ETV Bharat / bharat

Special : जीएम सीड से 'मिठास' में घुल सकती है 'कड़वाहट'...शहद उत्पादन को लग सकती है 1000 करोड़ की चपत

author img

By

Published : Nov 11, 2022, 8:39 PM IST

देश में सरकार करीब 20 वर्ष बाद जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों की खेती को (Genetically Modified Mustard Cultivation) मंजूरी देने जा रही है. लेकिन सरकार की इस तैयारी के साथ ही देशभर के किसान और शहद उत्पादकों के विरोध के स्वर उठने लगे हैं. ऐसा क्यों और क्या कहते हैं जानकार, जानने के लिए देखिए ये रिपोर्ट...

GM Seeds Effect on Honey Production, Side Effects of GM Seed
जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों की खेती.

भरतपुर. जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों की खेती को मंजूरी देने की सरकार की तैयारियों के बीच किसान और शहद उत्पादकों के विरोध के स्वर उठने लगे हैं. इतना ही नहीं, मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है. शहद उत्पादकों की मानें तो जहां जीएम क्रॉप से तैयार होने वाले शहद को (GM Seeds Effect on Honey Production) कई देश खरीदना बंद कर देंगे. जीएम क्रॉप के कई नुकसान भी हैं जो किसान और लोगों को उठाने पड़ेंगे. ईटीवी भारत ने कई विशेषज्ञों से बात कर जीएम क्रॉप के नुकसान और फायदों के बारे में जाना.

देश में शहद उत्पादन : देश की टॉप 5 शहद उत्पादक फर्म में से एक के संचालक राम गुप्ता का कहना है कि जीएम सीड से तैयार होने वाली सरसों की फसल का सबसे बुरा असर शहद उत्पादन पर पड़ेगा. उन्होंने बताया कि हर वर्ष देश में करीब 2 लाख मीट्रिक टन शहद उत्पादन होता है. उसमें भी सर्वाधिक शहद सरसों की फसल के समय तैयार होता है. अकेले भरतपुर जिले की बात करें तो सरसों की फसल के सीजन में करीब 4500 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है.

जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों की खेती .

शहद उत्पादन पर ऐसे पड़ेगा असर : राम गुप्ता ने बताया कि जीएम क्रॉप के फूल पर मधुमक्खी कम बैठती है. इससे शहद उत्पादन काफी कम होता है, साथ ही देश से सर्वाधिक शहद अमेरिका और यूरोप में सप्लाई होता है. ये दोनों ही देश जीएम क्रॉप के शहद को नहीं खरीदते. इन देशों को साल में करीब 60 हजार मीट्रिक टन शहद निर्यात होता है, जो जीएम क्रॉप के साथ ही बंद हो जाएगा. मार्केट कीमत के हिसाब से शहद उत्पादन को करीब 1 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ेगा.

स्वास्थ्य पर भी असर : राम गुप्ता ने बताया कि अमेरिका और यूरोप में (GM Crop Ban in America and Europe) जीएम क्रॉप बैन है. उसकी वजह इसके दुष्प्रभाव हैं. यदि देश में यह लागू किया जाता है तो जीएम क्रॉप के अनाज, तेल, शहद आदि से इंसान और पशुओं के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा. यही वजह है कि देशभर का किसान और शहद उत्पादक जीएम सीड के विरोध में हैं.

GM Seeds Effect on Honey Production, Side Effects of GM Seed
जीएम सीड का विरोध.

क्या है जीएम सीड : असल में टिश्यू कल्चर, म्यूटेशन और नए सूक्ष्म जीवों के जरिए किसी भी पाैधे में नए जीनों का प्रवेश कराया जाता है. इससे नई फसल प्रजाति विकसित की जाती है. इस प्रक्रिया में पौधे में ऐसे मन चाहे गुणों का समावेश किया जाता है, जो प्राकृतिक रूप से उस पौधे में नहीं होते हैं. ऐसे पौधे कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधक होते हैं. दावा ये भी है कि जीएम क्रॉप में उत्पादन काफी ज्यादा होता है.

पढ़ें : राजस्थानः हिमालय की वादियों में लहलहाएगी भरतपुर की 'रुक्मणि', पैदावार के साथ तेल की मात्रा भी भरपूर

इसलिए जीएम क्रॉप का विरोध : भारत में जीएम क्रॉप का विरोध करने के पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि जीएम फसलों की लागत अधिक पड़ती है. क्योंकि इसमें हर बार नया बीज खरीद कर बुराई करनी पड़ेगी. ये बीज दोबारा इस्तेमाल करने लायक नहीं होते. यदि दोबारा इस्तेमाल किया जाता है तो उत्पादन बहुत कम रहता है. जीएम क्रॉप को स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक माना जा रहा है.

कृषि वैज्ञानिकों का दावा : सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. पीके राय का कहना है कि जीएम सीड को स्वीकृति मिलने के बाद सरसों के हाइब्रिड बीज तैयार हो सकेंगे. अनुमान है कि जीएम सीड से सरसों के उत्पादन में 30 से 40 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है.

भरतपुर. जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों की खेती को मंजूरी देने की सरकार की तैयारियों के बीच किसान और शहद उत्पादकों के विरोध के स्वर उठने लगे हैं. इतना ही नहीं, मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है. शहद उत्पादकों की मानें तो जहां जीएम क्रॉप से तैयार होने वाले शहद को (GM Seeds Effect on Honey Production) कई देश खरीदना बंद कर देंगे. जीएम क्रॉप के कई नुकसान भी हैं जो किसान और लोगों को उठाने पड़ेंगे. ईटीवी भारत ने कई विशेषज्ञों से बात कर जीएम क्रॉप के नुकसान और फायदों के बारे में जाना.

देश में शहद उत्पादन : देश की टॉप 5 शहद उत्पादक फर्म में से एक के संचालक राम गुप्ता का कहना है कि जीएम सीड से तैयार होने वाली सरसों की फसल का सबसे बुरा असर शहद उत्पादन पर पड़ेगा. उन्होंने बताया कि हर वर्ष देश में करीब 2 लाख मीट्रिक टन शहद उत्पादन होता है. उसमें भी सर्वाधिक शहद सरसों की फसल के समय तैयार होता है. अकेले भरतपुर जिले की बात करें तो सरसों की फसल के सीजन में करीब 4500 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है.

जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों की खेती .

शहद उत्पादन पर ऐसे पड़ेगा असर : राम गुप्ता ने बताया कि जीएम क्रॉप के फूल पर मधुमक्खी कम बैठती है. इससे शहद उत्पादन काफी कम होता है, साथ ही देश से सर्वाधिक शहद अमेरिका और यूरोप में सप्लाई होता है. ये दोनों ही देश जीएम क्रॉप के शहद को नहीं खरीदते. इन देशों को साल में करीब 60 हजार मीट्रिक टन शहद निर्यात होता है, जो जीएम क्रॉप के साथ ही बंद हो जाएगा. मार्केट कीमत के हिसाब से शहद उत्पादन को करीब 1 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ेगा.

स्वास्थ्य पर भी असर : राम गुप्ता ने बताया कि अमेरिका और यूरोप में (GM Crop Ban in America and Europe) जीएम क्रॉप बैन है. उसकी वजह इसके दुष्प्रभाव हैं. यदि देश में यह लागू किया जाता है तो जीएम क्रॉप के अनाज, तेल, शहद आदि से इंसान और पशुओं के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा. यही वजह है कि देशभर का किसान और शहद उत्पादक जीएम सीड के विरोध में हैं.

GM Seeds Effect on Honey Production, Side Effects of GM Seed
जीएम सीड का विरोध.

क्या है जीएम सीड : असल में टिश्यू कल्चर, म्यूटेशन और नए सूक्ष्म जीवों के जरिए किसी भी पाैधे में नए जीनों का प्रवेश कराया जाता है. इससे नई फसल प्रजाति विकसित की जाती है. इस प्रक्रिया में पौधे में ऐसे मन चाहे गुणों का समावेश किया जाता है, जो प्राकृतिक रूप से उस पौधे में नहीं होते हैं. ऐसे पौधे कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधक होते हैं. दावा ये भी है कि जीएम क्रॉप में उत्पादन काफी ज्यादा होता है.

पढ़ें : राजस्थानः हिमालय की वादियों में लहलहाएगी भरतपुर की 'रुक्मणि', पैदावार के साथ तेल की मात्रा भी भरपूर

इसलिए जीएम क्रॉप का विरोध : भारत में जीएम क्रॉप का विरोध करने के पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि जीएम फसलों की लागत अधिक पड़ती है. क्योंकि इसमें हर बार नया बीज खरीद कर बुराई करनी पड़ेगी. ये बीज दोबारा इस्तेमाल करने लायक नहीं होते. यदि दोबारा इस्तेमाल किया जाता है तो उत्पादन बहुत कम रहता है. जीएम क्रॉप को स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक माना जा रहा है.

कृषि वैज्ञानिकों का दावा : सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. पीके राय का कहना है कि जीएम सीड को स्वीकृति मिलने के बाद सरसों के हाइब्रिड बीज तैयार हो सकेंगे. अनुमान है कि जीएम सीड से सरसों के उत्पादन में 30 से 40 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.