नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले (Godhra train burning case) के कुछ दोषियों की जमानत याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करेगा, जिनके खिलाफ खास तौर पर आरोप लगाए गए थे.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सोमवार को कहा कि याचिकाओं पर एक अगस्त को सुनवाई की जाएगी.
उसने कहा, 'हमने मामलों को चार श्रेणियों में बांटा है. पहली श्रेणी में ऐसे मामले शामिल किए गए हैं, जिनमें उच्च न्यायालय ने (दोषियों की) मृत्युदंड की सजा को (आजीवन कारावास में) बदल दिया था. दूसरी श्रेणी में उन दोषियों से जुड़े मामले शामिल हैं, जिन्हें एक विशिष्ट भूमिका निभानी है. हमने (दूसरी श्रेणी में) गैर-जमानत कहा है. तीसरी श्रेणी में उन लोगों के मामले शामिल हैं, जो परिधि में मौजूद थे और भीड़ का हिस्सा थे.'
पीठ ने कहा कि चौथी श्रेणी में उन दोषियों के मामले शामिल हैं, जो बूढ़े हैं और किसी समस्या का सामना कर रहे हैं. उसने बताया कि इनमें से एक दोषी की पत्नी कैंसर से जूझ रही है.
पीठ ने गुजरात सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को दोषियों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े को इन श्रेणियों का चार्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. उसने कहा, 'हम कल सुनवाई करेंगे.'
आठ दोषियों को मिल गई थी जमानत : शीर्ष अदालत ने गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले आठ दोषियों को इस साल 21 अप्रैल को जमानत दे दी थी. इनमें अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी असला, यूनुस अब्दुल हक समोल, मोहम्मद हनीफ अब्दुल्ला मौलवी बादाम, अब्दुल रऊफ अब्दुल माजिद ईसा, इब्राहिम अब्दुल रजाक अब्दुल सत्तार समोल, अयूब अब्दुल गनी इस्माइल पटालिया, सोहेब यूसुफ अहमद कलंदर और सुलेमान अहमद हुसैन शामिल थे.
हालांकि, न्यायालय ने चार दोषियों-अनवर मोहम्मद मेहदा, सौकत अब्दुल्ला मौलवी इस्माइल बादाम, महबूब याकूब मीठा और सिद्दीक मोहम्मद मोरा को जमानत देने से इनकार कर दिया था. सॉलिसिटर जनरल मेहता ने घटना में चारों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उनकी जमानत अर्जी का विरोध किया था.
जिन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी, उनकी तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हेगड़े ने यह कहते हुए सुनवाई टालने का अनुरोध किया था कि 22 अप्रैल को एक त्योहार (ईद-उल-फितर) है.
मेहता ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा था कि यह महज पत्थरबाजी का मामला नहीं है, क्योंकि दोषियों ने साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगा दी थी, जिससे ट्रेन में सवार 59 यात्रियों की मौत हो गई थी. उच्चतम न्यायालय में दोषसिद्धि के खिलाफ दायर कई याचिकाएं लंबित हैं.
गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे. उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2017 के अपने फैसले में गोधरा कांड के 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. अदालत ने 20 अन्य दोषियों को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था.
(पीटीआई-भाषा)