. गोल्ड लोन बाजार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले मुत्थूट फाइनेंस और मणप्पुरम फाइनेंस ने नोटिस जारी कर डिफॉल्ट करने वालों का सोना नीलाम करने की बात कही है. बुधवार 16 फरवरी से नीलामी का पहला चरण शुरू होगा. एमपी में भी ऐसे लगभग 2000 परिवार हैं जो कई तरह की मजबूरियों के चलते लोन नहीं चुका पाए हैं. अब उनकी ज्वेलरी की भी नीलामी की जाएगी.
केस-1 राजधानी के रोहित नगर निवासी योगेंद्र कुमार ने कोरोना महामारी के लोक डाउन से पहले एक प्राइवेट बैंक से 20 लाख का गोल्ड लोन लिया था, लेकिन लॉकडाउन लग जाने के बाद उनकी आमदनी के स्रोत लगभग खत्म हो गए और पैतृक संपत्ति से मिली ज्वेलरी भी अब उनके हाथ से चली गई है. अब उनकी पैतृक ज्वेलरी जो बैंक के लिए गोल्ड असेट्स बन चुकी है उसकी नीलामी की जा रही है.
केस-2 बागसेवनिया निवासी प्रियंका के पति ने एक निजी फाइनेंस कंपनी से गोल्ड लोन लिया था. इस लोन के जरिए प्रियंका के पति बिजनेस करना चाह रहे थे ,लेकिन साल भर मे कोई बिजनेस जम नहीं पाया. बात ऐसी बिगड़ी की पति और पत्नी के बीच विवाद हो गया और तलाक की नौबत आ गई, मामला कोर्ट में है और अब फाइनेंस कंपनी इनके गोल्ड को भी नीलाम करने जा रही है.
वरुण गांधी का ट्वीट क्या यही है नया भारत
भाजपा नेता वरुण गांधी ने गोल्ड लोन की नीलामी को लेकर सरकार की पॉलिसी पर सवाल उठाया है. उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, ‘अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रखते वक्त पुरुष का आत्मसम्मान भी गिरवी हो जाता है. किसी भी हिंदुस्तानी का जेवर या मकान गिरवी रखना अंतिम विकल्प होता है. महामारी और मंहगाई की दोहरी मार झेल रहे आम भारतीयों को यह असंवेदनशीलता अंदर तक तोड़ देगी. क्या यही नए भारत के निर्माण की परिकल्पना है?’
यह मंदी का संकेत?
एक्सपर्ट का कहना है कि गोल्ड लोन डिफॉल्टर का बढ़ता आंकड़ा और फाइनेंस कंपनियों की तरफ से सोने की नीलामी करना आर्थिक मंदी की ओर इशारा करता है. पिछले 2 साल से परेशान आम आदमी के जीवन में आई यह ऐसी आर्थिक तंगी है जो दिखती नहीं है. एक्सपर्ट मानते हैं कि बैंक इसका फायदा उठा रहे हैं.
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जिन्होंने पिछले साल लिया लोन नहीं चुकाया उनकी ज्वेलरी की होगी नीलामी
मणप्पुरम गोल्ड फाइनेंस कंपनी के रीजनल मैनेजर वेनू जोसफ का कहना है कि जिन्होंने पिछले साल लोन लिया था, उन्हीं लोगों के गोल्ड की नीलामी की जाएगी. उन्होंने गोल्ड लोन चुकाने के लिए 3 महीने ,6 महीने से लेकर 1 साल की अवधि नियमानुसार तय की होती है. इसके बाद ग्राहक यदि एक्सटेंशन लेता है तो फिर उसकी अवधि बढ़ाई भी जाती है, लेकिन लोन नहीं चुका पाने पर वह डिफाल्टर घोषित हो जाता है. डिफाल्टर होने की स्थिति में बैंक और फाइनेंस कंपनियां समय-समय पर गोल्ड की नीलामी करती हैं. रीजनल मैनेजर भी मानते हैं कि इमरजेंसी में ही लोग सोना रख कर लोन लेते हैं. कोरोना की दूसरी लहर में लोगों की नौकरी और रोजगार जाने के अलावा बीमारी में भी काफी पैसा खर्च हुआ जिसके चलते लोगों ने गोल्ड ज्वेलरी रख कर लोन लोन लिया ,लेकिन इनकम सोर्सेस नहीं होने से कर्ज नहीं चुका पाए. उन्होंने बताया कि
- गोल्ड की नीलामी हर महीने होती है.एनबीएफसी और बैंक हर महीने सोने की नीलामी करते हैं.
- ज्वेलरी की कीमत का करीब 70 फ़ीसदी तक लोन मिलता है.
- डिफॉल्ट करने पर सोना बेचकर कर्ज की वसूली होती है.
- इसके लिए कर्ज चुकाने की समय अवधि पूरी होने के बाद बैंक वाले फाइनेंस कंपनियां नोटिस जारी करते हैं.
- फाइनेंस कंपनियों की रजामंदी के बाद डिफाल्टर के गोल्ड की नीलामी की जाती है.
ज्यादातर लोगों ने इलाज के लिए लिया गोल्ड लोन
इलाज के लिए सोना गिरवी रखने वालों की संख्या बीते साल में काफी बढ़ी थी. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इलाज के लिए अस्पतालों के मनमाने बिलों से लोगों की आर्थिक स्थिति डगमगा गई और मेडिकल इमरजेंसी के चलते लोगों ने सोना गिरवी रखकर लोन लिया. इलाज में निजी अस्पतालों के मेडिक्लेम कैशलेस को स्वीकार कर नहीं करने की वजह से भी लोगों ने इमरजेंसी में गोल्ड लोन लिया. पैसे लेने के लिए लोगों ने सोने के जेवर ब्रेसलेट, कड़े ,पेंडेंट से लेकर मंगलसूत्र तक गिरवी रख दिया. आरबीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक
-कोरोना की पहली लहर में गोल्ड लोन की रफ्तार 132 प्रतिशत तक बढ़ गई थी.
- बैंक सोने बिस्किट और सिक्के नहीं लेते हैं. ऐसे में लोगों ने गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान (एनबीएफसी) से भी बड़ी मात्रा में गोल्ड लोन लिया.