श्रीनगर : जहां एक ओर पूरी दुनिया महिला दिवस मना रही है, वहीं पाकिस्तानी मूल की महिलाएं जिन्होंने कश्मीरी पुरुषों से विवाह किए हैं उन्होंने सोमवार को सरकार से अपनी मांगों पर ध्यान देने का आग्रह किया.
पाकिस्तानी महिलाओं ने कहा कि महिला दिवस उनके लिए तब तक बेमायने है, जब तक उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं दी जाती या पाकिस्तान में उनके घरों में जाने की अनुमति नहीं दी जाती.
पूर्व कश्मीरी आतंकवादियों की पाकिस्तानी पत्नियों ने श्रीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वे सरकार की पुनर्वास नीति के तहत कश्मीर आए थे, लेकिन तब से वे पीड़ित हैं.
इन्हीं महिलाओं में से एक सायरा ने कहा कि वे भले ही सरकार के आश्वासन पर कश्मीर आई हों, लेकिन उन्हें कोई भी दस्तावेज नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा , 'हमें यहां की नागरिकता से वंचित किया जा रहा है. हमारे पास पाकिस्तान में अपने घरों की यात्रा करने के लिए दस्तावेज नहीं हैं. इसलिए सरकार को हमारे बच्चों के साथ हमें पाकिस्तान भेज देना चाहिए.'
महिलाओं ने कहा कि वर्तमान में कश्मीर में 300 ऐसी पाकिस्तानी महिलाएं हैं, जिनमें से कुछ का तलाक हो चुका है और वो कहीं नहीं जा सकती हैं.
बता दें इन महिलाओं ने कुछ महीनों पहले भी कई विरोध प्रदर्शन किए और केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन से अपील की कि वह या तो उन्हें यात्रा दस्तावेज दें या उन्हें पाकिस्तान भेज दें.
उल्लेखनीय है कि 90 के दशक की शुरुआत में कई कश्मीरी पुरुषों ने हथियार चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पीओके चले गए और वहां की स्थानीय महिलाओं से शादी कर ली थी.
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इसके बाद केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार ने ऐसे आतंकियों के लिए पुनर्वास नीतियां बनाई, जिसके तहत कई लोग आंतक का रास्ता छोड़ कर कश्मीर में अपने परिवारों में वापस आ गए.